Love and sex are written in this Veda: नई दिल्ली। आदमी, औरत या कोई अन्य जेंडर, व्यक्ति कोई भी हो अमूमन उसके लिए प्यार सबसे गहरा भाव होता है. यह ऐसी मज़बूती देता है कि दुनिया की तमाम परेशानियां आसान लगने लगती हैं. प्यार केवल मानसिक नहीं होता, इसमें शरीर की भी बड़ी भूमिका होती है. मनुष्यों को छोड़कर लगभग सभी अन्य प्रजाति के नर और मादा एक दूसरे के प्रति केवल सेक्स के लिए आकर्षित होते हैं. शायद यही एक वजह है कि केवल सेक्स आधारित रिश्ते पर अक्सर लोग नैतिकता के सवाल उठाने लगते हैं. हालांकि सेक्स जीवन की सच्चाई है और इसके बिना जीवन संभव नहीं। चलिए जानते हैं इस बात पर वेद में क्या लिखा हुआ है।
काम का जन्म हुआ कि दुनिया बस सके
Love and sex are written in this Veda: ऋगवेद में नसादिय सूक्त के अनुसार जब इस दुनिया में कुछ भी नहीं था तब ईश्वर ने अपनी मानसिक क्षमता का इस्तेमाल करके ‘काम’ को जन्म दिया. इस काम की वजह से ही दुनिया बनी. इस बारे में प्रसिद्ध संस्कृत और वेद अध्येता रति सक्सेना ने लिखा है कि अर्थववेद ने इस सिद्धांत को स्वीकार किया है साथ ही काम की एक बड़ी और विस्तृत परिभाषा भी दी है. अथर्ववेद बताता कि काम दो लोगों की समझदारी से पैदा हुआ आपसी रिश्ता है. गौरतलब है कि काम का लोकप्रिय इस्तेमाल सेक्स या सेक्सुअल रिश्ते के लिए होता है.
सेक्स या दो लोगों के सेक्सुअल रिश्ते को लेकर क्या कहता है अथर्ववेद
Love and sex are written in this Veda: अथर्ववेद में प्यार के शारीरिक रूप को अच्छे से समझाया गया है. यह प्यार प्रेमियों या पार्टनर के बीच का प्यार या फिर पति-पत्नी के बीच का सम्भोग हो सकता है. इसमें लिखा है कि जब एक पुरुष किसी स्त्री के प्रेम में पड़ता है तो वह एक मीठी दवाई की खोज में लग जाता है. इसका असर ख़ुद उस पर भी होता है और वह भी बहुत अच्छा हो जाता है. ज़ाहिर है औरतों को यह मिठास कई बार पसंद आती है और वे प्यार में पड़ जाती हैं. अथर्ववेद यह भी कहता है कि जब यह प्यार पकता है तब यह शरीर यानी सेक्स के माध्यम से व्यक्त होता है.