Bharani Shraddha 2023: पितृ पक्ष में भरणी श्राद्ध कराने से प्रसन्न होते हैं पितर, मिलता है पुष्कर तीर्थ का पुण्य | Luck of These 5 Zodiac Sign Will change with Bharani Shraddha

Bharani Shraddha 2023: पितृ पक्ष में भरणी श्राद्ध कराने से प्रसन्न होते हैं पितर, मिलता है पुष्कर तीर्थ का पुण्य

पितृ पक्ष में भरणी श्राद्ध कराने से प्रसन्न होते हैं पितर! Luck of These 5 Zodiac Sign Will change with Bharani Shraddha

Edited By :   Modified Date:  October 1, 2023 / 06:39 PM IST, Published Date : October 1, 2023/6:39 pm IST

रायपुर: Luck of These 5 Zodiac Sign Will change with Bharani Shraddha  हिन्दूधर्म की मान्यता अनुसार, वर्ष में एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया, जिस पक्ष में हम अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अर्ध्य समर्पित करते हैं। यदि किसी कारण से उनकी आत्मा को मुक्ति प्रदान नहीं हुई है तो हम उनकी शांति के लिए विशिष्ट कर्म करते है इसीलिए आवश्यक है – श्राद्ध और साथ ही जीवन में किसी प्रकार के वृद्धिकार्य जैसे विवाहादि संस्कार, पुत्र जन्म, वास्तु प्रवेश इत्यादि प्रत्येक मांगलिक प्रसंग में भी पितरों की प्रसन्नता हेतु श्राद्ध होता है।

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Luck of These 5 Zodiac Sign Will change with Bharani Shraddha  अपने जीवन में कोई भी तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते, ऐसे लोगों की मृत्यु होने पर उन्हें मातृगया, पितृगया, पुष्कर तीर्थ और बद्री-केदार आदि तीर्थों पर किए गए श्राद्ध का फल मिले, इसके लिए भरणी श्राद्ध किया जाता है। तीर्थ से प्राप्त पूण्य और उससे जीवन में जो समृद्धि प्राप्त होती है वह पीढियों में चिरस्थायी बनी रहे और निरंतर वृद्धि प्राप्त होती रहे इस हेतु भरणी श्राद्ध किये जाने का विधान है। आज भरणी श्राद्ध है। व्यक्ति के निधन के पहले वर्ष में भरणी श्राद्ध नहीं किया जाता है।

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प्रात: काल जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवर्त हो कर, पितरो के निम्मित भगवन सूर्य देव को जल अर्पण करे और अपने रसोई घर की शुद्ध जल से साफ़ सफाई करे, पितरो की सुरुचि का स्वादिष्ट भोजन बनाएं। भोजन को एक थाली मे रख ले और पञ्च बलि के लिए पांच जगह 2 – 2 पुड़ी, उस पर थोड़ी सी खीर रख कर पञ्च पत्तलों पर रख ले| एक उपला यानि गाय के गोबर का कंडे को गरम करके किसी पात्र मे रख दे।

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अब आप अपने घर की दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये चावल की खीर को गोबर के जलते कंडे पर अपने पितरों का स्मरण करते हुए तीन आहुति दे दे। साथ ही बनाए गए भोजन में से एक ग्रास गाय के लिए, एक श्वान के लिए, एक कौए के लिए और चौथा चींटी के लिए निकालें और उन्हें खिलाएं। इससे गया तीर्थ में पिंड दान या श्राद्ध करने जितना विशेष फल मिलता है और पितरों को सुख की प्राप्ति हो जाती है और पुत्र-पौत्रों को दीर्घायु-आरोग्य, धन और ऐश्वर्य जैसी अक्षय संपदा की प्राप्ति होती है।

 

 

 

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