देखिए राऊ विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:49 pm IST
Published Date: October 12, 2018 2:10 pm IST

इंदौर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है मध्यप्रदेश के राऊ विधानसभा सीट कीइंदौर की राऊ विधानसभा सीट की सियासत बड़ी दिलचस्प है। 2008 में बनी इस सीट से अब तक एक बार बीजेपी को मौका मिला है, तो दूसरी बार कांग्रेस को। यहां की सियासत दो दोस्त जीतू पटवारी और जीतू जिराती के बीच ही घूमती रही है। ग्रामीण और शहरी इलाकों से बनी इस विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे भी अलग-अलग मुद्दे भी है। विधायक के तौर पर पिछले दिनों में जीतू पटवारी ने पार्टी मे अपना कद बढ़ाया है, तो वहीं, दूसरी और बीजेपी इंदौर में एक मात्र कांग्रेस सीट पर किसी भी हाल में काबिज होना चाहती है।

राऊ की राजनीति में इन दो सूरमाओं के बीच ही भिड़ंत होती रही है और पिछले दो चुनावों में दोनों ने एक-एक चुनाव जीत कर बाजी को बराबरी पर ला खड़ा किया हैजाहिर है एक गांव से आने वाले ये दोनों सूरमा अच्छे दोस्त हुआ करते थेयहां तक ही दोनों ने पढ़ाई भी एक साथ की और राजनीति भी एक साथ शुरू की। जीतू जिराती ने जहां बीजेपी का दामन थामते हुए भाजपा युवा मोर्चा से राजनीति की शुरूआत की तो वहीं, जीतू पटवारी ने यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कमान संभाल लीआज सियासी मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ राजनीति की जंग लड़ रहे हैं।

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राऊ विधानसभा सीट को इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों में सबसे अहम सीट माना जाता है। 2008 में परिसीमन के आधार पर इसका गठन किया गया है। राऊ विधानसभा सीट को शहर की तीन विधानसभा सीट क्रमांक 5, विधानसभा क्रमांक 4 और ग्रामीण विधानसभा देपालपुर को तोड़कर बनाया गया है। राऊ में ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाका आते हैं। सीट के छोटे से सियासी इतिहास की बात की जाए तो 2008 में राऊ की जनता ने पहला मौका बीजेपी प्रत्याशी जीतू जिराती को दिया। लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस से जीतू पटवारी ने अपनी हार का बदला लेते हुए जीतू जिराती को 18559 वोटों से मात देकर पिछली हार का बदला लियाइस चुनाव में कांग्रेस को जहां 91885 मत मिले वहीं बीजेपी को 73326 वोट मिले।

राऊ के जाति समीकरण पर नजर डाले तो 3 लाख 5 हजार मतदाता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में खाती समाज के वोटर्स सबसे ज्यादा हैंजीतू पटवारी और जीतू जिराती भी इसी समाज से आते हैंइसके अलावा शहरी इलाके में मराठी, ब्राह्मण और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

राऊ में एक बार फिर सियासी माहौल गरमाने लगा हैबीजेपी-कांग्रेस यहां बढ़त बनाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैंहालांकि पिछली जीत के बाद कांग्रेसी विधायक के तौर पर जीतू पटवारी ने अपना कद खासा बढ़ा लिया है। विधायक के तौर पर लगातार जनता के बीच संवाद कायम है, किसान आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया तो वहीं पार्टी में भी बड़े पद पर हैं। इस वजह से इस बार राऊ विधानसभा सीट पर बीजेपी किसी भी कीमत में काबिज होना चाहती है। लिहाजा, बीजेपी यहां कोई बड़ा फैसला ले सकती है।

राऊ में अगला विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा, ये तो तय हैविकास ही यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। हाल के दिनों में लोगों की समस्या को देखते हुए कई काम तो किए गए है। लेकिन फिर भी शहरी और ग्रामीण इलाके में पेयजल, शिक्षा, खेल और किसानों की समस्या बड़ा मुद्दा है। जाहिर है बीजेपी इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस विधायक को घेरने के फिराक में है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र से मिलकर बनी राऊ विधानसभा में वैसे तो मुद्दों की कमी नहीं है। लेकिन आगामी चुनाव में यहां सबसे बड़ा मुद्दा एबी रो होगाइस सड़क पर आए दिन हादसे होते है। कई बार हादसे होने के बाद यहां डिवाइडर बनाने का फैसला लिया गया। लेकिन डिवाइडर की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे है।

