आपके अधिकारी दबाव में हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका नहीं: न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

आपके अधिकारी दबाव में हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका नहीं: न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

आपके अधिकारी दबाव में हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका नहीं: न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा
Modified Date: February 20, 2025 / 04:31 pm IST
Published Date: February 20, 2025 4:31 pm IST

नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य के अधिकारी ‘दबाव में’ हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका नहीं। ‘हिल स्टेशन’ माथेरान में ई-रिक्शा लाइसेंस के आवंटन से जुड़ी न्यायिक अधिकारी की रिपोर्ट की सत्यता पर महाराष्ट्र सरकार के सवाल उठाने पर न्यायालय ने यह टिप्पणी की।

महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि न्यायिक अधिकारी की रिपोर्ट ‘पूरी तरह से तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हो सकती’ है। इसके बाद न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के साथ पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा, ‘‘आपके अधिकारी दबाव में हो सकते हैं, लेकिन हमारी न्यायपालिका नहीं।’’

मुंबई से करीब 83 किलोमीटर दूर स्थित माथेरान में ‘ऑटोमोबाइल’ की अनुमति नहीं है। राज्य के वकील ने कहा कि यह उचित होगा कि अधिकारी लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करें।

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पीठ ने राज्य सरकार को ई-रिक्शा आवंटन की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने के लिए प्रस्ताव लाने के वास्ते दो सप्ताह का समय दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रिपोर्ट एक जिम्मेदार वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी द्वारा तैयार की गई है। न्यायालय मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को करेगा।

पिछले साल नवंबर में मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के अधिकारियों से हिल स्टेशन में ई-रिक्शा लाइसेंस आवंटित करने के बारे में सवाल पूछे थे। पिछले साल 10 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि ई-रिक्शा केवल हाथ से रिक्शा चलाने वालों को ही दिए जाएंगे ताकि उनके रोजगार के नुकसान की भरपाई की जा सके।

अप्रैल 2024 में न्यायालय ने अगले आदेश तक माथेरान में ई-रिक्शा की संख्या 20 तक सीमित कर दी थी।

भाषा संतोष मनीषा

मनीषा


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