भोपालः प्रदेश में 3 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर जब दल दावेदारों में से दमदार उम्मीदवार को तय करने में जुटे हैं तो ऐन वक्त पर खंडवा सीट से प्रबल दावेदार, पूर्व PCC अध्यक्ष रहे अरूण यादव ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि वो पारिवारिक कारणों से अब सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ते हैं। पार्टी जिसे चाहे चुनाव में उतार दे वो उन्हें सहयोग करेंगे। अरूण यादव के इस ऐलान से पार्टी हैरान है और भाजपा को इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस को घेरने का एक और बड़ा मौका मिल गया है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बीते महीनों से क्षेत्र में बेहद सक्रिय रहे अरूण यादव में यू अचानक अपनी दावेदारी छोड़ दी। मामला इतना सीधा है जैसे बताया जा रहा है या फिर इसके पीछे भी कोई और कारण हैं। क्या इसके कोई और सियासी मायने हैं। फिलहाल को कांग्रेस पार्टी इन्हीं उलझनों की चुनौती से जूझती नजर आ रही है।
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मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में प्रत्याशियों के नामों के मंथन के बीच सियासी तूफान आना शुरू हो गया है। कांग्रेस अभी अपनी तीन बार की विधायक और पूर्व मंत्री सुलोचना रावत के दलबदल के सदमे से उबर भी नहीं पायी थी कि उसे दूसरा बड़ा झटका अरुण यादव ने चुनाव न लड़ने के रुप में दे दिया है। अचानक ऐसा क्या हुआ कि जोबट की कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सुलोचना के बीजेपी में शामिल होने के बाद ही अरुण यादव दर्शनिक और शायर हो गए हैं। चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा से पहले अरुण यादव ने शायराना अंदाज में अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।
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अरुण यादव का ये ट्वीट खंडवा लोकसभा उपचुनाव के उम्मीदवार से पहले आया वे इस उपचुनाव को लेकर इतने उत्साही थे दिल्ली में राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात हो या फिर इस बीच लगतार क्षेत्र में सक्रिय रहकर चुनावी तैयारियों की जमावट में भी पूरे लाव लश्कर के साथ लगे हुए थे। अब उनके एलान के बाद कांग्रेसी हैरान है और पार्टी में उनके प्रतिद्वंदी अचम्भित।
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अरुण यादव ने साफ़ किया की वो कांग्रेस में ही रहने वाले और कांग्रेस की जीत के लिए काम करेंगे पर अरुण यादव के बयान के बाद उनकी सहनुभूति के बहाने बीजेपी अरुण यादव को लेकर संभावनाएं तलाशने लगी है। अरुण यादव के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद खंडवा लोकसभा सीट से टिकट के लिए नए दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। इनमें कांग्रेस विधायक सचिन बिड़ला, पूर्व सांसद कालीचरण सकरगाय की बहू सुनीता सकरगाय, पूर्व सांसद ताराचंद्र पटेल के भतीजे नरेंद्र पटेल, राजनारायण सिंह कुर्मी और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा की पत्नी जयश्री ठाकुर और अमिताभ मंडलोई का नाम शामिल हैं।
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कांग्रेस के इन राजनैतिक समीकारणों की बाद अरुण यादव का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कांग्रेस पार्टी को कितना भारी साबित होगा यह उपचुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा.देखना होगा इस चुनाव में अरुण यादव अपने फैसले पर अडिग रहते है या कांग्रेस उन पर फिर दांव लगाती है
जिस संविधान ने आरक्षण दिया वह खतरे में है :…
4 hours ago