प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 27 NRI हुए सम्मानित, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बोले- भारतीय सिर्फ 135 करोड़ नहीं है, बल्कि 138 करोड़ है
27 NRIs honored at Pravasi Bhartiya Sammelan
इंदौर में 3 दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। आयोजन के अंतिम दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 27 प्रवासी भारतीयों को सम्मानित किया। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वागत भाषण दिया। इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारतीयों का दबदबा आज पूरी दुनिया में है। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक हो या सत्या नडेला, हर जगह भारतीयों का दबदबा कायम हो रहा है। प्रवासी भारतीय हमारे देश की पहचान को बढ़ा रहे हैं। मैं कहता हूं कि भारतीय सिर्फ 135 करोड़ नहीं है, बल्कि 138 करोड़ है, जिनमें तीन करोड़ प्रवासी भारतीय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में प्रवासी भारतीय रहते हैं। यह मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं। उनके ही प्रयास है कि हम हम यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को हम भारत में सुरक्षित ला सके। इस कार्य में प्रवासी भारतीयों ने अहम भूमिका निभाई। भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता, यह विचार पूरी दुनिया में स्थापित हो गया है।
सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व में ये ऐलान हो चुका है कि भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता। इस वर्ष भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में भारत विश्व पटल पर उजागर हो रहा है। वो जी 20 की अध्यक्षता किस सोच और विचारधारा के साथ कर रहा है, वन अर्थ, वन फैमिली एंड वन फ्यूचर। वसुधैव कुटुंबकम की सोच। पूरा विश्व एक परिवार है।
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उन्होंने प्रवासी भारतीयों से कहा कि भारत की इस ग्रोथ स्टोरी में भागीदार बनिए। प्रधानमंत्री के संकल्प को मजबूत करें, अपनी जन्मभूमि से जुड़े रहें और हमारे युवाओं को जो देश के बाहर काम कर रहे हैं, उनके लिए मेरा एक ही मंत्र है, एक ही संदेश है, LER… लर्न, अर्न एंड डू रिटर्न। क्योंकि आपकी डेस्टिनी यहीं है भारत माता के साथ, मुझे विश्वास है कि आपकी भागीदारी के साथ ये सदी भारत की होगी।
27 प्रवासी भारतीयों को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
प्रो. जगदीश चेन्नुपति, आस्ट्रेलिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी/शिक्षा
प्रो. संजीव मेहता, भूटान, शिक्षा
प्रो. दिलीप लौंडो, ब्राज़ील, कला और संस्कृति/शिक्षा
डा. अलेक्जेंडर मलाइकेल जॉन, ब्रुनेई दारुस्सलाम मेडिशन
डा. वैकुंठम अय्यर लक्ष्मणन, कनाडा, समाजसेवा
जोगिंदर सिंह निज्जर, क्रोएशिया, कला और संस्कृति/शिक्षा
प्रो. रामजी प्रसाद, डेनमार्क, सूचना प्रौद्योगिकी
डा. कन्नन अम्बलम, इथियोपिया, समाजसेवा
डा. अमल कुमार मुखोपाध्याय, जर्मनी, समाजसेवा/चिकित्सा
डा. मोहम्मद इरफान अली, गुयाना, राजनीति/समाजसेवा
रीना विनोद पुष्करणा, इजराइल, व्यवसाय/समाजसेवा
डा. मकसूदा सरफी श्योतानी, जापान, शिक्षा
डा. राजगोपाल, मैक्सिको, शिक्षा
अमित कैलाश चंद्र लठ, पोलैंड, व्यवसाय/समाजसेवा
परमानंद सुखुमल दासवानी, कांगो गणराज्य, समाजसेवा
पीयूष गुप्ता, सिंगापुर, व्यवसाय
मोहनलाल हीरा, दक्षिण अफ्रीका, समाजसेवा
संजयकुमार शिवभाई पटेल, दक्षिण सूडान, व्यवसाय/समाजसेवा
शिवकुमार नदेसन, श्रीलंका, समाजसेवा
डा. देवनचंद्रभोज शरमन, सूरीनाम, समाजसेवा
डा. अर्चना शर्मा, स्विटजरलैंड, विज्ञान प्रौद्योगिकी
न्यायमूर्ति फ्रैंक आर्थर सीपरसाद, त्रिनिदाद और टोबैगो, समाजसेवा/शिक्षा
सिद्धार्थ बालचंद्रन, संयुक्त अरब अमीरात, व्यवसाय/समाजसेवा
चंद्रकांत बाबूभाई पटेल, यूके, मीडिया
डा. दर्शन सिंह धालीवाल, अमेरिका, व्यवसाय/समाजसेवा
राजेश सुब्रमण्यम, अमेरिका, व्यवसाय
अशोक कुमार तिवारी, उज़्बेकिस्तान, व्यवसाय

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