Big Picture with RKM: राहुल गांधी के चक्रव्यूह में क्या फंस पाएंगे सत्ताधारी?.. देखें नेता विपक्ष के आज के स्पीच के पीछे का बिग पिक्चर..
हम आगे देखते है कि उनके भाषण में समस्याएं थी लेकिन समाधान नहीं था। लोकसभा के नेता होने के नाते जब आप सरकार पर आरोप लगाते हैं तो आपके पास उनके सामने पेश करने के लिए समाधान भी होना चाहिए, एक विजन होना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं देखा गया।
Big Picture with RKM: रायपुर: नए संसद में नई सरकार और नई कार्रवाई। हमने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पिछले 10-12 वर्षों से संसद में देखा हैं, उनके भाषणों को सुना हैं लेकिन, आज जो उन्होंने स्पीच दिया है वह पहले के सभी भाषणों से लम्बा और ज्यादा हैं। आज के उनके भाषण में ठहराव नजर आया। पहले उन्होंने पंजे के निशान का जिक्र किया था और उसे कांग्रेस के निशान से जोड़ने की कोशिश की थी लेकिन, इस बार उन्होंने चक्रव्यूह का जिक्र करते हुए इसकी तुलना भाजपा के निशान कमल से की। आरोप लगाया कि इस चक्रव्यूह में भारत का हर वर्ग फंसा हुआ है। कहा, पीएम मोदी ने देश के युवा, किसान, महिला, मजदूर, दलित, अल्पसंख्यक और मिडिल क्लास को इस चक्रव्यूह में फंसा रखा है। आगे राहुल गांधी ने कहा, इंडिया गठबंधन अर्जुन की तरह है जो इस चक्रव्यूह को तोड़कर रहेगी।
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Analysis of Rahul Gandhi’s speech in Parliament
चक्रव्यूह ने भाषण को बनाया ‘दिलचस्प’
बात अगर राहुल गांधी के भाषण के गुण-दोषों और इससे मिली सीख से करें तो आज चक्रव्यूह के जिक्र ने उनके पूरे भाषण को दिलचस्प बनाने का काम किया। लोग इससे उनके सम्बोधन को लम्बे वक़्त तक याद रखेंगे। उन्होंने अपने स्पीच में जिस तरह से मोदी सरकार की योजना, बजट, नीतियों पर प्रहार किया इन सबके बीच चक्रव्यूह की बातें उनके भाषण का प्रमुख आकर्षण था। राहुल ने महाभारत जिक्र करते हुए यह भी बताया कि जिस तरह से 6 लोगों ने अभिमन्यु को मारा था कुछ उसी तरह सरकार के 6 लोग भारत की जनता के लिए संकट बने हुए है।
Big Picture with RKM: राहुल गांधी के निशाने पर सरकार की वित्तमंत्री और सरकार का बजट भी रहा। इसके लिए उन्होंने पारम्परिक हलवा बनाने की प्रक्रिया पर टिप्पणी की, उसकी तस्वीर संसद में दिखाई। राहुल ने सवाल भी किया और आरोप भी लगाया कि पूरे देश को हलवा बांटा जा रहा है लेकिन इस हलवा बनाने वालों में देश के 73 फ़ीसदी लोगो के प्रतिनिधि यानी एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग के एक भी अधिकारी नहीं है। ऐसा क्यों? इस तरह राहुल गांधी ने आज देश के बड़े वर्ग को सीधे संसद से साधने की कोशिश की।
भाषणों में सिर्फ समस्या, समाधान नहीं
बात अगर राहुल गांधी के भाषण के कमजोरियों की करें तो सबसे पहले ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल अब तक चुनावी मोड से बाहर नहीं आ पाए है। वे दिशा भटकते है और भूल जाते है कि वह संसद में भाषण दे रहे है न कि किसी चुनावी जनसभा में। हमने देखा है कि कई मौकों पर राहुल ने बिना तथ्य और तर्कों के ही सरकार पर आरोप लगाए। मसलन आरोप लगाए कि बजट में पेपर लीक का मामला शामिल नहीं था जबकि ये दोनों ही मामले अलग हैं। तो यह सभी साने वाले दिनों में सरकार और सत्तापक्ष के लिए मुद्दा बनेगा। इसी तरह आज के भाषण में शब्दों का आडम्बर जरूर था लेकिन तर्कों-तथ्यों की भारी कमी भी थी।
हम आगे देखते है कि उनके भाषण में समस्याएं थी लेकिन समाधान नहीं था। लोकसभा के नेता होने के नाते जब आप सरकार पर आरोप लगाते हैं तो आपके पास उनके सामने पेश करने के लिए समाधान भी होना चाहिए, एक विजन होना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं देखा गया। वह सरकार की समस्याओं के इर्द-गिर्द ही घूमते नजर आएं। राहुल ने कहा कि वह सरकार में आने पर जातिगत जनगणना कराएँगे, एमएसपी पर कानून को लागू करें बावजूद यह जानते हुए कि अभी उन्हें पांच सालों तक विपक्ष में रहना है और हाल-फ़िलहाल ऐसी कोई सम्भावना भी नहीं।
Big Picture with RKM: इस तरह राहुल गांधी के भाषण में आज सिर्फ सरकार की आलोचना ही थी, कोई समाधान या विजन है था। उन्होंने चक्रव्यूह का जिक्र किया लेकिन इस चक्रव्यूह से बाहर आने का तरीका या रास्ता नहीं बता पाएं।