सत्ता के लिए ‘फूट’ नेताओं को खुली छूट? क्या ‘नकली’ शंकराचार्यों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है?
क्या 'नकली' शंकराचार्यों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है? Are 'fake' Shankaracharyas getting political protection
भोपाल। 3 साल 6 महीने में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लेकर चल रहे गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जबलपुर पहुंचे। यहां उन्होंने एक बार फिर सियासी दलों और नेताओं को आड़े हाथ लिया। इस बार उन्होंने गंभीर आरोप लगाया कि राजनेता फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि सभी दलों ने अपने-अपने शंकराचार्य बना लिए हैं। उनके इस बयान पर भाजपा और कांग्रेस ने दोनों ने प्रतिक्रिया दी है। सवाल है कि शंकराचार्य लगातार राजनीतिक बयान क्यों दे रहे हैं? क्या ‘नकली’ शंकराचार्यों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है और फूट डालो राज करो किस दल की नीति? आखिर शंकराचार्य के निशाने पर है कौन?
मध्यप्रदेश में इन दिनों राजनीति का बाबा काल चल रहा है। हर दिन कोई न कोई साधु-संत या शंकराचार्य राजनीतिक बयान दे रहे हैं। इसी कड़ी में जबलपुर में गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एक बार फिर सियासी दलों को निशाने पर लिया। उन्होंने दो टूक कहा कि राजनेता फूट डालो राज करो की नीति पर चल रहे हैं।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के इस बयान पर भाजपा ने कहा कि पार्टी पूरे संत समाज का आदर करती है और राज्य सरकार को सभी शंकराचार्यों का आशीर्वाद है। वहीं कांग्रेस ने कहा कि अब फर्जी सर्टिफिकेट्स की तरह शंकराचार्य का गरिमा भी कम होती जा रही है।
ये तो साफ है कि चुनावी साल में सभी सियासी दल अपना एजेंडा फिक्स करने की कोशिश में जुटे हैं। साधु-संतों और सियासी दलों के कनेक्शन को भी नकारा नहीं जा सकता। यानी ये पूरी कवायद चुनावी माहौल बनाने की कोशिश हो सकती है। हालांकि ये दीगर बात है कि ये कोशिश क्या वाकई रंग लाएगी?

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