नई दिल्ली: Lok Sabha Chunav 2024 लोकसभा चुनाव के 6 चरण पूरे हो चुके हैं अब तमाम राजनीतिक दलों का फोकस आखिरी चरण की 57 सीटों पर है। सियासी वार-पलटवार के दौर में कई बार कुछ बातें ऐसी कह दी जाती है जिसकी गूंज दूर तलक और देर तक सुनाई देती है। मंगलसूत्र, मुसलमान और मटन के बाद अब देश में मुजरा पॉलिटिक्स का शोर है। देश की जनता भी सियासी हलकों में नेताओं की मंडी में मुजरे पर सियासी बयानों की ता-थैया देख रही है और पूछ रही है कि इन सियासी शोर में उनके हक की आवाज कहां दब गई है? उनके असल मुद्दों पर कोई बात क्यों नहीं कर रहा है?
Lok Sabha Chunav 2024 लोकसभा चुनाव का सियासी संग्राम महिलाएं, मंगलसूत्र, मुसलमान, मटन से होते हुए आखिरी चरण तक मुजरा पॉलिटिक्स तक पहुंच गया है। शनिवार को बिहार और यूपी के चुनावी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान को सर्वोपरी बताने के दौरान विपक्षी इंडिया गठबंधन पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष को वोट बैंक की गुलामी करनी है तो करे, उनको वहां जाकर उनको वहां जाकर मुजरा करना है तो भी करें। मैं एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण के लिए डटकर खड़ा हूं।
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PM मोदी के मुजरा वाले बयान पर विपक्ष तिलमिला गया। सभी ने पीएम मोदी के बयान पर जोरदार पलटवार किया। कुल मिलाकर आखिरी फेज के चुनावी दंगल में एक सप्ताह से भी कम का समय है। ऐसे में मटन, मंगलसूत्र, मुसलमान के बाद अब मुजरे की भी एंट्री ने चुनावी माहौल में नया रंग घोल दिया है। अब देखना ये है कि ये रंग किसके लिए शुभ है और किसके लिए हानिकारक?