आर डी बर्मन के संगीत सफर की कहानी
आर डी बर्मन के संगीत सफर की कहानी
बॉलीवुड में अपनी मधुर संगीत लहरियों से दर्शकों को मदहोश कर देने वाले संगीतकार आर डी वर्मन आज भले ही हमारे बीच नहीं है….लेकिन फीजाओं में उनका महदोश कर देने वाला संगीत आज भी गूंजता रहता है…आर डी बर्मन….संगीतकार एस डी बर्मन यानि सचिन देव बर्मन के बेटे हैं…जो जाने माने फिल्म संगीतकार थे।
घर पर संगीत का माहौल होने के कारण उनका भी संगीत के प्रति रुझान हो गया…अपने पिता से इसकी शिक्षा लेने लगे…उन्होंने उस्ताद अली अकबर खान से सरोद वादन की शिक्षा ली….फिल्म जगत में पंचम दा के नाम से मशहूर आर डी बर्मन का पूरा नाम राहुल देव बर्मन है लेकिन उन्हें पंचम दा नाम एक्टर अशोक कुमार ने दिया था।
बतौर संगीतकार उन्होंने अपने सिन करियर की शुरूआत 1961 में महमूद की फिल्म छोटे नवाब से की थी…लेकिन ये फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई…आर डी बर्मन ने अपने पिता सचिन देव बर्मन के साथ सहायक संगीतकार बंदिनी, तीन देवियां और गाइड जैसी फिल्मों के लिए भी संगीत दिया…लेकिन 1965 में पंचम दा अपनी फिल्मों में अपनी पहचान बना चुके थे…उन्हें इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा…उसके बाद फिल्म तीसरी मंजिल के सुपरहिट गानें आज आजा मैं हू प्यार तेरा…और ओ हसीना जुल्फों वाली जैसे सदाबहार गानों के जरिए बतौर संगीतकार शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया….उसके बाद पंचम दा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा..अपनें जादुई संगीत से उन्होंने हर किसी को मदहोश कर लिया….फिल्म रमेश सिप्पी की सुपरहिट फिल्म शोले में महबूबा महबाबा गाकर पंचम गा ने अपनी एक अगर पहचान बना ली थी…आर डी बर्मन की जोड़ी सबसे ज्यादा सिंगर आशा भोंसले के साथ जमी…उनके साथ उन्होंने कई यादगार फिल्मों में संगीत दिया….जो आज भी दर्शकों के दिलों को छू जाता है।

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