Surendra Dubey Biography: सबको रुला गया हँसाने वाला! खामोश हुआ छत्तीसगढ़ का ब्लैक टाइगर

Surendra Dubey Biography: पद्मश्री सुरेंद्र दुबे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के ​कवि थे बल्कि वे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े कवि के रूप में भी जाने जाते थे। उनके निधन से छत्तीसगढ़ के हास्य एवं व्यंग्य विधा को बड़ी छति हुई है। कई जाने माने कवियों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है।

Surendra Dubey Biography: सबको रुला गया हँसाने वाला! खामोश हुआ छत्तीसगढ़ का ब्लैक टाइगर

Surendra Dubey passed away, image source: GS Video

Modified Date: June 26, 2025 / 07:31 pm IST
Published Date: June 26, 2025 5:43 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं सुरेंद्र दुबे
  • सम्मान, पहचान और साहित्यिक योगदान की विरासत
  • छत्तीसगढ़ के हास्य एवं व्यंग्य विधा को बड़ी छति

रायपुर: Surendra Dubey Biography, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री डॉ.सुरेंद्र दुबे का निधन हो गया है। हार्टअटैक से उनका निधन हो गया है। रायपुर के मेकाहारा स्थित एसीआई में उपचार के दौरान उनका निधन हुआ है। परिवार के करीबी ने उनके निधन की पुष्टि की है।

मिली जानकारी के अनुसार दो दिन पहले ही सुरेंद्र दुबे को हार्टअटैक आया था, जिसके बाद उन्हे उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। सुरेंद्र दुबे की निधन की खबर के बाद रायपुर कलेक्टर मेकाहारा के एसीआई सेंटर पहुंचे हैं। मंत्री ओपी चौधरी में एसीआई सेंटर पहुंचे हैं।

पद्मश्री सुरेंद्र दुबे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के ​कवि थे बल्कि वे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े कवि के रूप में भी जाने जाते थे। उनके निधन से छत्तीसगढ़ के हास्य एवं व्यंग्य विधा को बड़ी छति हुई है। कई जाने माने कवियों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है।

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Surendra Dubey Biography: कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं सुरेंद्र दुबे

Surendra Dubey Biography : आपको बता दें कि सुरेंद्र दुबे (Surendra Dubey) हास्य कविताओं के व्यंग्यवादी लेखक एवं कवि रहे हैं। वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने कई किताबें भी लिखी। वह कई मंचों और टेलीविजन शो पर दिखाई देते रहे हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में, देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं।

वैसे तो साहित्य में हास्य और व्यंग्य को अक्सर हल्के में लिया जाता है, लेकिन डॉ. दुबे जैसे कवियों ने इसे गंभीर साहित्यिक विधा बना दिया। उनकी कविताएं केवल हँसी नहीं देती थीं, वे लोगों को भीतर झाँकने का मौका भी देती थीं। मंच पर उनका आत्मविश्वास, प्रस्तुति की शैली और चुनी हुई शब्दावली श्रोताओं को बाँधकर रखती थी। वे कई राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों का हिस्सा रहे, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर भी उन्होंने अपनी उपस्थिति से कविताओं को घर-घर पहुँचाया। हास्य में गंभीर बात कहने की जो कला उन्होंने विकसित की, वह उन्हें समकालीन कवियों से विशेष पंक्ति में खड़ा करती है।

सम्मान, पहचान और साहित्यिक योगदान की विरासत

डॉ. दुबे को 2010 में भारत सरकार द्वारा देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री प्रदान किया गया। इससे पहले, 2008 में उन्हें काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्होंने पाँच पुस्तकें लिखीं, जो हास्य-व्यंग्य साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती हैं।

उनका मानना था कि कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समय का दस्तावेज़ भी होती है। डॉ. सुरेंद्र दुबे ने अपने व्यंग्य और हास्य से सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को छुआ। उन्होंने हमें सिखाया कि हँसी सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक क्रांति हो सकती है।

उनका निधन केवल एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं, बल्कि कविता मंचों की गूंज को एक ठहराव देने जैसा है। वह आवाज़, जो मंच पर आते ही तालियों से स्वागत पाती थी, अब सदा के लिए मौन हो गई है। डॉ. सुरेंद्र दुबे कई मंचों पर खुद को कभी ब्लैक टाइगर तो कभी ब्लैक डायमंड कहते थे। उनका डॉयलाग टाइगर अभी जिंदा है काफी लोगों को गुदगुदा जाता था।

छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के सशक्त प्रतिनिधि

डॉ. दुबे छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के सशक्त प्रतिनिधि माने जाते थे। उनकी हास्य शैली में सामाजिक व्यंग्य और चुटीले तर्क होते थे, जो हर वर्ग के लोगों को हँसी में डुबो देते थे। डॉ. दुबे न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश भर के साहित्य प्रेमियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। हास्य और व्यंग्य के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।

उनके निधन की खबर से साहित्यिक जगत, राजनीतिक हलकों और प्रशंसकों में गहरा शोक है। सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है। मुख्यमंत्री समेत कई केंद्रीय व राज्य स्तरीय नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें युगपुरुष बताया है।

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सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com