जबलपुर: Scam in Purchasing Dustbin देश में स्वच्छता सर्वेक्षण शहरों के बीच सफाई के प्रति प्रतिस्पर्धा जगाने के लिए चलाया जाता है लेकिन जबलपुर में नगर निगम के अधिकारियों ने इसे मनमानी खरीदी का ज़रिया बना लिया। जबलपुर नगर निगम ने स्वच्छता के नाम पर बीते 5 सालों में 8 करोड़ रुपयों के खरीद लिए और हाल ही में फिर 23 लाख रुपयों से नए डस्टबिन खरीदे गए हैं। कांग्रेस इसे डस्टबिन खरीदी घोटाला बताकर उच्च स्तरीय जांच और कार्यवाई की मांग कर रही है।
8 Crore Scam in Purchasing Dustbin स्वच्छता सर्वेक्षण का आगाज साल 2016 से हुआ था। इसमें इस बार जबलपुर नगर निगम फिसड्डी साबित रहा लकिन साल 2017 से लेकर 2021 तक नगर निगम और जबलपुर स्मार्ट सिटी ने इसमें करोड़ो रुपये फूंक दिए। पिछले 5 सालों में करीब आठ करोड़ रुपये तो सिर्फ डस्टबिन खरीदी में ही खर्च कर दिए गए। अधिकारी हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण में डस्टबिन के मॉडल बदलते रहे। जबलपुर स्मार्ट सिटी और नगर निगम ने प्लास्टिक से लेकर स्टील और यहां तक की सोलर डस्टबिन तक की खरीदी की लेकिन जबलपुर आज तक स्वच्छ सर्वेक्षण में टाप-10 में भी नहीं आ सका। इतना जरूर हुआ कि ये महंगे डस्टबिन शहर की सड़कों से गायब होते चले गए। अब एक बार फिर नगर निगम ने तकरीबन 23 लाख रुपये खर्च कर नए डस्टबिन खरीदे हैं। अब कांग्रेस इसे डस्टबीन घोटाला बताकर अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रही है।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 में सबसे पहले गीला, सूखा कचरा अलग-अलग करने के मकसद से करीब चार करोड़ रुपए खर्च कर दो लाख हरी और नीली बाल्टियां खरीदी गईं। साल 2018 में करीब 25 स्थानों पर सोलर डस्टबिन रखवाए गए। एक डस्टबिन की खरीदी करीब दो लाख रुपये में की गई। यानी एक करोड़ रुपये सोलर डस्टबिन के नाम पर खर्च कर दिए गए। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में स्मार्ट सिटी ने करीब 30 लाख रुपये खर्च कर शहर के 100 जगहों में तीन खंड वाले स्टील के ट्रायो डस्टबिन रखवाए। कुछ दिन बाद ये भी गायब हो गए। इसके बाद नगर निगम ने करीब दो करोड़ रुपये खर्च कर शहर भर में स्टील के सेमी अंडर ग्राउंड डस्टबिन लगवाए। फिर हैगिंग डस्टबिन सड़कों के किनारे लटकाए गए वे भी टूट-फूट गए। यही नहीं नगर निगम के अधिकारियों के पास पुरानी खरीदी का तो हिसाब नहीं है लेकिन अब वो दलील दे रहे हैं कि नए डस्टबिन की खरीदी सफाई व्यवस्था तो बेहतर बनाने की गई है।
ये बात साफ है कि अगर बीते सालों में 8 करोड़ रुपयों से खरीदे गए डस्टबिन उम्दा क्वालिटी के होते तो आज वो शहर की सड़कों पर नज़र आते। लेकिन अधिकांश डस्टबिन गायब होने और सोलर डस्टबिन टीन के डिब्बे साबित होने के बाद कांग्रेस के आरोप गंभीर नज़र आते हैं। देखना होगा कि जबलपुर नगर निगम में डस्टबिन खरीदी के इस खेल पर क्या जांच हो पाती है?
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