Naxalite Surrender News: माओवादियों के ‘टेक्निकल गुरु’ ने छोड़ा लाल सलाम का साथ! सक्रिय नक्सली कपल ने किया आत्मसमर्पण… नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में बड़ा कदम

बालाघाट में 35 वर्षों से चल रहे लाल आतंक से मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया। धनुष और उसकी पत्नी रोनी, जो कभी सक्रिय नक्सली सदस्य थे, ने खैरागढ़ में शांतिपूर्ण आत्मसमर्पण किया, जो एमएमसी संयुक्त एंटी-नक्सल ऑपरेशन की सफलता को दर्शाता है।

  • Reported By: Hiten Chauhan

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  • Publish Date - November 29, 2025 / 01:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2025 / 01:33 PM IST

Naxalite Surrender News / Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • नक्सली दंपति ने बालाघाट में आत्मसमर्पण किया।
  • धनुष संगठन में नक्सली साहित्य तैयार करने के लिए जाना जाता था।
  • आत्मसमर्पण एमएमसी संयुक्त एंटी-नक्सल ऑपरेशन की सफलता का संकेत है।

Naxalite Surrender News: बालाघाट: बालाघाट में लाल आतंक के 35 वर्षों के बाद अब नक्सलियों से मुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के एमएमसी जोन में चल रहे संयुक्त एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दबाव में माओवादी लगातार आत्मसमर्पण की ओर बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में बालाघाट जिले में सक्रिय नक्सली कपल धनुष उर्फ मुन्ना और उसकी पत्नी रोनी उर्फ तुले ने छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण किया।

खैरागढ़ के बकरकट्टा थाना पहुंचकर आत्मसमर्पण करने वाले इस नक्सली कपल की उम्र महज 25 साल है। दोनों माड़ डिवीजन और एमएमसी जोन के सक्रिय सदस्य रहे। धनुष न सिर्फ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता था, बल्कि उसकी कंप्यूटर स्किल और टाइपिंग स्पीड भी बेहद तेज थी। यही वजह है कि संगठन में उसे तकनीकी जिम्मेदारियाँ सौंपी गई थीं। एंटी नक्सल ऑपरेशन के एडिशनल एसपी आदर्शकांत शुक्ला के मुताबिक, धनुष नक्सली साहित्य, प्रेस नोट और मैग्जीन प्रभात के लिए कंटेंट तैयार करता था।

वहीं उसकी पत्नी रोनी और तुले सेंट्रल कमेटी मेंबर रामदेर के साथ काम करती रही है। एमएमसी जोन यानी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में संयुक्त ऑपरेशन तेज़ी से जारी है। हाल ही में हुई मुठभेड़ में इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद हुए थे, जिसके बाद नक्सलियों पर दबाव और बढ़ा। बालाघाट में सक्रिय यह नक्सली कपल भी बदलते हालात को देखते हुए अब शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने की चाह में मुख्यधारा में लौट आया है।

धनुष का संगठन में विशेष योगदान

धनुष नक्सली संगठन में तकनीकी जिम्मेदारियों के लिए जाना जाता था। वो न केवल फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता था, बल्कि कंप्यूटर और टाइपिंग में भी कुशल था। यही कारण है कि संगठन ने उसे नक्सली साहित्य, प्रेस नोट और ‘प्रभात’ मैगज़ीन के लिए कंटेंट तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी। धनुष पर 14 लाख और तुले पर 6 लाख का इनाम था। दोनों कई नक्सली वारदातों में शामिल रहे हैं और संगठन की सेंट्रल कमेटी के सदस्य रामदेर के साथ भी काम कर चुके हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

खैरागढ़ के बकरकट्टा थाना पहुंचकर दोनों ने आत्मसमर्पण किया। प्रशासन ने उनके आत्मसमर्पण को सराहनीय कदम बताया और कहा कि ये एमएमसी ऑपरेशन की सफलता का संकेत है। एंटी-नक्सल ऑपरेशन के अतिरिक्त एसपी आदर्शकांत शुक्ला ने बताया कि इस तरह के कदम से क्षेत्र में स्थायित्व और सुरक्षा बढ़ेगी।

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बालाघाट में कौन आत्मसमर्पण किया?

नक्सली दंपति धनुष (उर्फ मुन्ना) और उसकी पत्नी रोनी (उर्फ तुले) ने खैरागढ़ के बकरकट्टा थाना में आत्मसमर्पण किया।

इनकी नक्सली संगठन में क्या भूमिका थी?

धनुष तकनीकी जिम्मेदारियों के लिए जाना जाता था, जैसे नक्सली साहित्य और प्रभात मैगज़ीन के लिए कंटेंट तैयार करना। रोनी ने सेंट्रल कमेटी सदस्य रामदेर के साथ काम किया।

इनका आत्मसमर्पण क्या संकेत देता है?

यह एमएमसी क्षेत्र (मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़) में चल रहे संयुक्त एंटी-नक्सल ऑपरेशन की सफलता और क्षेत्र में स्थायित्व व सुरक्षा बढ़ने का संकेत है।