IBC24 Mind Summit: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर आज मध्य भारत का सबसे बड़ा और विश्वसनीय न्यूज चैनल आईबीसी 24 छत्तीसगढ़ सरकार को ‘माइंड समिट’ के तौर पर मंच प्रदान कर रहा है। इस समिट में हम छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों से जहां उनके दो साल के अनुभव पर चर्चा कर रहे हैं, तो वहीं आने वाले तीन सालों के लिए विकास और जनकल्याण के रोडमैप को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं।
इस दौरान आईबीसी24 के मंच पर आज वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने सरकार की दो साल की उपलब्धियां बताई और कई सवालों के जवाब भी दिए।
जब ओपी चौधरी से यह पूछा गया कि इस सरकार में बहुत महत्वपूर्ण मंत्री आप माने जाते हैं। कुछ निर्णय हाल के अगर हम देखें जैसे जमीन की गाइडलाइन को लेके था, या बिजली बिल, क्योंकि फाइनेंस का ही सारा मामला है, भले विभाग अलग हो उसके दाम आपको दोबारा कम करने पड़े, जमीन की गाइडलाइन पे वापस होना पड़ा। ये निर्णय लेने में कुछ गड़बड़ी हो रही है क्या?
IBC24 Mind Summit: इस पर मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि गाइडलाइन मेरे विभाग से संबंधित है, उस पे मैं जवाब दूंगा। बिजली, एनर्जी सीएम साहब के पास है, तो गाइडलाइन के बारे में मैं आपको जवाब देना चाहूंगा कि इस पे जो 12-13 हजार करोड़ के भारत सरकार के प्रोजेक्ट यहां पर रुके थे, क्योंकि वो स्क्वायर फीट रेट अलग होता था। हेक्टेयर रेट अलग होता था। टुकड़े-टुकड़े करके बहुत ज्यादा एक्विजिशन का वैल्यू क्रिएट करके बड़े-बड़े स्कैम कर लेते थे। उसके कारण ईओडब्ल्यू में भी केस हुए, भारतमाला का स्कैम हुआ। इस तरह की चीजें हुई उसके कारण भारत सरकार में 13000 करोड़ के प्रोजेक्ट लगभग वहां पे अटके हुए थे।
इसलिए मुख्यमंत्री साहब जब दिल्ली गए तो उनको वहां कहा गया कि इसका कुछ समाधान करिए। तो फिर चीफ सेक्रेटरी साहब की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई। उस कमेटी ने रिकमेंड किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्वायर फीट रेट को समाप्त किया जाए और उसके और उसमें जो जो भी रेट है उसको कंपनसेट करने के लिए हेक्टेयर में उसी अनुपात में थोड़ा वृद्धि किया जाए। वो थोड़ा वृद्धि क्योंकि स्क्वायर फीट रेट हेक्टेयर रेट में 12 से 15 गुना का डिफरेंस होता था। इसलिए वो तीन चार गुना हुआ है। तो मैं इतना कहना चाहूंगा कि हम ऑलरेडी सारे लोगों के साथ डिस्कशन में हैं। हर पॉजिटिव चीज के लिए हम ओपन है। बट एट द सेम टाइम काले धन का नियंत्रण करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। उसके साथ किसानों को गाइडलाइन रेट बढ़ा करके इंडस्ट्रियल जहां पर एक्विजिशन हो रहे हैं वहां पर किसानों को अधिकाधिक मुआवजा मिले। इसके लिए गाइडलाइन रेट बढ़ाना भी वहां पर जरूरी है।
काला धन को नियंत्रित करना हो। किसानों को उचित मुआवजा मिलना हो। मध्यम वर्ग के आदमी को तो कोई कच्चा पक्का करना नहीं है। उसको होम लोन लेने जाना है तो होम लोन लेने जाना है तो उसको अच्छा होम लोन मिल सके और इसके साथ ही रियलस्टेट सेक्टर को भी परेशानी ना हो। तो जो बदलाव होने थे वो हो चुके हैं। अब आपको लगता है नहीं जो बदलाव होने थे शहरी क्षेत्र में हमने बहुत सारे स्टेप लिए हैं इसमें। हम रिफॉर्म्स के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हम रिफॉर्म्स के लिए हमेशा ओपन रहते हैं कि ऐसी भी चीजें जो मध्य प्रदेश जमाने से समस्या चली आ रही थी।
मैं कहना चाहूंगा कि जो अपार्टमेंट्स हैं उसमें जो फ्लैट्स की रजिस्ट्री होती थी वो सुपर बिल्ट अप एरिया के आधार पर होती थी। मतलब कॉमन एरिया का भी रजिस्ट्री में जोड़ा जाता था। अभी उसको केवल बिल्ट अप एरिया में हमने लागू कर दिया। 10,000 कंडिकाएं थी जो भ्रष्टाचार करने के लिए उल्टी सीधी चीजें करने के लिए थी। उसमें काफी रिफॉर्म किए गए हैं। तो ये जो चीजें हुई कुछ तो इतना बड़ा एक्सरसाइज हुआ है। 2 से 5% एरिया में कुछ मिस्टेक हो सकते हैं। टेक्निकल मिस्टेक्स हैं। उसको ठीक करने के लिए हमने 31 दिसंबर तक जिला मूल्यांकन समिति के लिए को निर्देशित किया। उसके बाद केंद्रीय मूल्यांकन समिति बैठ के उन चीजों को बैलेंस करके ठीक करेगी।