Kabir Jayanti 2023

Kabir Jayanti 2023 : आज मनाई जा रही है कबीर दास की जयंती, जानें उनके जीवन से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य

Kabir Jayanti 2023 : आज मनाई जा रही है कबीर दास की जयंती, जानें उनके जीवन से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य! Kabir Das' birth anniversary

Edited By :   Modified Date:  June 4, 2023 / 07:59 AM IST, Published Date : June 4, 2023/7:59 am IST

नई दिल्ली। Kabir Jayanti 2023 कबीर भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के वो अनमोल रत्न हैं जिनकी आभा कभी मध्यम नहीं हो पाई। कबीर द्वारा किए गए कार्यों का आज भी उतना ही महत्व है जितना पूर्व की सदियों में रहा। कबीर दास एक भारतीय कवि, दार्शनिक विचारक और संत थे उनके दिव्य ज्ञान, आध्यात्मिक विचार, विश्वासों, नैतिकता और कविताओं से जन मानस आज भी अचंभित हुए बिना नहीं रह पाता है। माना जाता है कि संत कबीर का जन्म 1440 में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को हुआ था और आज भी उनके अनुयायियों द्वारा उनकी जयंती को हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन उत्साह एवं शृद्धा के साथ कबीर जयंती के रूप में मनाया। इस वर्ष कबीर जयंती 4 जून 2023 को मनाई जाएगी।

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Kabir Jayanti 2023 जब कोई संत प्रत्येक युग में अपनी विचारधारा के साथ मजबूती के साथ खड़ा दिखाई देता है तो उसकी महानता को संपूर्ण विश्व नतमस्त हुए बिना रह नहीं सकता है। यही बात भारत में कबीर के विषय में बहुत ही मजबूती के साथ बिना शक संदेह के कही जा सकती है। कबीर जी का जन्म एवं मृत्यु जितनी संदेहास्पद रही है उतनी ही उनके काव्यों की रचनाएं प्रत्यक्ष रहीं।

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रामानंद को गुरु रुप में पाया

अपनी आध्यात्मिक खोज को पूरा करने के लिए, कबीर संत रामानंद जी के शिष्य बनना चाहते थे। कबीर को लगा कि अगर वे किसी तरह अपने गुरु से मंत्र को जान पाते हैं, तो दीक्षा संपूर्ण हो जाएगी। उन्हीं दिनों संत रामानन्द वाराणसी के एक घाट पर नियमित रूप से जाया करते थे। जब कबीर ने उन्हें अपने पास आते देखा, तो वे घाट की सीढ़ियों पर लेट गए और रामानंद से टकरा गए, तब रामानंद जी के मुख से ‘राम’ शब्द का उच्चारण होता है और कबीर जी को मंत्र मिल जाता है और बाद में रामानंद जी ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया।

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कबीर का जीवन और ऎतिहासिक तथ्य

कबीर के जन्म से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित हैं कबीर जी का विवाह लोई नाम की एक महिला से हुआ था और उनके दो बच्चे भी हुए, एक बेटा, कमल और एक बेटी कमली. कुछ का कहना है कि उन्होंने दो बार शादी की या उन्होंने शादी ही नहीं की, इस प्रकार कई तरह के तथ्य उनके जीवन के विषय में अलग अलग जानकारी देते हैं।

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कबीर का आध्यात्मिक से गहरा संबंध था। मोहसिन फानी के दबिस्तान और अबुल फ़ज़ल के आइने अकबरी में उनका उल्लेख मुवाहिद या एक ईश्वर में विश्वास रखने वाले के रूप में किया गया है। कबीर के लिए ईश्वर किसी भी व्यक्तिगत रूप या गुण से परे था। कबीर का अंतिम लक्ष्य एक पूर्ण ईश्वर था जो निराकार है, गुणों से रहित है, जो समय और स्थान से परे है, कार्य-कारण से परे है। कबीर का ईश्वर ज्ञान है, आनंद है।

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