मुंबई । आज हिंदी सिनेमा के महान कलाकार कादर खान की 85वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वे ना सिर्फ एक उम्दा अभिनेता थे बल्कि बेहतरीन स्क्रिप्ट राइटर और उससे कहीं ज्यादा बेहतरीन डॉयलॉग राइटर भी थे। अमिताभ बच्चन से लेकर गोविंदा जैसे एक्टर के ‘संवाद’ कादर खान ने ही लिखे। पर्दे के पीछे और पर्दे आगे कादर साहब की भूमिका महत्वपूर्ण रही। आज कादर साहब की 85वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़े कुठछ अनुछुए किस्से के बारें में बताने जा रहे है।
कब्रिस्तान में करते थे एक्टिंग की प्रैक्टिस
वो कब्रिस्तान में जाकर दो कब्रों के बीच बैठ खुद से बातें करते हुए फिल्मी डायालॅग्स बोलते थे। वहीं एक शख्स दीवार की आड़ में खड़े होकर उनको देखता था। वो शख्स थे अशरफ खान। अशरफ उस समय अपने एक स्टेज ड्रामा के लिए 8 साल के लड़के की तलाश में थे। उन्होंने कादर को नाटक में काम दे दिया। खून पसीना, लवारिस, परवरिश, अमर अकबर एंथनी, नसीब, अग्निपथ, शराबी, सत्ते पे सत्ता, कुली सहित अन्य फिल्मों में डायलॉग लिखने वाले कादर खान ने अमिताभ बच्चन के करियर को संवारने में बड़ा रोल निभाया।
कादर खान द्वारा लिखे गए फेमस डॉयलॉग
‘विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है।
हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है।
‘बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाह रक्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है इक़बाल।
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