राज्यसभा चुनाव 2022: 15 राज्य 57 सीटों का दंगल...देखें IBC पीडिया पर |

राज्यसभा चुनाव 2022: 15 राज्य 57 सीटों का दंगल…देखें IBC पीडिया पर

15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश की 11, महाराष्ट्र, तमिलनाडु की 6-6, बिहार की पांच, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान की चार-चार, ओडिशा, मध्य प्रदेश की तीन-तीन, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब की दो-दो और उत्तराखंड की एक सीट शामिल है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : June 2, 2022/6:49 pm IST

Rajyasabha election 2022: नई दिल्ली। देश भर के 15 राज्यों में राज्यसभा के लिए 57 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है। यह चुनाव आम चुनाव की तरह दिलचस्प नजर आ रहा है। दिलचस्प ​इसलिए कि राज्यसभा में जाने के लिए कपिल सिब्बल जैसे कद्दावर नेता कांग्रेस छोड़कर सपा की सहायता मांग रहे हैं। तो वहीं, भाजपा कांग्रेस की परेशानी बढ़ाने के लिए अपने कोटे से ज्यादा सीटों पर दांव खेल रही है। इतना ही नहीं भाजपा उन निर्दलीयों को समर्थन दे रही हैं, जो कांग्रेस को चुनौती पेश कर रहे हैं। जाहिर है कि 10 जून को कई राज्यों के नतीजों पर देशभर के लोगों की नजरें रहेंगी।

15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश की 11, महाराष्ट्र, तमिलनाडु की 6-6, बिहार की पांच, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान की चार-चार, ओडिशा, मध्य प्रदेश की तीन-तीन, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब की दो-दो और उत्तराखंड की एक सीट शामिल है।

यहां हम आपको 15 राज्यों की सभी 57 सीटों की पूरी सूची दे रहे हैं, इस जिससे आप समझ सकेंगे कि किस राज्य में कितनी सीटों पर चुनाव हो रहा है और वहां किस पार्टी ने कितनी सीटों पर और किसे खड़ा किया है।

46 सीटों पर निर्विरोध उम्मीदवार

देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया मंगलवार को खत्म हो गई, यूपी, बिहार, पंजाब सहित 12 राज्यों की 46 राज्यसभा सीटों पर निर्विरोध चुना जाना तय है, जहां पर सियासी परिस्थितियां ऐसी बनी है कि चुनाव की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में सियासी घमासान होगा क्योंकि निर्धारित सीट से ज्यादा उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर तीन जून को नाम वापसी की अंतिम तारीख पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

हरियाणा में कांग्रेस की चिंता बढ़ी

हरियाणा की दो राज्यसभा सीटों के लिए तीन उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, बीजेपी से कृष्णलाल पवार और कांग्रेस से अजय माकन ने नामांकन दाखिल किया। वहीं, पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा के निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर पर्चा भरने से मुकाबला रोचक हो गया है। बीजेपी की सहयोगी जेजेपी ने कार्तिकेय शर्मा को समर्थन देने का ऐलान किया है।

सूबे की विधानसभा में कुल 90 सीट हैं, जिनमें से बीजेपी 40 विधायक, कांग्रेस के 31 विधायक, जेजेपी के 10 विधायक तो सात निर्दलीय विधायक हैं। इनेलो का एक विधायक और एक अन्य का विधायक है, इस तरह से एक राज्यसभा सीट के लिए 31 वोटों की जरूरत पड़ेगी। बीजेपी के एक सीट जीतने के बाद 9 एक्सट्रा वोट बचेंगे जबकि कांग्रेस के सभी विधायक अगर एकजुट रहे तो अजय माकन जीत सकते हैं, लेकिन जिस तरह से जेजेपी, बीजेपी कार्तिकेय साथ आए हैं, इससे कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है। साथ ही अब निर्दलीय और अन्य विधायकों को साधने की कवायद दोनों तरफ से होगी।

राजस्थान में सबसे रोचक फाइट

Rajyasabha election 2022: यहां राज्यसभा का चुनाव सबसे ज्यादा दिलचस्प हो गया है। 4 सीट पर होने वाले चुनाव के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार मैदान में हैं। हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सदस्य और मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा की एंट्री से चुनाव सीधा नहीं रह गया है। उन्होंने भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल किया है। अब तक कांग्रेस तीन सीटें आसानी से जीतती दिख रही थी। कांग्रेस की ओर से मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला तो भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने नामांकन कर दिया है।

