‘अंग्रेजी हटाओ-हिंदी बचाओ’ आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जयंती आज

Hazari Prasad Dwivedi death anniversary आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जयंती विशेष: BHU में रेक्टर पद से क्यों देना पड़ा था त्यागपत्र ?

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  • Publish Date - May 19, 2023 / 04:01 PM IST,
    Updated On - May 19, 2023 / 04:01 PM IST

Hazari Prasad Dwivedi death anniversary: बीएचयू हिंदी विभाग में शिक्षक और जाने माने आलोचक रहे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी को लोग प्रतिरोध की परंपरा के संस्थापक के रूप में जानते हैं। उन्होंने अंग्रेजी हटाओ-हिंदी बचाओ आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। इसी आंदोलन के समय उन्हें बीएचयू में रेक्टर पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। आलोचना के क्षेत्र में हजारी प्रसाद द्विवेदी के योगदान को कभी भूला नहीं जा सकता है।

काशी से था बेहद लगाव

Hazari Prasad Dwivedi death anniversary: बलिया के दूबे के छपरा गांव में 19 अगस्त 1907 को जन्मे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शुरुआती पढ़ाई बलिया में की। फिर बीएचयू हिंदी विभाग में शिक्षक बने। उनका काशी से बहुत लगाव था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह लंबे समय तक काशी नगरी प्रचारिणी सभा के उपसभापति, खोज विभाग के निदेशक के साथ ही 1950 में हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रहे।

हिंदी विभाग में बना है सभागार

Hazari Prasad Dwivedi death anniversary: हजारी प्रसाद द्विवेदी की याद में एक सभागार का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है। बीएचयू हिंदी विभाग के प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ल का कहना है कि आचार्य जी 1967 में बीएचयू के रेक्टर भी रहे। प्रतिरोध की परंपरा को हिंदी साहित्य में स्थापित करने वाले आधुनिक साहित्यकारों में वह बड़े आलोचक थे। कबीर नाम पर 1942 में किताब भी लिखा, जिसने उनके साहित्यिक महत्व को रेखांकित किया। 1960 में मुदालियर आयोग की जांच कमेटी में कई शिक्षकों को हटाया गया था, तो आचार्य द्विवेदी को भी हटना पड़ा था।

मुख्य रचनाएं

Hazari Prasad Dwivedi death anniversary: सूर साहित्य, बाणभट्ट, कबीर, अशोक के फूल, हिंदी साहित्य की भूमिका, हिंदी साहित्य का आदिकाल, नाथ संप्रदाय, पृथ्वीराज रासो।

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