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विधानसभा क्षेत्र में  बायपास के करीब देवगुराड़िया गांव से सटे इलाके में कई बरसों से इंदौर शहर का कचरा इकट्ठा हो रहा है। यहां हर दिन तकरीबन 1100 टन कचरा यहां आता हैइन कचरों के ढेर से कभी आग लगने, विषैला धुआं निकलने की समस्या आम हैवहीं बदबू और गंदगी से लोगों का जीना मुहाल हो चुका हैकचरा निपटान के लिए नगर निगम ने आधुनिक मशीनें और तकनीक का इस्तेमाल कियागीले कचरे से खाद बनाई जा रही है, लेकिन क्षेत्र में अभी भी कई समस्याएं जस की तस है, जिसे लेकर लोगों में गुस्सा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति भी बेहद खराब है40 कालेजों और 20 स्कूलों वाले क्षेत्र में सरकारी शिक्षण संस्थाए कमजोर है और चिकित्सा सुविधा भी इसके अलावा स्थानीय मुद्दों को लेकर भी कांगेस विधायक विपक्ष के निशाने पर हैंबीजेपी के मुताबिक विधायक रहते हुए जीतू पटवारी ने क्षेत्र में कोई काम नहीं किया है। हालांकि कांग्रेस विधायक इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। फिलहाल, इस विधानसभा में किए गए विकास कार्यों को लेकर श्रेय की राजनीति जोरों पर है एक ओर जहां कांग्रेस विधायक सभी कामों के लिए खुद की पीठ थपथपा रहे वहीं, दूसरी और बीजेपी राज्य सरकार की योजनाओं के जरिए जनता के दिल को जीतने का प्रयास कर रही है।

इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों में केवल राऊ एक मात्र सीट ऐसी जहां कांग्रेस का एक ही दावेदार है। इसके उलट बीजेपी में दावेदारी की लंबी कतार है। दरअसल सीट को बीजेपी हर कीमत पर हासिल करना चाहती है। लिहाजा, बीजेपी उम्मीदवारों को उम्मीद है, पार्टी इस बार परंपरागत चेहरे की बजाय किसी नए उम्मीदवार को मौका दे दे। लेकिन इस सीट पर छोटे से लेकर बड़े नेता तक की नजर है।

अगले सियासी महासमर के लिए राऊ में सियासी अखाड़ा सज चुका है आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है इसके साथ ही टिकट के लिए भी नेता पूरी ताकत लगा रहे हैं राऊ के मौजूदा विधायक जीतू पटवारी के कद को देखते हुए यहां कांग्रेस का कोई दावेदार सामने नहीं आया है। लेकिन दूसरी ओर बीजेपी में दावेदारों की लंबी कतार है इस फेहरिस्त में पहला नाम जीतू जिराती का है। जिराती फिलहाल प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं और 2008 में विधायक भी रह चुके है। लिहाजा जिराती को उम्मीद है, कि पार्टी उन्हें एक बार फिर से मौका दे सकती है। जीतू सीट सीट के जाति समीकरण में फिट बैठते हैं।

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जीतू जिराती के अलावा इस सीट पर वर्मा बंधुओं की भी नजर है। दरअसल, राऊ विधानसभा सीट बनने के पहले से ही इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष मधु वर्मा और उनके छोटे भाई बलराम वर्मा यहां के मतदाताओं से लगातार संपर्क में रहे है। मधु वर्मा ने आईडीए अध्यक्ष रहते हुए इस इलाके में कई सौगात दी है। वहीं, बलराम वर्मा इसी इलाके के वार्ड से पार्षद भी और एमआईसी सदस्य है। मूध वर्मा की बीजेपी संगठन में खासी पकड़ है। वो बीजेपी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी है। हालाकि,दोनों भाइयों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। लेकिन दोनों अपनी इच्छा जाहिर कर चुके है कि दोनों में से किसी एक को टिकट दिया जाए। जाहिर है दावेदारों की लंबी कतार बीजेपी हाईकमान की मुश्किल बढ़ा सकता हैवहीं कांग्रेस की बात की जाए तो मौजूदा विधायक जीतू पटवारी को टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा हैपटवारी राजनीति के हर पैंतरे में माहिर है और पिछले पांच सालों में उन्होंने यहां सक्रियता भी बनाए रखी है

कुल मिलाकर बीजेपी के लिए राऊ विधानसभा इंदौर में सबसे ज्यादा टफ सीट है। इसे देखते हुए यहां पार्टी कई किसी नए चेहरे को भी सामने ला सकती है। मराठी और शहरी मतदाताओं को देखते हुए इस सीट पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के परिवार सदस्य को मौका भी मिल सकता है।

वेब डेस्क, IBC24


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