भगवान शिव नहीं ये देवता थे गणेश जी के मस्तक कटने का कारण, ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा में बताया गया कुछ ऐसा कि चौंक जाएंगे आप
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : 31 अगस्त से देश में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व को देशभर में धूमधाम से

blessings of Ganesha
नई दिल्ली : Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : 31 अगस्त से देश में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। मुद्गल पुराण, गणेश पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण का गणपति खंड आदि में श्रीगणेश से जुड़ी कई खास बातें विस्तार पूर्वक बताया गया है। लेकिन गणेश भगवान से जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी है जिन्हे बहुत कम लोग जानते हैं। हनेश चतुर्थी के इस शुभ अवसर पर हम आपको गणेश जी से जुड़ी कुछ खास बबाते बताने जा रहे हैं।
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भगवान गणेश ने चुराया था भोजन
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : कहा जाता हैं कि एक बार बाल गणेश अपने मित्रों के साथ वन में खेल रहे थे। तभी उन्हें भूख लगने लगी। पास ही गौतम ऋषि का आश्रम था। गणेश आश्रम में गए और भोजन चुराकर अपने मित्रों के साथ खाने लगे। तब अहिल्या ने गौतम ऋषि बताया कि रसोई से भोजन अचानक गायब हो गया है। ऋषि गौतम ने जंगल में जाकर देखा तो गणेश अपने मित्रों के साथ भोजन कर रहे थे। गौतम उन्हें लेकर माता पार्वती के पास ले गए। माता पार्वती ने उन्हें एक कुटिया में ले जाकर बांध दिया। थोड़ी देर बाद देवी पार्वती ने देखा कि गणेश शिवगणों के साथ खेल रहे हैं। उन्होंने कुटिया में जाकर देखा तो गणेश वहीं बंधे दिखे। वे रस्सी से छुटने का प्रयास कर रहे थे। माता को उन पर स्नेह आया और उन्हें मुक्त कर दिया।
किस भगवान ने दिए गणेश जी को हथियार
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : एक बार शिवजी के दर्शन करने देवशिल्पी विश्वकर्मा आए। विश्वकर्मा को आया देख गणेशजी ने उनसे कहा कि “आप मेरे लिए क्या उपहार लेकर आए हो।” विश्वकर्मा ने कहा कि “भगवन मैं आपको भला क्या उपहार दे सकता हूं।” गणेशजी के बहुत आग्रह करने के बाद विश्वकर्मा ने गणपति की पूजा की और उनके हाथ से निर्मित विशेष अस्त्र दिए, जिसमें तीखा अंकुश, पाश और पद्म था। ये शस्त्र पाकर गणपति को बहुत प्रसन्नता हुई। इन्हीं शस्त्रों से श्रीगणेश ने सबसे पहले दैत्य वृकासुर का वध किया था।
देवताओं को गणेश जी ने बुलाया था यज्ञ में
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : एक बार भगवान शिव ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने सभी देवताओं को बुलाने का कार्य भगवान श्रीगणेश को सौंपा। लेकिन उनके साथ समस्या यह थी कि उनका वाहन चूहा था, जो बहुत तेजी से चल नहीं सकता था। गणेश ने काफी देर तक सोच-विचार करने के बाद सारे आमंत्रण पत्र शिवजी को ही समर्पित कर दिए। जब शिवजी ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि “आप में ही सभी देवी-देवताओं का वास है। आपको निमंत्रित करने से सभी देवताओं को यज्ञ में आने का न्यौता स्वत: ही मिल जाएगा।” श्रीगणेश की बुद्धिमानी देखकर शिवजी अति प्रसन्न हुए और इस तरह गणेश ने एक मुश्किल काम को अपनी बुद्धिमानी से आसान कर दिया।
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गणपति बने पाताल लोक के राजा
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : एक बार गणपति अपने मित्रों के साथ पाराशर ऋषि के आश्रम में खेल रहे थे। तभी वहां कुछ नाग कन्याएं आ गईं। वे श्रीगणेश को अपने साथ पाताल लोक ले गईं। नाग लोक पहुंचने पर नाग कन्याओं ने उनका हर तरह से सत्कार किया। तभी नागराज वासुकि वहां आ गए और श्रीगणेश के स्वरूप को देखकर मन ही मन उनका उपहास करने लगे। ये देख श्रीगणेश को क्रोध आ गया। उन्होंने वासुकि के फन पर पैर रख दिया और उनका मुकुट भी स्वयं पहन लिया। तभी शेषनाग भी वहां आ गए, उन्होंने अपने भाई वासुकि को इस अवस्था में देखा तो श्रीगणेश से क्षमा मांगी और उन्हें नागलोक का राजा घोषित कर दिया।
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कैसे एकदंत हो गए भगवान गणेश?
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार परशुराम शिव के शिष्य थे। एक बार वे शिवजी के दर्शन करने कैलाश पर आए। उस समय शिवजी ध्यान में मग्न थे, इसलिए गणेशजी उन्हें रोक दिया। इस बात पर दोनों में विवाद होने लगा। बात इतनी बढ़ गई कि श्रीगणेश ने परशुराम को अपनी सूंड से उठाकर फेंक दिया। परशुराम ने भी अपने फरसे से गणेश पर वार किया। फरसा शिव का दिया हुआ था, इसलिए गणेश ने उसका वह अपने एक दांत पर झेल लिया। फरसा लगते ही दांत टूट गया। बाद में शिवजी ने आकर दोनों का विवाद शांत करवाया। तब से गणेश को एक ही दांत रह गया और वे एकदंत कहलाने लगे।
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भगवान शनि के देखने से कटा था गणेश का सिर
Shani Dev reason for cutting off head of Ganesh ji : शिवजी के द्वारा गणेशजी का मस्तक काटने की कथा तो सभी जानते हैं, लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण में कथा कुछ अलग ही है। उस कथा के अनुसार, एक शनिदेव शिवजी के दर्शन करने कैलाश पर गए। वहां देवी पार्वती बालक गणेश को गोद में लेकर बैठी थीं। शनिदेव ने देवी पार्वती को प्रणाम किया, लेकिन गणेशजी की ओर नहीं देखा। जब देवी पार्वती ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि “ मेरी दृष्टि में दोष है, मेरे द्वारा बालक गणेश को देखने से उनका अहित हो सकता है।”
तब देवी पार्वती ने शनिदेव से कहा कि “आप मेरे पुत्र गणेश की ओर देखिए, उसके मुख का तेज समस्त कष्टों को हरने वाला है।” देवी पार्वती के कहने पर जैसे ही शनिदेव ने बालक गणेश को देखा तो उनका सिर धड़ से कटकर नीचे गिर गया। ये देखकर माता पार्वती को बहुत दुखी हुई। तभी वहां भगवान विष्णु आए और उन्होंने एक गजबालक का सिर लाकर बालक गणेश के सिर पर उसे स्थापित कर दिया।