MP Kadaknath Yojana: इसमें दोमत नहीं कि सरकारी योजनाओं का खाका तैयार करना और इनका संचालन करना दोनों में जमीन-आसमान का अंतह होता है। अक्सर यह देखा गया है कि मंत्रालय से कागजों में निकली योजना जिम्मेदारों की लापरवाही से जरूरतमंदों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है। ऐसा ही हाल एमपी के ब्रांड बने कड़कनाथ योजना के साथ हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के 60 प्रतिशत जिलों में योजना के लिए बजट ही आवंटन नहीं किया गया है। मामले का खुलासा भी प्रदेश में हुईं ग्राम सरकार की पहली जिला पंचायत और जनपद पंचायत की बैठकों में हुआ। जब रिपोर्ट तैयार की गई, तो पाया कि राजधानी भोपाल समेत अन्य जिलों में कड़कनाथ योजना के लिए बजट का आवंटन ही नहीं किया गया है। जबकि अनुदान पर कडकनाथ चूजे का प्रदाय योजना प्रदेश के सभी जिलों में संचालित है।
MP Kadaknath Yojana: बता दे कि इस योजना का उद्देश्य एमपी के ब्रांड बने कड़कनाथ के जरिए हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार एवं कड़कनाथ नस्ल का संरक्षण और संवर्धन करना है। यह योजना सभी वर्ग के हितग्राहियों के लिए रखा गया, साथ ही बिना लिंग भेद के 28 दिवसीय 40 चूजे, कड़कनाथ का खाद्यान्न, औषधी और परिवहन का प्रावधान इस योजना के तहत किया गया। योजना के तहत अनुदान की व्यवस्था भी की गई है। इसमें सभी वर्गों के हितग्राहियों को सिर्फ कुल लागत का सिर्फ 25 प्रतिशत अंशदान का प्रावधान भी सरकार ने किया।
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MP Kadaknath Yojana: योजना की दुर्गति के मामले पर पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने दावा किया कि बीते दिनों हुई बैठक में कड़कनाथ योजना पर भी चर्चा हुई थी। इसकी जानकारी भी अधिकारियों से ली जाएगी। यह जांच भी कराई जाएगी कि आखिर योजना का फंड आखिर क्यों आवंटित नहीं किया गया। उधर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि सरकार सिर्फ योजनाओं के नाम पर धांधली करने में ही कड़क है। ग्रामीणों के साथ खासकर आदिवासियों के लिए शुरू की गई योजना दम तोड़ चुकी है। जो अपने प्रदेश के ब्रांड बने कड़कनाथ के लिए बनाई योजना का संचालन नहीं कर पा रही है तो अन्य योजनाओं का क्या हाल होगा।
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