A controversial order of the High Court

ब्रेस्ट पकड़ना और लड़की के पायजामे का नाड़ा खींचना रेप नहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कहा कि यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता की कमी दिखाता है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया।

ब्रेस्ट पकड़ना और लड़की के पायजामे का नाड़ा खींचना रेप नहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने उठाए सवाल

Grabbing the breast and pulling the string of a girl's pyjama is not rape, SC raises questions on the order of the High Court judge, image source: ibc24

Modified Date: March 26, 2025 / 05:43 pm IST
Published Date: March 26, 2025 5:41 pm IST
HIGHLIGHTS
  • पीड़िता के स्तनों को पकड़ने और उसके पायजामे की डोरी खींचने से बलात्कार का प्रयास नहीं
  • न्यायाधीश की संवेदनशीलता पर सवाल
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी

नईदिल्ली: A controversial order of the High Court, इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी तोड़ना बलात्कार के प्रयास का आधार नहीं बन सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए न्यायाधीश की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कहा कि यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता की कमी दिखाता है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया। अदालत ने विशेष रूप से फैसले के पैरा 21, 24 और 26 पर रोक लगाते हुए कहा कि इनमें की गई टिप्पणियां न तो कानून के अनुरूप हैं और न ही मानवीय दृष्टिकोण से उचित हैं।

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इस मामले को ‘वी द वुमन ऑफ इंडिया’ नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से भी इस पर जवाब मांगा है। साथ ही, एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सहयोग की मांग की गई है।

A controversial order of the High Court, गौरतलब है कि इससे पहले 24 मार्च को जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।

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यह विवादित फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने दिया था। उन्होंने दो आरोपियों, पवन और आकाश, द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए टिप्पणी की थी कि केवल पीड़िता के स्तनों को पकड़ने और उसके पायजामे की डोरी खींचने से बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता।

हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि यह कृत्य सिर्फ तैयारी नहीं, बल्कि बलात्कार के प्रयास की दिशा में आगे बढ़ चुका था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की कठोर आलोचना करते हुए इसे असंवेदनशील करार दिया और इस पर रोक लगा दी।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer और शिफ्ट इंचार्ज हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है।