ये पांच महिलाएं चलाती हैं सेक्स प्रॉडक्ट का बिजनेस, नई सोच के साथ हासिल कर ली बड़ी उपलब्धि

भारत में सेक्स आज भी धीमे स्वर में बोला जाने वाला शब्द है। ज्यादातर भारतीय आज भी इसके बारे में या इससे जुड़ी परेशानियों के बारे में बात करने से परहेज करते हैं।

ये पांच महिलाएं चलाती हैं सेक्स प्रॉडक्ट का बिजनेस, नई सोच के साथ हासिल कर ली बड़ी उपलब्धि
Modified Date: November 29, 2022 / 08:46 pm IST
Published Date: September 19, 2021 7:32 pm IST

नई दिल्ली। business of sex products : भारत में सेक्स आज भी धीमे स्वर में बोला जाने वाला शब्द है। ज्यादातर भारतीय आज भी इसके बारे में या इससे जुड़ी परेशानियों के बारे में बात करने से परहेज करते हैं। ऐसे में भारत में किसी महिला का सेक्स या इंटीमेसी से संबंधित प्रॉडक्ट के व्यवसाय से जुड़ा होना लोगों के लिए आश्चर्य की बात हो सकती है। लेकिन कुछ ऐसी युवा महिला एंटरप्रेन्योर देश में हैं, जो हेल्थ, इंटीमेसी और सेक्स एजुकेशन पर फोकस करके अच्छी कमाई कर रही हैं।

1.कोमल बल्दवा और 2.अरुणा चावला

business of sex products: कोमल बल्दवा ब्लू कॉन्डोम्स (Bleu Condoms) की फाउंडर हैं। वहीं अरुणा चावला सैलड कॉन्डोम्स (Salad Condoms) की फाउंडर हैं। ये दोनों ही स्टार्टअप वेगन और नॉन टॉक्सिक कॉन्डोम स्टार्टअप हैं। दोनों स्टार्टअप की फाउंडर न केवल प्रॉडक्ट के साथ इनोवेशन कर रही हैं बल्कि कॉन्डोम्स की मार्केटिंग में भी नए तरीके आजमा रही हैं। जहां एक ओर सैलड कॉन्डोम्स की पैकेजिंग कलरफुल और क्विर्की है, वहीं बल्दवा का ब्लू कॉन्डोम्स प्रॉडक्ट ज्यादा मिनिमलिस्टिक अप्रोच के साथ है।

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27 वर्षीय अरुणा चावला के अनुसार कॉन्डोम केवल मेल प्लेजर के लिए नहीं है, यह दोनों पार्टनर के लिए है और सेक्स का अश्लील होना जरूरी नहीं है। हम हेल्थ फर्स्ट अप्रोच के साथ चलते हैं और हमारा फोकस सेफ सेक्स पर है। कोमल बल्दवा बताती हैं कि ब्लू को मिलने वाले ऑर्डर में से 70 फीसदी ऐसे थे जो देखने में लगता था कि पुरुषों ने दिए हैं लेकिन वास्तव में वे ऑर्डर अक्सर महिलाएं प्लेस करती थीं।

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3. साची मल्होत्रा

दैट सैसी थिंग (That Sassy Thing) की फाउंडर साची मल्होत्रा का कहना है कि सेक्शुअल प्रॉडक्ट्स महिलाओं और उनके शरीर को ध्यान में रखकर डिजाइन नहीं किए जाते हैं। इस कैटेगरी में महिलाएं पीछे छूट जाती हैं और इसी को हमें बदलना है। हम हर जेंडर और सेक्शुएलिटी को ध्यान में रखकर बनाए गए प्रॉडक्ट्स के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। दैट सैसी थिंग नेचुरल अनफ्लेवर्ड और अनस्वीटन्ड पीएच बैलेंस्ड ल्यूब और पब्लिक ऑयल बनाती है।

4. अनुष्का गुप्ता

भारत में सेक्स टॉयज को नियम न तो प्रतिबंधित करते हैं और न ही उनकी बिक्री की अनुमति देते हैं। मुंबई के माईम्यूज (MyMuse) ने इस बात को अनुभव किया कि भारत में इंटीमेसी प्रॉडक्ट्स को पाना मुश्किल है। माईम्यूज की को-फाउंडर अनुष्का गुप्ता कहती हैं कि इंटीमेसी प्रॉडक्ट्स की पैकेजिंग मुझे परेशान कर रही थी। ऐसा लगता था कि वे केवल पुरुषों द्वारा और पुरुषों के लिए हैं। हम कुछ ऐसा क्रिएट करना चाहते थे जो यह दर्शाए कि आधुनिक भारत सेक्स के बारे में कैसे सोचता है। माईम्यूज मसाजर, वॉटर बेस्ड लुब्रिकेंट, अरोमाथेरेपी कैंडल्स और ऑयल्स की बिक्री करती है।

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5. तनीषा राव

मुंबई के ही एक और स्टार्टअप सांग्या प्रॉजेक्ट (Sangya Project) ने सेक्स एजुकेशन के बारे में भ्रांतियां तोड़ने के लिए सोशल मीडिया इनीशिएटिव के तौर पर शुरुआत की थी। बाद में इसने प्लेजर प्रॉडक्ट्स के लिए एक ऑनलाइन स्टोर के रूप में ब्रांच खोली। इसकी को-फाउंडर 27 वर्षीया तनीषा राव हैं। सांग्या के ऐसे कई यूजर हैं, जो प्लेजर प्रॉडक्ट्स की खरीद करने से पहले नर्वस रहते थे लेकिन अब वे कंफर्टेबल फील करते हैं। सांग्या के इंस्टाग्राम पेज पर सेक्स टॉयज को लेकर भ्रांतियों से जुड़े कई मैसेज आते हैं।

सेक्शुअल वेलनेस के फील्ड में महिला एंटरप्रेन्योर के रास्ते में रुकावटें न हों, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। सैलड के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अक्सर भद्दे मैसेज और फोटो आते हैं। जब कंपनी की फाउंडर चावला ने कॉन्डोम मैन्युफैक्चरर्स से संपर्क किया था तो कई उनसे बात ही नहीं करना चाहते थे। ऐसा ही अनुभव ब्लू कॉन्डोम्स की कोमल बल्दवा को भी हुआ। मैन्युफैक्चरर्स कहते थे ‘कुछ तो छोड़ दो लड़कों के लिए, लड़कों का प्रॉडक्ट है।’


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com