हमारे देष में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है। कई मान्यताओं कि माने तो पुराणों अन्न की दाता माने जाने वाली माता अन्नपूर्णा का जन्म भी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। मान्यता है जो इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा और धन-अन्न का दान करता है उसके भंडार कभी खाली नहीं होते। पौराणिक कथा के अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर ही युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी।
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भविष्य पुराण के अनुसार सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ अक्षय तृतीया तिथि को हुआ और द्वापर युग की समाप्ति भी इसी तिथि को हुई थी। सतयुग में भगवान विष्णु ने मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह और नृसिंह अवतार लिया था, वहीं अधर्म पर धर्म की जीत पाने के लिए त्रैतायुग में भगवान विष्णु ने वामन, परशुराम और भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन श्रीहरि के परशुराम अवतार की उपासना करने वालों को कभी पितरों का आशीर्वाद मिलता है और इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं।
अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार
अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 07:49 से दोपहर 12:20 तक है. पूजा की कुल अवधि 4 घंटे 31 मिनट होगी।
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 22 अप्रैल 2023 सुबह 07:49 बजे से
तृतीया तिथि समाप्त- 23 अप्रैल 2023 सुबह 07:47 तक
अक्षय तृतीया पूजा विधि
अक्षय तृतीया के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठे।
इस दिन सुबह उठने के बाद स्नान करें।
स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहने।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें,
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।