राजस्थान में कुल 200 विधायक हैं, ऐसे में एक राज्यसभा सीट के जीत के लिए 41 वोट चाहिए, बीजेपी के पास फिलहाल 71 विधायक हैं जबकि कांग्रेस पास 109 विधायक हैं, इस तरह बीजेपी के घनश्याम तिवाड़ी के 41 वोट के साथ जीत तय है और उसके बाद 30 वोट अतिरिक्त बचते हैं, वहीं, कांग्रेस के पास फिलहाल 109 विधायकों के अलावा 13 निर्दलीय, 2 सीपीएम और दो बीटीपी के विधायक हैं। वहीं, तीन विधायक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हैं, कांग्रेस की दो सीटें तो कन्फर्म हैं, जिसके बाद 27 अतरिक्त वोट बचेंगे। ऐसे में कांग्रेस को तीसरी सीट जीतने के लिए 14 वोट चाहिए होंगे तो बीजेपी के समर्थन के बाद सुभाष चंद्रा को 11 वोट तलाशना होगा।

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना में शह-मात

महाराष्ट्र की छह राज्यसभा सीट पर 7 प्रत्याशी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, जिसके चलते छठी सीट पर पेच फंस गया है। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल सुखदेवराव बोंडे और धनंजय महादिक को उम्मीदवार बनाया है, शिवसेना से संजय राउत और संजय पवार मैदान में हैं, जबकि एनसीपी से प्रफुल पटेल और कांग्रेस से इमरान प्रतापगढ़ी मैदान में हैं।

शिवाजी महाराज के वंशज छत्रपति संभाजी राजे भी राज्यसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें किसी भी दल से समर्थन नहीं मिला तो चुनाव नहीं लड़े, विधानसभा के संख्याबल के अनुसार बीजेपी दो सीटें, एक-एक सीट पर एनसीपी, कांग्रेस, शिवसेना की जीत कन्फर्म है। इस तरह से 6वीं सीट के लिए बीजेपी और शिवसेना के बीच सियासी घमासान होगा, ऐसे में देखना है कि बीजेपी और शिवसेना में कौन सियासी बाजी मारता है।

UP में 11 सदस्य निर्विरोध चुने जाएंगे

उत्तर प्रदेश की 11 राज्यसभा सीटों पर उतरे उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय है, बीजेपी के टिकट पर आठ प्रत्याशी मैदान में है तो सपा कोटे से तीन उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, बीजेपी से लक्ष्मीकांत बाजपेयी, राधा मोहन दास अग्रवाल सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद, दर्शना सिंह, संगीता यादव, मिथिलेश कुमार और के लक्ष्मण मैदान में है, सपा ने दोबारा से जावेद अली खान को प्रत्याशी बनाया है तो निर्दलीय कपिल सिब्बल और आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी को समर्थन दिया है। 11 राज्यसभा सीट के लिए 11 प्रत्याशी ही मैदान में है, जिसके चलते चुनाव की स्थिति नहीं बन रही है, इसके चलते सभी का निर्विरोध चुना जाना तय है।

बिहार-झारखंड-छत्तीसगढ़-पंजाब

बिहार में पांच राज्यसभा सीटों पर पांच प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं, जिसके चलते वोटिंग की स्थिति नहीं बनी बन रही, बीजेपी से उतरे शंभु पटेल और सतीष चंद्र दुबे मैदान में हैं तो जेडीयू से खीरू महतो चुनाव लड़ रहे हैं। आरएजेडी से मीसा भारती और फैयाज अहमद उम्मीदवार हैं। ऐसे में इन सभी पांचों का निर्विरोध चुना जाना तय है। ऐसे ही छत्तीसगढ़ की दो सीटों पर दो ही प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस से रंजीता रंजन और राजीव शुक्ला प्रत्याशी हैं, जिनका निर्विरोध चुना जाना तय है।

झारखंड की दो राज्यसभा सीट पर दो ही उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, जिसके चलते चुनाव की स्थिति नहीं बन रही, बीजेपी से आदित्य साहू तो कांग्रेस से महुआ मांझी मैदान में है, जिनका निर्विरोध चुना जाना तय है। वहीं, पंजाब की दो सीटों पर दो ही प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल किया। आम आदमी पार्टी से मशहूर पर्यावरण प्रेमी पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल और समाज सेवी पद्मश्री विक्रमजीत साहनी ने राज्यसभा का नामांकन दाखिल किया है, जिनका निर्विरोध चुना जाना तय है।

