ब्रेस्ट पकड़ना और लड़की के पायजामे का नाड़ा खींचना रेप नहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कहा कि यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता की कमी दिखाता है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया।

Grabbing the breast and pulling the string of a girl's pyjama is not rape, SC raises questions on the order of the High Court judge, image source: ibc24
- पीड़िता के स्तनों को पकड़ने और उसके पायजामे की डोरी खींचने से बलात्कार का प्रयास नहीं
- न्यायाधीश की संवेदनशीलता पर सवाल
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी
नईदिल्ली: A controversial order of the High Court, इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी तोड़ना बलात्कार के प्रयास का आधार नहीं बन सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए न्यायाधीश की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कहा कि यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता की कमी दिखाता है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया। अदालत ने विशेष रूप से फैसले के पैरा 21, 24 और 26 पर रोक लगाते हुए कहा कि इनमें की गई टिप्पणियां न तो कानून के अनुरूप हैं और न ही मानवीय दृष्टिकोण से उचित हैं।
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इस मामले को ‘वी द वुमन ऑफ इंडिया’ नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से भी इस पर जवाब मांगा है। साथ ही, एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सहयोग की मांग की गई है।
A controversial order of the High Court, गौरतलब है कि इससे पहले 24 मार्च को जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।
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यह विवादित फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने दिया था। उन्होंने दो आरोपियों, पवन और आकाश, द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए टिप्पणी की थी कि केवल पीड़िता के स्तनों को पकड़ने और उसके पायजामे की डोरी खींचने से बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि यह कृत्य सिर्फ तैयारी नहीं, बल्कि बलात्कार के प्रयास की दिशा में आगे बढ़ चुका था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की कठोर आलोचना करते हुए इसे असंवेदनशील करार दिया और इस पर रोक लगा दी।