Image source: facebook Chandramohan Jha
नईदिल्ली: ED attaches assets worth Rs 20.28 crore of university chancellor पैसे लेकर फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने के मामले में केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। ED ने शिलांग में एक यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति और उनके परिवार के सदस्यों की करीब 20.28 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है।
ED के द्वारा जारी विज्ञप्ति में एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। कुर्क की गई संपत्तियों में नई दिल्ली में 19.28 करोड़ रुपये मूल्य की चार अचल संपत्तियां और बैंक बैलेंस के रूप में एक करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के अनुसार कुर्क किया गया है।
आपको बता दें कि शिलांग में ED के उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने 3 जुलाई को एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया था। जिसमें PMLA, 2002 के प्रावधानों के तहत सीएमजे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति चंद्रमोहन झा और उनके परिवार के सदस्यों की 20.28 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने की बात का जिक्र था।
ED ने बयान में कहा है कि ये अचल संपत्तियां 2013 और 2022 के बीच खरीदी गईं। वहीं बैंक बैलेंस को छिपाने की कोशिश करते हुए 16 दिसंबर, 2024 को धोखाधड़ी से उनके परिवार के एक सदस्य को ट्रांसफर कर दिया गया।
ईडी ने मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स शिलांग जिले के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) पुलिस थाने में सीएमजे विश्वविद्यालय के खिलाफ दर्ज एक एफआईआर के आधार पर जाँच शुरू की थी। यह शिकायत IAS अधिकारी एमएस राव ने राज्य के तत्कालीन राज्यपाल आरएस मूशाहरी के निर्देश पर दर्ज की थी, जो सीएमजे विश्वविद्यालय के अतिथि (विजिटर) थे।
ईडी ने अपने बयान में बताया कि, “सीआईडी द्वारा मामले की जांच में विश्वविद्यालय से संबंधित कई अनियमितताओं का पता चला, जिनमें डिग्रियां बेचना भी शामिल था। लेकिन मामला सिर्फ इतना ही नहीं था जिसके माध्यम से विश्वविद्यालय के हितधारकों ने अनुमानित 83 करोड़ रुपये की आपराधिक आय अर्जित की थी।”
गौरतलब है कि इससे पहले 31 मार्च 2017, 30 नवंबर 2021 और 11 जुलाई 2024 को अनंतिम कुर्की आदेश पारित किए गए और कुलाधिपति झा और उनके परिवार के सदस्यों के कब्जे में क्रमशः 27.66 करोड़ रुपये, 13.54 करोड़ रुपये और 7.56 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गयी थी। कुलाधिपति झा के विभिन्न परिसरों में अवैध आय के स्रोत का पता लगाने के लिए दिसंबर 2024 में तीन दिनों तक की गई तलाशी के बाद 1.15 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस भी ज़ब्त किया गया था।
इसी साल फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने सीएमजे विश्वविद्यालय को उसके ‘कुप्रबंधन, कुप्रशासन, अनुशासनहीनता और धोखाधड़ी के इरादे’ के कारण भंग करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद मेघालय सरकार ने शिक्षा संयुक्त सचिव डी. लिंगदोह को सीएमजे विश्वविद्यालय का प्रशासक नियुक्त किया ताकि राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित तरीके से विश्वविद्यालय को बंद किया जा सके। सीएमजे विश्वविद्यालय ने 2010 से 2013 के बीच करीब 20570 फर्जी डिग्रियां बांट दी।