Girls students periods check : पीरियड चेक करने के लिए स्कूल प्रिसिंपल ने नाबालिग छात्राओं के इनर वियर उतरवाए, अभिभावकों ने किया हंगामा

Minor girls periods check in school: चपरासी ने छात्राओं की जांच की उन्हे पीरियड होता है या नहीं। स्कूल में हुई छात्राओं के साथ इस घटना के बाद अभिभावकों में नाराजगी है। स्कूल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई गई है।

  •  
  • Publish Date - July 10, 2025 / 02:35 PM IST,
    Updated On - July 10, 2025 / 02:39 PM IST

Minor girls periods check in school, image source: file

HIGHLIGHTS
  • चपरासी ने की 10 से 12 साल की लड़कियों की जांच
  • पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज
  • स्कूल के प्रिंसिपल और चपरासी गिरफ्तार

मुंबई: Minor girls periods check in school, अपने अजीबो करीब कारनामो के लिए महाराष्ट्र का एक स्कूल चर्चा में है। दरअसल, अपने हैरान करने वाले फैसले में स्कूल ने कक्षा 5 से 10 तक की नाबालिग लड़कियों को कथित तौर पर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया। इतना ही नहीं यहां पर चपरासी ने छात्राओं की जांच की उन्हे पीरियड होता है या नहीं। स्कूल में हुई छात्राओं के साथ इस घटना के बाद अभिभावकों में नाराजगी है। स्कूल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई गई है।

चपरासी ने की 10 से 12 साल की कुछ लड़कियों की जांच

Minor girls periods check in school, बताया जा रहा है कि यह घटना मंगलवार की है। जब स्कूल की प्रिंसिपल ने ज़्यादातर कक्षा 5 से 10 की छात्राओं को स्कूल हॉल में बुलाया और उन्हें बाथरूम के फर्श पर मिले खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाईं। जो कि तस्वीरें हाउसकीपिंग स्टाफ़ ने ली थीं। इसके बाद प्रिंसिपल ने छात्राओं को दो ग्रुपों में बांटने का आदेश दिया। एक वे जो पीरियड से गुज़र रही थीं और दूसरी वे जो नहीं थीं। एक महिला चपरासी को 10 से 12 साल की कुछ लड़कियों की जांच करने के लिए कहा गया, जिन्होंने कहा कि उन्हें मासिक धर्म नहीं हो रहा है।

जांच के दौरान चपरासी ने उनके अंडरवियर को छुआ और एक लड़की को सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करते हुए पाया, लेकिन वह उन लड़कियों के ग्रुप में शामिल थी जिन्होंने कहा था कि उन्हें मासिक धर्म नहीं हो रहा है। इसके बाद, प्रिंसिपल ने उसे अन्य छात्राओं और कर्मचारियों के सामने अपमानित किया और डांट लगाई गई।

पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज

Girls students periods check in school इस घटना के बारे में जानने के बाद नाराज अभिभावक स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए जमा हो गए। बुधवार को उन्होंने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत स्कूल के प्रिंसिपल, एक चपरासी, दो शिक्षकों और दो ट्रस्टियों सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। स्कूल के प्रिंसिपल और चपरासी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि पुलिस अन्य चार की जांच कर रही है।

read more:  Nimisha Priya will be hanged: इस मुस्लिम देश ने 17 भारतीय लोगों को सुनाई थी मौत की सजा, भारत ने सबको बचाया, क्या फांसी से बच पाएगी निमिषा प्रिया?

read more:  Indore news: हेड कांस्टेबल के साथ युवकों ने की मारपीट, विवाद होते देख गाड़ी रोक पहुंचे थे बीच बचाव करने..वीडियो वायरल 

यह घटना कहां और कब घटी?

उत्तर: यह घटना महाराष्ट्र के एक स्कूल में मंगलवार को घटी, जब कक्षा 5 से 10 तक की नाबालिग छात्राओं को मासिक धर्म (पीरियड्स) की जांच के लिए कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया। प्रिंसिपल और स्कूल स्टाफ ने यह कार्रवाई स्कूल के बाथरूम में मिले खून के धब्बों की जांच के बाद की।

स्कूल प्रशासन ने ऐसा शर्मनाक कदम क्यों उठाया?

उत्तर: स्कूल की प्रिंसिपल ने हाउसकीपिंग स्टाफ द्वारा बाथरूम के फर्श पर खून के धब्बों की तस्वीरें देखने के बाद यह कदम उठाया। उन्होंने छात्राओं को दो ग्रुप में बांटा — एक जो पीरियड्स से गुजर रही थीं और दूसरी जो नहीं। जांच के नाम पर एक महिला चपरासी को छात्राओं के इनरवियर चेक करने को कहा गया।

क्या किसी छात्रा को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया?

उत्तर: हाँ। एक छात्रा जिसने कहा कि उसे पीरियड्स नहीं हैं लेकिन उसके इनरवियर में सैनिटरी नैपकिन पाया गया, उसे प्रिंसिपल ने अन्य छात्राओं और स्टाफ के सामने डांटा और शर्मिंदा किया, जो कि बेहद अमानवीय और अपमानजनक है।

इस घटना के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई हुई है?

उत्तर: पोक्सो एक्ट (POCSO – Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रिंसिपल और महिला चपरासी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दो शिक्षकों और दो ट्रस्टियों सहित कुल छह लोगों पर मामला दर्ज है और बाकी के खिलाफ जांच जारी है।