Curd Side Effect's
Curd Side Effect’s: आपने अक्सर अपने घर के बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि सावन में दही नहीं खानी चाहिए। सावन के महीने में दही खाने के लिए अक्सर मना किया जाता है। कहते हैं कि ये सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन क्या साइंस भी ऐसा मानता है। क्या आपने इसके पीछे की वजह जानने की कोशिस की है..? यदि नहीं तो आद हम आपको इसके पीछे की वजह। 〈 >>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां Click करें*<< 〉
दूध और उससे बनी चीजें सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं। खासतौर पर जब दही की बात हो तो इसे अक्सर खाने की सलाह दी जाती है। डायटीशियन भी रोजाना एक कटोरी दही खाने की सलाह देते हैं। दही में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन के साथ कई तरह के न्यूट्रिएंट भरपूर मात्रा में होता है। ये पाचन के लिए भी लाभदायक है। दही में अभिस्यंदा गुण होता है और सावन में शरीर के छिद्र बंद हो जाते हैं। यह स्थिति कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं को बढ़ा देती है। ऐसे में इसे खाने से गले में खराश, जोड़ों में दर्द, पाचन में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आयुर्वेद में दही खाने के कुछ नियम हैं जैसे इसे सुबह और दोपहर में ही खाने की सलाह दी जाती है, और रात में खाने की मनाही होती है। वहीं आयुर्वेद मानसून में दही खाने की सलाह नहीं देता है। क्योंकि उनका कहना है कि बारिश में दही खाने के कई साइड इफेक्ट्स हैं। आयुर्वेद के अनुसार शरीर के तीन दोषों वात, कफ और पित्त को संतुलित करने के लिए हमें अपना खान-पान भी सही रखना चाहिए। सावन बारिश का महीना होता है जिसमें शरीर के दोष असंतुलित हो जाते हैं।
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आयुर्वेद सिर्फ दही ही नहीं बल्कि उससे बनी दूसरी चीजें जैसे दही बड़ा, छाछ, इडली, ढोकला भी सावन और भादों के महीनों में खाने की सलाह देता है। दही खाने का सबसे अच्छा मौसम गर्मी का मौसम होता है। मानसून में वात बढ़ जाता है और पित्त भी जमा हो जाता है जिससे हमें पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। गर्मियों में दही खाने से शरीर को ठंडक मिलती है और गर्मी से भी बचाव होता है। लेकिन बारिश में दही हमारे शरीर के लिए इंफेक्शन बढ़ाने वाला बन जाता है।इस बात का ध्यान रखें कि दही बहुत पुराना न हो और अच्छी क्वालिटी वाला हो। क्योंकि दसरे मौसम की तुलना में मानसून में खाने की चीजें तेजी से खराब होती हैं।