Union Budget 2023: क्या होता है केंद्रीय बजट? एक क्लिक में पूरी डिटेल्स के साथ जानें बजट के प्रकार
Union Budget 2023: 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेगी। कई लोगों के मन में आज भी ये सवाल रहता

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नई दिल्ली : Union Budget 2023: 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेगी। कई लोगों के मन में आज भी ये सवाल रहता है कि आखिर बजट क्या है और कितने प्रकार का होता है। केंद्रीय बजट किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा दस्तावेज होता है। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत सरकार के खातों का एक वार्षिक वित्तीय विवरण को बजट कहा जाता है।
सरकार का व्यय उसके राजस्व से नहीं होना चाहिए ज्यादा
Union Budget 2023: किसी भी बजट को बैलेंस करने के लिए वित्तीय वर्ष में अनुमानित व्यय अपेक्षित आय के बराबर होना चाहिए। कई इकोनॉमिस्ट के अनुसार, इस तरह का बजट इस विचार पर आधारित होता है कि सरकार का व्यय उसके राजस्व से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अनुमानित व्यय और अपेक्षित राजस्व को बैलेंस करना सरल होता है।
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आसान नहीं होता बैलेंस बनाए रखना
Union Budget 2023: वहीं जब वास्तविक कार्यान्वयन की बात आती है, तो यह बैलेंस बनाए रखना आसान नहीं होता है। मालूम हो कि एक संतुलित या बैलेंस्ड बजट इकोनॉमिक डिप्रेशन या अपस्फीति के समय में वित्तीय स्थिरता की गारंटी नहीं देता है। इस तरह के बजट का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि यह फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाता है। हालांकि, इसकी एक कमी यह है कि इससे आर्थिक विकास की प्रक्रिया बाधित हो सकती है और साथ ही सरकार की कल्याणकारी गतिविधियों के दायरे को सीमित कर सकता है।
घाटे का बजट (Deficit Budget)
Union Budget 2023: एक घाटे का बजट या डेफिसिट बजट तब होता है जब किसी विशेष वित्तीय वर्ष में अनुमानित व्यय अपेक्षित राजस्व की तुलना में ज्यादा होता है। इस तरह के बजट का अर्थ यह है कि सरकार का राजस्व उसके व्यय से कम है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, घाटे का बजट विकासशील अर्थव्यवस्थाओं, जैसे भारत और मंदी के समय में उपयुक्त होता है। इस प्रकार का बजट विशेष रूप से अतिरिक्त मांग उत्पन्न करने और आर्थिक विकास की दर को बढ़ाने में मदद करता है।
अधिशेष बजट (Surplus Budget)
Union Budget 2023: किसी बजट को अधिशेष या सरप्लस बजट तब माना जाता है जब किसी वित्तीय वर्ष में इनकम आय अनुमानित व्यय से अधिक होती है। इस तरह का बजट यह दर्शाता है कि सरकार की टैक्स से होने वाली इनकम सरकार द्वारा लोक कल्याण पर खर्च किए गए धन से अधिक है। विशेषज्ञों के मुताबिक, महंगाई के समय कुल डिमांड को कम करने के लिए इस प्रकार के बजट को लागू किया जा सकता है। हालांकि, जब अपस्फीति या मंदी का समय होता है, तब सरप्लस बजट सरकार के लिए उपयुक्त विकल्प नहीं होता। अधिशेष का अर्थ होता है कि सरकार के पास अतिरिक्त धन है।