मध्य प्रदेश-ओडिशा-उत्तराखंड में भी निर्विरोध

ओडिशा से राज्यसभा की चार सीटों पर चार उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, बीजेडी से सुलता देव, मानस रंजन मंगराज, डा. सस्मित पात्र और निरंजन बिशी ने राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया है, जिनका निर्विरोध जीतना तय माना जा रहा है। ऐसे ही मध्य प्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों 3 ही प्रत्याशी ने नामांकन पत्र दाखिल किया। कांग्रेस से विवेक तन्खा जबकि बीजेपी से सुमित्रा वाल्मीकि और कविता पाटीदार मैदान में हैं, जिनका जीतना तय है। उत्तराखंड की एकलौती राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी से कल्पना सैनी मैदान में है, जिनके खिलाफ कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इस तरह से कल्पना सैनी का भी निर्विरोध चुना जाना तय है।

तेलंगाना-आंध्र प्रदेश-कर्नाटक-तमिलनाडु

दक्षिण भारत के चार राज्यों की राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जहां पर सभी का निर्विरोध चुना जाना तय है, कर्नाटक की चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से तीन सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी हैं तो कांग्रेस के जयराम रमेश मैदान में हैं. ऐसे में चारों सदस्यों का निर्विरोध चुना जाना तय है। ऐसे ही आंध्र प्रदेश की चार सीटों पर चार ही प्रत्याशी हैं, वाईएसआर कांग्रेस के चार प्रत्याशी मैदान में है, जिनका निर्विरोध जीतना तय है। तेलंगाना की दो सीटों पर दो ही प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों ही सीटों पर टीआरएस के प्रत्याशी का निर्विरोध चुना जाना तय है। इसी तरह से तमिलनाडू की छह राज्यसभा सीटों पर छह प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं, जिसके चलते सभी का निर्विरोध चुना जाना तय है। डीएमके के 3 सदस्यों, कांग्रेस से पी चिंदबरम और एआईडीएमके के दो सदस्यों का उच्च सदन पहुंचना तय है।

ये हैं भाजपा के प्रत्याशी

भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने विभिन्न राज्यों में होने वाले आगामी राज्यसभा चुनाव 2022 के लिए निम्नलिखित नामों पर अपनी मुहर लगाई है।

कांग्रेस ने इन्हे बनाया उम्मीदवार

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस उम्मीदवारों के रूप में निम्नलिखित व्यक्तियों की उम्मीदवारी को उनके नामों के सामने उल्लिखित राज्यों से चुनाव लड़ने के लिए मंजूरी दी है।

किस राज्य में एक सीट जीतने के लिए कितने वोट की जरूरत?

1. उत्तर प्रदेशः 11 सीटों के लिए चुनाव हैं, एक सीट के लिए 34 वोट की जरूरत है।

2. महाराष्ट्रः 6 सीटों पर चुनाव, एक सीट जीतने के लिए 42 वोट की जरूरत है।

3. तमिलनाडुः 6 सीटों के लिए चुनाव, एक पर जीत के लिए 41 वोट चाहिए है।

4. बिहारः 5 सीटों पर चुनाव है, एक सीट जीतने के लिए 41 वोट की जरूरत है।

5. आंध्र प्रदेशः यहां 4 सीटों के लिए चुनाव हैं, एक सीट जीतने के लिए 36 वोट चाहिए है।

