हार्दिक के बाद अब क्या कन्हैया भी हैं कतार में.... जानिए क्या चल रहा है Congress में |

हार्दिक के बाद अब क्या कन्हैया भी हैं कतार में…. जानिए क्या चल रहा है Congress में

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : May 21, 2022/12:52 pm IST

बरुण सखाजी.

कांग्रेस में ऐसे नेताओं की भरमार है जो कभी अपने भाषण के लिए जाने जाते थे तो कभी मुद्दों को मीडिया में सुर्खियां बनाए रखने के लिए। लेकिन बीते कुछ सालों से इन्हें डंप करके रखा जा रहा है। नतीजतन बड़ी संख्या में कांग्रेस को बाय-बाय कहने का सिलसिला जारी है। हाल में हार्दिक ने कांग्रेस छोड़ दी है, जबकि जिग्नेश न छोड़ने की सफाई देते फिर रहे हैं। अल्पेश तो पहले ही असहमति जता चुके हैं। नए आए 4 युवाओं में कन्हैया भी एक शामिल थे। एक जा चुके हैं, एक नाराज चल रहे हैं, परेशान और एक को चुप करा दिया गया है। ऐसे में वे कब तक चुप रह पाएंगे कयास लगाना कठिन है। फिर वे नेता भी गायब हो गए हैं जिन्होंने पार्टी की छवि को सुधारने में अहम भूमिका निभाई थी। इनमें बीवी श्रीनिवास शामिल हैं।

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कन्हैया को दी गई मौन-बूटी, कहा ज्यादा न बोलें

 

कन्हैया कुमार ऐसे नेताओं में सबसे आगे हैं, जिन्हें आशाओं और विश्वास के साथ कांग्रेस में लाया गया, लेकिन उन्हें फिलहाल मौन-बूटी खिला दी गई है। पहले तो उनकी ज्वाइनिंग राष्ट्रीय स्तर पर करवाई गई। बाद में उन्हें बिहार तक सीमित कर दिया गया। और अब बिहार में भी वॉल्यमू ऑफ कर दिया गया है। वामपंथ की पौधशाला में विकिसत कन्हैया कुमार को लेकर कांग्रेस इसलिए सहज रही है क्योंकि वह भाजपा को अच्छा घेर लेते हैं। लेकिन कांग्रेस इन दिनों बात के बतंगड़ों से परेशान है। परिणामस्वरूप कांग्रेस ने कन्हैया को मौन-बूटी दे रखी है।

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पीके या आप पर पैनी नजर

 

राजनीतिक पंडित कहते हैं, कन्हैया नीतीश पर आक्रामक होते-होते कहीं राजद पर न बोल पड़ें इसलिए उन्हें अभी शांत रहने को कहा है। राजद ने भी कन्हैया को लेकर कांग्रेस को आंखें दिखा रखी हैं। सूत्र बताते हैं कि कन्हैया हार्दिक के जाने से खुश हैं। भाजपा में उनके लिए फिलहाल जगह नहीं है, लेकिन रास्ते बंद भी नहीं किए गए हैं। कन्हैया को लेकर राजनीतिक पंडितों की यह भी मान्यता है कि वे लेफ्टिस्टों का कांग्रेस में इंस्टॉल इक्विपमेंट हैं। इसलिए कहीं नहीं जाएंगे। परंतु कुछ विश्लेषक मानते हैं कन्हैया 2025 के चुनाव तक अगर आम आदमी पार्टी मजबूती होती दिखी या प्रशांत किशोर किसी दिशा में गए तो वे इस तरफ भी सोच सकते हैं।

 

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श्रीनिवास बने सितारे, लेकिन रजतपट से ही गायब

 

कोरोना के दौरान जो दवाएं कहीं नहीं मिलती थी, जिसे कहीं से मदद नहीं होती थी वह श्रनिवास के यहां चला जाता था। उस समय माहौल ऐसा था कि श्रीनिवास तेजी से लोकप्रिय होकर उभर रहे थे। श्रीनिवास जितने उभरे उतने ही गायब कर दिए गए। कांग्रेसी सूत्र मानते हैं बीवी श्रनिवास की लोकप्रियता से वे बड़े नेता बन रहे थे। कोरोना के दौरान बड़ी संख्या में उन्होंने अपने लोग तैयार किए। ऐसे में वह पार्टी के अंदर दूसरे बड़े नेताओं के लिए चुनौति बन रहे थे। नतीजा ये हुआ कि उन्हें गायब कर दिया गया।

 

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एक्सपर्ट बयान

राजनीतिक मामलों के जानकार रमेश ठाकुर कहते हैं कांग्रेस के बुजुर्ग और बड़े नेताओं को नए लोगों से डर लगता है। वे अपनी पॉजिशन खोने और अप्रासंगिक होने के भय से इन्हें प्रश्रय नहीं देते। पार्टी में संगठनात्मक ढांचा बिखरा पड़ा है। कोई एक राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं है तो वह कहां कोई निर्णय लेंगे। नतीजे के रूप में हमारे सामने बिखरा हुआ विपक्ष नजर आता है। कांग्रेस में अनुभवी नेताओं के अनुभव को इस्तेमाल करने की जरूरत है। साथ में क्षमतावान नेताओं को फुल लेंथ में खोलने की जरूरत है।