जमीन, मकान या दुकान की रजिस्ट्री के बाद अब नहीं लगाने पड़ेंगे तहसील दफ्तर के चक्कर, ऑटोमैटिक हो जाएगा संपत्ति का नामांतरण
registration of land: तहसील ऑफिस में बिना पैसे खर्च किए नामांतरण कराना लगभग नामुमकिन था, लेकिन सरकार ने अब इस सिस्टम को ही खत्म कर दिया है।
CG Hindi News/ Image source: IBC24 File Image
- हर तरह की संपत्ति के लिए लागू हुआ नियम
- आम जनता के लिए बड़ी राहत की बात
- तहसीलदार वर्ग में नाराजगी के स्वर
रायपुर: registration of land, छत्तीसगढ़ में जमीन समेत अन्य संपत्तियों की खरीद बिक्री सिस्टम में सरकार ने बड़ा फेरबदल कर दिया है। जमीन, मकान या दुकान की रजिस्ट्री के बाद अब किसी को भी नामांतरण के लिए तहसील दफ्तरों का चक्कर काटना नहीं होगा। रजिस्ट्री के बाद अब सीधे नामांतरण हो जाएगा। राजपत्र में प्रकाशन के साथ ये सिस्टम अब प्रदेश में लागू भी हो गया है।
राजस्व मामलों में एक के बाद एक सुधार कर रही साय सरकार की नई कोशिश प्रदेश के लाखों –करोड़ों लोगों के लिए बड़ी राहत कही जाएगी। जमीन, मकान, या दुकानों की रजिस्ट्री के बाद उसका नामांतरण कराने में क्या पापड़ बेलने पड़ते थे। इसे प्रदेश का लगभग हर शख्स कभी ना कभी अपने जीवन में महसूस जरूर किया होगा। तहसील ऑफिस में बिना पैसे खर्च किए नामांतरण कराना लगभग नामुमकिन था, लेकिन सरकार ने अब इस सिस्टम को ही खत्म कर दिया है।
हर तरह की संपत्ति के लिए लागू हुआ नियम
अब किसी जमीन, मकान या दुकान की रजिस्ट्री होते ही, नए खरीददार के नाम पर संपत्ति का नामांतरण ऑटोमैटिक रूप से हो जाएगा। रजिस्ट्री के बाद अब तक नामांतरण के लिए तहसील ऑफिस जाना पड़ता था, लेकिन अब रजिस्ट्री करने वाले सब रजिस्ट्रार को ही नामांतरण का अधिकार दे दिया गया है। यानी जो अधिकारी संपत्ति की रजिस्ट्री करेंगे, उन्हीं के जरिए ऑटोमैटिक रूप से संपत्ति का नामांतरण भी हो जाएगा। और ये सिस्टम किसी खास तरह की फ्लैट, प्लॉट, या जमीन के लिए नहीं, बल्कि हर तरह की संपत्ति के लिए लागू कर दिया गया है।
आम जनता के लिए बड़ी राहत की बात
प्रदेश की सरकार इस नए बदलाव को आम जनता के लिए बड़ी राहत बता रही है। संपत्तियों की रजिस्ट्री के बाद उसका नामांतरण कराने के नाम पर करीब हजार करोड़ का अवैध कारोबार पूरे प्रदेश में चल रहा था। अगर हर तरह के विवाद से रहित प्रॉपर्टी हो तब भी 10-15 हजार रुपये खर्च किए बिना तहसील ऑफिस से उसका नामांतरण नहीं हो पाता था। अगर किसी संपत्ति में कोई सीमा या स्वामित्व विवाद हो तो फिर नामांतरण के लिए लाखों रुपये तक वसूल लिए जाते थे। जो पैसे नहीं देते, उनका नामांतरण रोक दिया जाता था।
रायपुर में ही एक केस सामने आया जिसमें नामांतरण में देरी के चलते खरीददार का नाम चढा नहीं, और जमीन के पुराने मालिक ने उसे फिर किसी और को बेच दिया। ना सिर्फ जमीन बिक भी गई बल्कि किसी और के नाम पर चढ़ भी गई, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
तहसीलदार वर्ग में नाराजगी के स्वर
हालांकि, सरकार के इस फैसले का एक तबका विरोध भी कर रहा है, खासकर तहसीलदार वर्ग में नाराजगी के स्वर हैं। कहा ये भी जा रहा है कि जब नामांतरण सब रजिस्ट्रार करेगा तो विवादित जमीन या संपत्तियों का मामला कौन सुनेगा। अब तक नामांतरण, बटांकन, सीमांकन जैसे केस कलेक्टर चेन में चलते थे, सब रजिस्ट्रार को क्या इस चेन में लाया जाएगा?

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