6. कर्नाटकः यहां भी 4 सीटों पर चुनाव, एक सीट के लिए 45 वोटों की जरूरत है।

7. राजस्थानः यहां पर भी 4 सीटों पर चुनाव, एक सीट जीतने के लिए 41 वोट चाहिए है।

8. मध्य प्रदेशः 3 सीटों पर चुनाव होने हैं, एक सीट के लिए 76 वोटों की जरूरत है।

9. ओडिशाः यहां भी 3 सीटों पर चुनाव, एक सीट जीतने के लिए 38 वोट चाहिए है।

10. पंजाबः 2 सीटों पर चुनाव होने हैं, एक सीट के लिए 40 वोट की जरूरत है।

11. हरियाणाः 2 सीटों पर चुनाव हैं, एक सीट के लिए 31 वोट चाहिए है।

12. झारखंडः यहां भी 2 सीट पर चुनाव होने हैं, एक सीट के लिए 27 वोट की जरूरत है।

13. छत्तीसगढ़ः यहां पर भी 2 सीट पर चुनाव हैं, एक सीट के लिए 31 वोट चाहिए है।

14. तेलंगानाः 2 सीटों पर चुनाव है, एक सीट जीतने के लिए 30 वोट की जरूरत है।

15. उत्तराखंडः सिर्फ एक सीट पर चुनाव होने हैं, उसे जीतने के लिए 36 वोट चाहिए है।

राज्यसभा चुनाव की निर्वाचन प्रक्रिया

राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं, इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं। किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है। जैसे, सबसे ज्यादा आबादी उत्तर प्रदेश की है, तो वहां 31 सीटें हैं। जबकि, कई छोटे-छोटे राज्यों में एक-एक ही सीट हैं।

राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन होता है, इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है, हर दो साल में इसके दो तिहाई सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाता है, इसलिए हर दो साल में इसका चुनाव होता है। इसका चुनाव भी अलग तरह से होता है। राज्यसभा के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं। इनमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डालते, हालांकि, कुछ ही राज्यों में विधान परिषद की व्यवस्था है, राज्यसभा चुनाव में वोटिंग का एक फॉर्मूला होता है।

1. राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र कोई भी खरीद सकता है।

2. नामांकन पत्र की कीमत 1 रुपये होती है।

3. नामांकन पत्र तभी स्वीकार होगा जब आपके पास 10 विधायक प्रस्तावक के तौर पर मौजूद हों।

4. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि विधानसभा के जो सदस्य होते हैं वही प्रस्तावक हो सकते हैं विधान परिषद के सदस्य प्रस्तावक नहीं हो सकते।

5. राज्यसभा के चुनाव में विधानसभा के ही सदस्य यानी विधायक ही वोट देते हैं, विधान परिषद के सदस्य राज्यसभा के चुनाव में वोट नहीं डालते।

6. वोटिंग की स्थिति में राज्यसभा चुनाव में प्रेफ्रेंसिएल वोटिंग होती है यानी प्रथम वरीयता, द्वितीय वरीयता के आधार पर विजेता चुना जाता है।

7. राज्य सभा चुनाव के लिए एक उम्मीदवार को कितने वोट की जरूरत है इसका फार्मूला यह है कि उस प्रदेश की विधानसभा की कुल सीटें और वहां राज्यसभा की कितनी सीटों पर चुनाव होना है उसे उससे भाग दे देते हैं और जो संख्या आती है उसमें 1 जोड़ देते हैं। जैसे यूपी में 403/11+1 यानी 36.63+1 = 37.63, इसका मतलब यूपी में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 वोट चाहिए।

जानिए कैसे होता है चुनाव?

राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की प्रक्रिया पूरी तरह से अन्य चुनावों से अलग होती है, राज्यसभा चुनाव में बैलेट पेपर पर चुनाव निशान नहीं बल्कि कैंडिडेट के नाम होते हैं, बैलेट पेपर पर उम्मीदवार के नाम के सामने मुहर नहीं लगाना होता और न ही किसी तरह का स्केच पेन से मतपत्र पर मूल्यांकन कर मतदान करना होता है, मतदाता अन्य चुनावों में किसी एक प्रत्याशी को वोट देता है, लेकिन राज्यसभा चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में वोट देने का विकल्प रहता है।

राज्यसभा चुनाव में मतदान केंद्रों पर चुनाव कर्मियों द्वारा जो पेन दी जाएगी, उसी के जरिए मतदाताओं को बैलेट पेपर में अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे अंक लिखकर मतदान करना होता है, चुनाव में किसी भी हाल में मतदाता बैलेट पर ना तो हस्ताक्षर कर सकेंगे, ना ही अंगूठे का निशान लगा सकेंगे। मतदाताओं के लिए स्पष्ट निर्देश होता कि वे यदि मतपत्र पर हस्ताक्षर करते हैं या अंगूठे का निशान लगाते हैं तो उनका मत अवैध हो जाएगा।

जानिए राज्यसभा का इतिहास?

राज्यसभा का इतिहास 1919 से मिलता है, ब्रिटिश इंडिया में उस समय एक ऊपरी सदन बनाया गया था, तब इसे काउंसिल ऑफ स्टेट कहा जाता था। आजादी के बाद 3 अप्रैल 1952 को राज्यसभा का गठन किया गया, 23 अगस्त 1954 को इसका नाम काउंसिल ऑफ स्टेट से बदलकर राज्यसभा कर दिया गया।

 
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