Benefits Of Female Condoms: देश में ‘फीमेल कंडोम’ क्यों इस्तेमाल नहीं करती महिलाएं… जानें वजह

Benefits Of Female Condoms: हमारे देश में इंटिमेट हेल्थ को मजबूती देने वाले फीमेल कंडोम (Female Condom) के इस्तेमाल को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं है। देश में इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही किया जाता है।

Benefits Of Female Condoms: देश में ‘फीमेल कंडोम’ क्यों इस्तेमाल नहीं करती महिलाएं… जानें वजह
Modified Date: January 8, 2023 / 05:50 pm IST
Published Date: January 8, 2023 5:48 pm IST

Benefits Of Female Condoms: शादी के बाद अगर कपल्स कुछ वक्त एक-दूसरे के साथ गुजारना चाहते हैं तो उनकी प्लानिंग में कंडोम बहुत ही ज्यादा मददगार साबित होता है। फैमिली प्लानिंग के साथ ही कंडोम सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) से भी आपको बचाता है। लेकिन आज तक आपने ज्यादातर मेल कंडोम्स के बारे में देखा या सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मार्किट में महिलाओं के यूज के लिए भी कंडोम आते हैं?

sexy video in hindi : दरअसल हमारे देश में इंटिमेट हेल्थ को मजबूती देने वाले फीमेल कंडोम (Female Condom) के इस्तेमाल को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं है। देश में इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही किया जाता है।

आपको बता दें कि महिला कंडोम की बनावट और उपयोगिता पर एक शोध किया गया था। शोधकर्ता ने युवा महिलाओं के बीच महिला कंडोम की स्वीकार्यता और उपयोगिता पर स्टडी की। शोधकर्ताओं के मुताबिक गर्भनिरोधक के रूप में महिलाएं कंडोम का इस्तेमाल करती तो हैं, लेकिन उस अनुपात में नहीं।

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sexy video in hindi , कंडोम 4 प्रकार के होते हैं:-

1. लेटेक्स, प्लास्टिक या लैम्ब स्किन से तैयार कंडोम। (latex, plastic, or lambskin condom)

2. चिकनाई वाला लुब्रिकेंट कंडोम (lubricant condoms)। इस पर फ्लूइड की एक पतली परत होती है।

3. स्पर्मीसाइड कंडोम (Spermicide condom), इस पर नॉनऑक्सिनॉल-9 केमिकल लगा होता है। इससे स्पर्म खत्म हो जाते हैं।

4. रिब्ड और स्टडेड बनावट वाले कंडोम भी होते हैं। लेकिन ज्यादातर महिलाएं लेटेक्स से तैयार कंडोम का इस्तेमाल करती हैं।

चारों कंडोम को 2 भागों में बांटा जा सकता है, एफ सी 1 (FC1) और एफ सी 2(FC2)। एफ सी 1 महिला कंडोम सॉफ्ट और पतले प्लास्टिक से बने होते हैं। इसे पॉलीयुरेथेन (polyurethane) कहा जाता है। इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया है। इसे एफसी 2 (FC2) महिला कंडोम से बदल दिया गया है। यह कंडोम सिंथेटिक लेटेक्स (synthetic latex) से बना होता है।

फीमेल कंडोम का कितना है असर

महिला कंडोम वजाइना के अंदर पहना जाता है, यह स्पर्म को गर्भ में जाने से रोकने का काम करता है। बता दें कि यह कंडोम लगभग 75% – 82% तक प्रभावी होता है। शोधकर्ता के मुताबिक अगर महिला कंडोम का सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो महिला कंडोम 95% तक प्रभावी हो सकते हैं।

sexy video, महिला कंडोम कितने स्वीकार्य हैं?

स्टडी के मुताबिक महिला कंडोम कम इस्तेमाल किया जाता है। शोध में पाया गया कि महिला कंडोम के इस्तेमाल में महिलाओं की स्थिति और रिश्ते में निर्णय लेने की क्षमता बहुत मायने रखती है। अगर महिला निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होती है, तो फीमेल कंडोम का इस्तेमाल नहीं हो पाता है।

भारत में महिला कंडोम का इस्तेमाल कम क्यों?

स्टडी के मुताबिक महिला कंडोम के इस्तेमाल से अनचाही प्रेग्नेंसी, यौन संचारित संक्रमणों (STD) से सुरक्षा, महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की भावना में वृद्धि और साफ़-सफाई के भी फायदे मिलते हैं। लेकिन महिलाओं ने बताया कि सेक्स के दौरान सेंसेशन की कमी के कारण फीमेल कंडोम का इस्तेमाल कम किया जाता है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com