Inspector Zende OTT Film Review: ‘इंस्पेक्टर जेंडे’ ओटीटी पर हुई रिलीज,’द फॅमिली मैन’ जैसी है फिल्म में कॉमेडी, पढ़िए फिल्म के बारे में…
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- सच्ची घटना पर बनी है ये मूवी,
- मनोज बाजपेयी की नैचुरल कॉमिक टाइमिंग,
- 'द फॅमिली मैन' जैसा है ह्यूमर,
Inspector Zende OTT Film Review:मुंबई: भारतीय फिल्मों और वेब सीरीज़ में रियल लाइफ क्रिमिनल्स की कहानियां दिखाना अब ट्रेंड बन चुका है, कल ही रिलीज़ हुई नेटफ्लिक्स फिल्म ‘एइंस्पेक्टर ज़ेंडे’ भी उनमें से एक है, ये फिल्म भी एक रियल-लाइफ थ्रिलर से इंस्पायर्ड है। इस प्रोजेक्ट की ऑफिशियल अनाउंसमेंट नेटफ्लिक्स ने 7 अगस्त 2025 को की थी, जिसमें मनोज बाजपेयी और जिम सर्भ लीड रोल में हैं। फिल्म का ट्रेलर 25 अगस्त 2025 को रिलीज हुआ, जिसने आते ही सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी थी। आखिरकार फिल्म नेटफ्लिक्स पर कल आ गयी, आइये जानते हैं फिल्म के बारे में…
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी इंस्पेक्टर ज़ेंडे की उस मिशन से इंस्पायर्ड है, जिसमें उसे एक चालाक लेकिन खतरनाक अपराधी कार्ल भोजराज को पकड़ना है। ये कहानी 1970s और 80s के मुश्किल दौर में सेट है, जहाँ ज़ेंडे पूरी तरह से भोजराज की तलाश में जुटा हुआ है। कार्ल भोजराज का किरदार असल ज़िंदगी के चार्ल्स शोभराज से प्रेरित है, लेकिन फिल्म में इसे फिक्शनल टच दिया गया है। इंस्पेक्टर ज़ेंडे का रोल एक दमदार मराठी कलाकारों की टीम ने निभाया है, और उनके साथ मनोज बाजपेयी और जिम सर्भ जैसे टैलेंटेड एक्टर्स ने मिलकर इस फिल्म को एक मज़ेदार क्राइम-थ्रिलर का रूप दिया है। फिल्म की शुरुआत होती है जब कार्ल भोजराज (जिम सर्भ) दिल्ली की तिहाड़ जेल से भाग निकलता है। उसने अपने बर्थडे पर पुलिस वालों को दी गई खीर में नींद की गोलियां मिलाकर सबको सुला दिया था। ज़ेंडे वही अफसर है जिसने उसे 15 साल पहले पकड़ा था। बताया जाता है कि शोभराज (फिल्म में भोजराज) दिल्ली से भागकर मुंबई आया, फिर वहां से गोवा निकल गया। उसका अगला प्लान अमेरिका भागने का था। मुंबई पुलिस को अपनी पहली कामयाबी पर गर्व था, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि वो यूं ही हाथ से निकल जाए। ज़ेंडे के सीनियर, जिसे सचिन खेड़कर ने निभाया है, उसे शोभराज को दोबारा पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपते हैं। फिल्म की आगे की कहानी बहुत ही मज़ेदार है।
निर्देशन
फिल्म का निर्देशन और लेखन चिन्मय मांडलेकर ने किया है, और यह उनका निर्देशन में डेब्यू है। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जो मुंबई पुलिस के जांबाज़ अधिकारी मधुकर ज़ेंडे की कहानी को दर्शाती है। ज़ेंडे वही अफसर हैं जिन्होंने कुख्यात अपराधी चार्ल्स शोभराज को दो बार गिरफ़्तार किया था, पहली बार 1971 में, और दूसरी बार 1986 में गोवा से, जब वह तिहाड़ जेल से फरार हो गया था। फिल्म में ना सिर्फ इन ऐतिहासिक गिरफ्तारियों को दिखाया गया है, बल्कि उस दौर की पुलिसिंग, समाज और अपराध की दुनिया की जटिलताओं को भी गहराई से पेश किया गया है।
कहानी में थ्रिल और ट्विस्ट
कहानी की शुरुआत होती है चालाक और करिश्माई अपराधी कार्ल भोजराज से, जो अपनी बातों और अंदाज से लोगों को आसानी से बहका देता है। उसके सामने आता है इंस्पेक्टर जेंडे एक सधा हुआ, ईमानदार लेकिन बेहद तेज़ दिमाग वाला पुलिसवाला। फिर शुरू होता है एक जोरदार पीछा और भागने का खेल, जो थ्रिल से भरपूर है।
मनोज बाजपेयी की परफॉर्मेंस
मनोज बाजपेयी ने इंस्पेक्टर जेंडे का रोल इतने नेचुरल अंदाज में निभाया है कि हर सीन में वो रियल लगते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग बहुत सधी हुई है और किसी भी सीन में ओवर नहीं लगती। कई बार उनकी एक्टिंग क्लासिक कॉमेडी फिल्मों की याद दिलाती है।
जिम सर्भ की मौजूदगी
कार्ल भोजराज के किरदार में जिम सर्भ पूरी तरह फिट बैठते हैं। उनकी चालाकी, स्टाइल और स्क्रीप प्रेजेंस शानदार है। वो रियल लाइफ स्मार्ट क्रिमिनल की तरह लगते हैं, और मनोज के साथ उनकी टक्कर फिल्म की सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।
कमजोरियां कहां हैं?
फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसकी रफ्तार। कुछ सीन जरूरत से ज्यादा खींचे हुए हैं, बैकग्राउंड म्यूज़िक भी हर बार सीन की इंटेंसिटी को मैच नहीं करता, खासकर थ्रिल और सस्पेंस वाले हिस्सों में।
देखें या नहीं?
अगर आप थ्रिलर, हल्की-फुल्की कॉमेडी और दमदार एक्टिंग का मिक्स देखना चाहते हैं, तो इंस्पेक्टर जेंडे जरूर देखिए।

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