Women have these expectations from Union Budget 2023

Union Budget 2023: महिलाओं को नए बजट में वित्त मंत्री से हैं ये उम्मीदें, इन क्षेत्रों में चाहती हैं कदम उठाए सरकार

Union Budget 2023: Women have these expectations from Union Budget 2023.. इस बार बजट से महिलाओं को ये उम्मीदे।

Edited By :   Modified Date:  January 30, 2023 / 12:40 PM IST, Published Date : January 30, 2023/12:40 pm IST

Women have these expectations from Union Budget 2023: फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी। इसी बीच इस बार महंगाई की मार झेल रही महिलाओं को बहुत उम्मीदें हैं। दरअसल, पिछले बजटों में निर्मला सीतारमण ने महिलाओं के लिए बड़े ऐलान नहीं किए हैं। इससे भी इस बार महिलाओं की उम्मीद बढ़ गई है। महिलाओं को उम्मीद है कि इस बजट में बिजनेस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। RBI के एक सर्वे के मुताबिक देश में सिर्फ 14% MSMEs हैं, वहीं 5.9% स्टार्ट्अप्स महिलाओं के हैं। इसके अलावा जेंडर बजट को भी बढ़ाने की हो रही मांग।

बजट से महिलाओं को ये उम्मीदें

RBI के सर्वे के मुताबिक, देश की आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 48 फीसदी है, लेकिन सिर्फ ऐसे 14 फीसदी माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) हैं, जिनकी मालिक महिलाएं हैं। इंडिया में स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हर साल कई दर्जन स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न बन रहे हैं, लेकिन ऐसे सिर्फ 5.9 फीसदी स्टार्ट्अप्स हैं, जिन्हें महिलाओं ने शुरू किए हैं। कोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सैनिटरी नैपकिंस पर GST खत्म कर दिया गया, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज की एक प्रेस रिलीज के अनुसार, सैनिटरी नैपकिंस के सभी रॉ मैटेरियल पर जीएसटी अब भी 12-18 फीसदी लग रहा है। शैंपू, इंटिमेंट वॉश, बॉडी वॉश, शेविंग क्रीम आदि पर भी जीएसटी बना हुआ है। अगर महिलाओं के इस्तेमाल वाले प्रोडक्ट्स पर टैक्स घटा दिया जाए तो उनके हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे। इसका इस्तेमाल वे ज्यादा सेविंग्स के लिए कर सकेंगी।

ऐसे सेविंग कर पाएंगाी महिलाएं

पीपीएफ, एनपीएस और महिलाओं से जुड़ी सुकन्या समृद्धि योजना में लॉक-इन पीरियड 3 साल से लेकर 15 साल तक है। कई बार हमारे खर्चें बढ़ जाते हैं और हम ऐसी स्कीमों में निवेश नहीं कर पाते। इन स्कीमों में महिलाओं का निवेश बढ़ाने के लिए थोड़े बदलाव की जरूरत है। बैंक डिपॉजिट पर इंटरेस्ट रेट्स घटने से भी महिलाओं की मुश्किल बढ़ी है। बता दें कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर करीब 6 फीसदी इंट्रेस्ट मिल रहा है। यह पिछले साल की शुरुआत में 5 फीसदी था। कोरोना की महामारी से पहले यह 8 फीसदी होता था। कई महिलाएं अपने बचत के पैसे बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में रखती हैं। उन्हें यह सबसे आसान विकल्प लगता है। ऐसे में सरकार को उनकी जरूरतो को समझते हुए राहत देने की कोशिश करनी चाहिए।

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