Amalaki Ekadashi 2025: सुहागिन महिलाएं इस दिन रखेगी आमलकी एकादशी का व्रत, यहां जानें पूजा विधि और महत्व
Amalaki Ekadashi 2025: सुहागिन महिलाएं इस दिन रखेगी आमलकी एकादशी का व्रत, यहां जानें पूजा विधि और महत्व
Amalaki Ekadashi 2025/ Image Credit: IBC24 File
- 10 मार्च को मनाया जाएगा आमलकी एकादशी
- इस व्रत को आमलकी एकादशी और आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है
नई दिल्ली। Amalaki Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में तीज-त्योहारों के साथ ही एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह में दो एकादशी होती हैं, जिससे वर्ष में कुल 24 एकादशी का आयोजन होता है। प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। वहीं फाल्गुन शुक्ल एकादशी के व्रत को आमलकी एकादशी और आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस साल आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को मनाया जाएगा। तो चलिए जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
तिथि और मुहूर्त
आमलकी एकादशी तिथि की शुरुआत 09 मार्च को रात 07 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। इस हिसाब से10 मार्च को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
आमलकी एकादशी का महत्व
मान्यता है कि, आमलकी एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवले के पेड़ की भी पूजा करते हैं। यह सभी पापों को नष्ट करने वाला शुभ वृक्ष है। इस दिन जो आंवले के पेड़ को स्पर्श करता है उसे दोगुना फल मिलता है, जो आंवला खाता है उसे तिगुना फल मिलता है।
पूजा विधि
साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
साफ व पीले रंग के कपड़े पहनें।
एक वेदी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
देसी घी का दीपक जलाएं।
श्री हरि का अभिषेक करें।
उन्हें पीले फूलों की माला चढ़ाएं और गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
पूजा में तुलसी पत्र जरूर शामिल करें।
भगवान विष्णु को पंचामृत, फल और मखाने की खीर या घर पर बनी कोई भी मिठाई का भोग लगाएं।
आमलकी एकादशी कथा का पाठ और विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें।
आरती से पूजा को पूरी करें और परिवार के सभी सदस्यों में पंचामृत बांटें।
इस दिन चावल खाने से बचें।
अगले दिन प्रसाद से व्रत का पारण करें।
शाम के समय भी विधिपूर्वक पूजा करें।

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