शह मात The Big Debate: गरबा से पहले.. विवादों का डांडिया! गरबा जिहाद के आरोपों में कितनी सच्चाई है? देखिए रिपोर्ट
Garba Controversy in MP: गरबा से पहले.. विवादों का डांडिया! गरबा जिहाद के आरोपों में कितनी सच्चाई है? देखिए रिपोर्ट
Garba Controversy in MP
- गरबा की उत्पत्ति "गर्भ दीप" से जुड़ी है
- एमपी में हिंदू संगठनों ने गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगाने का ऐलान किया
- बीजेपी ने समर्थन किया
भोपाल: Garba Controversy in MP गरबा शब्द की उत्पत्ति हुई है गर्भ दीप से यानी मिट्टी के मटके के अंदर घड़े के अंदर एक दीपक रखना और उसके बाद शक्ति की आराधना करना। एक तरह का शक्ति का संचरण महिलाओं के अंदर हो जाए। यानी उनकी सृजन क्षमता भी बढ़े। जो जितना मोटा-मोटा जो उसका अर्थ है वो यह है। गरबा लोक नृत्य बेशक हो सकता है लेकिन हुदंग नहीं है। मनोरंजन नहीं है। तो अक्सर देश भर में आप देखते होंगे नवरात्रि के दौरान शक्ति की आराधना के पर्व पर गरबे के आयोजन होते हैं। बीते कुछ सालों से गरबा विवाद में तब्दील होता जा रहा है और विवाद की एक बड़ी वजह यह हो जाती है कि विजाती लोग विजाती यानी जो जिस समाज का यह आयोजन यानी हिंदू समाज का आयोजन है जिसे हम धार्मिक आयोजन कह सकते हैं। उसमें बाकी धर्म के लोग आ जाते हैं और उसके बाद कई सारी खबरें आती हैं छेड़छाड़ की या फिर इस तरह की चीजों की। बहुत सारे बयान आए आचार्य धीरेंद्र शास्त्री जो बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर हैं उन्होंने भी कहा यहां के तमाम जो पॉलिटिशियन है रामेश्वर शर्मा से लेके इंदौर की उषा ठाकुर तक सभी का ये कहना है कि भाई जब हम नहीं जाते हज करने दूसरे धर्म के लिए तो आपको क्यों आना चाहिए?
Garba Controversy in MP नवरात्र में गरबा की धार्मिकता को बनाए रखने के लिए एमपी में नई सियासी गदर शुरु हो गई है। हिंदू संगठनों ने गरबा में मुस्लिमोें की एंट्री बंद करने के लिए सीधे फरमान जारी कर दिया है। भोपाल में हिंदू संगठनों ने पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए जिसमें लिखा है। गरबा पंडाल में जिहादियों का आना सख्त मना है। पकड़े जाने पर घर वापसी कराई जाएगी। या उचित व्यवस्था की जाएगी और पंडाल के बाहर- हिंदू संगठन के सदस्य हाथों में लट्ठ लिए खड़े हैं। उनके हाथों में लोटा है जिसमें गौमूत्र और गंगा जल है,साथ ही वराह देवता की तस्वीर है और गरबा पंडालों में प्रवेश के लिए पांच नियम भी तय कर दिए हैं।
केवल हिंदू संगठनों ने ही नहीं बल्कि बागेश्वर वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी ऐलान कर दिया है कि-हिंदुओं के गरबे में तुम्हारा क्या काम है।
हिंदू संगठनों से लेकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जहां आक्रामक रुख अपनाया तो बीजेपी नेताओं ने भी समर्थन करने में देर नहीं की और साफ कह दिया कि ये हिंदुओं की आस्था का मामला है। यहां जिहाद की कोई जगह नहीं है। गरबा के बहाने लवजिहाद करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा
गरबा में भाईजान की एंट्री पर बैन को लेकर हिंदू संगठनों की चेतावनी और बीजेपी नेताओं के तल्ख बयान के बाद, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि मुसलमानों को गरबे में नहीं जाना चाहिए और मसूद ने सधे लहजे में बीजेपी पर त्योहारों के नाम पर राजनीति करने के आरोप भी मढ़ दिए।
कुलमिलाकर हर साल की तरह इस बार भी गरबा में मुस्लिमों की एंट्री बैन को लेकर हिंदू संगठन और बीजेपी नेता मुखर हैं। जिहाद के खिलाफ हो रही बयानबाजियों से सूबे का सियासी तापमान बढ़ा हुआ। ऐसे में सवाल ये उठते हैं कि क्या मुस्लिम गरबा के बहाने किसी गुप्त मिशन में जुटे हैं? सवाल ये भी क्या सद्भावना के मंच गरबा को विवादों की आग में झोंकना सही है?

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