MP News: कल राजा भभूत सिंह को याद करेंगी मध्यप्रदेश सरकार, सतपुड़ा की वादियों में आजादी की मशाल जलाई, की थी तात्या टोपे की मदद

कल राजा भभूत सिंह को याद करेंगी मध्यप्रदेश सरकार...MP News: Tomorrow the Madhya Pradesh government will remember Raja Bhabhut Singh

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  • Publish Date - June 2, 2025 / 08:21 PM IST,
    Updated On - June 2, 2025 / 08:21 PM IST

MP News | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • कल राजा भभूत सिंह को याद करेंगी मध्यप्रदेश सरकार,
  • राजा भभूत सिंह ने सतपुड़ा की वादियों में आजादी की मशाल जलाई,
  • राजा भभूत सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के समय तात्या टोपे की मदद की,

भोपाल : MP News:  विरासत से विकास और अपने जनजातीय नायकों को सम्मान देने के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राज्य शासन के सूत्र वाक्य के तहत मंगलवार 3 जून को पचमढ़ी में होने वाली बैठक में राजा भभूत सिंह के शौर्य तथा पराक्रम को याद किया जाएगा। पचमढ़ी के राजा भभूत सिंह ने जल, जंगल, जमीन एवं अपने क्षेत्र को बाहरी आक्रांताओं तथा अंग्रेजों से बचाए रखने के लिए समाज को एकजुट कर अंग्रेजी शासन का मुकाबला किया।

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MP News:  राजा भभूत सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के समय महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे की मदद भी की। वे तात्या टोपे के आह्वान पर देश की आजादी की मशाल लेकर सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में निकल पड़े। उन्होंने सतपुड़ा की वादियों में आजादी की मशाल जलाई। राजा भभूत सिंह ने अंग्रेजों की आँख में धूल झोंकते हुए अक्टूबर 1858 के अंतिम सप्ताह में तात्या टोपे के साथ ऋषि शांडिल्य की पौराणिक तपोभूमि साँडिया के पास नर्मदा नदी पार की। भभूत सिंह और तात्या टोपे ने नर्मदांचल में आजादी के आंदोलन की योजना बनाई। पचमढ़ी में सतपुड़ा की गोद में तात्या टोपे ने अपनी फौज के साथ भभूत सिंह से मिलकर 8 दिनों तक पड़ाव डाला और आगे की तैयारी करते रहे। हर्राकोट के जागीरदार भभूत सिंह का जनजातीय समाज पर बहुत अधिक प्रभाव था। उन्होनें जनजातीय समाज को स्वतंत्रता आंदोलान के लिए तैयार किया।

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MP News:  राजा भभूत सिंह को सतपुड़ा के घने जंगलों एवं पहाड़ियों के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी, जहाँ उन्होंने जनजातीय समाज को एकजुट कर उनके साथ मिल कर गौरिल्ला युद्ध पद्धति से अंग्रेजों का मुकाबला किया। राजा भभूत सिंह का रणकौशल ज़बरदस्त था। वह पहाड़ियों के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे, जबकि अंग्रेज़ फौज पहाड़ी रास्तों से परिचित नहीं थी। भभूत सिंह की फौज अचानक उन पर हमला करती और गायब हो जाती। इससे अंग्रेज बहुत ज्यादा परेशान रहने लगे।

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MP News:  ऐतिहासिक संदर्भों से ज्ञात होता है कि राजा भभूत सिंह का रणकौशल शिवाजी महाराज की तरह था। शिवाजी महाराज की तरह राजा भभूत सिंह सतपुड़ा पर्वतों के हर पहाड़ी मार्ग से वाकिफ थे। जब देनवा घाटी में अंग्रेजी मिलिट्री और मद्रास इन्फेंट्री की टुकड़ी के साथ राजा भभूत सिंह का युद्ध हुआ तो अंग्रेजी सेना बुरी तरह पराजित हो गई। इस संबंध में एलियट लिखते हैं कि भभूत सिंह को पकड़ने के लिए ही मद्रास इन्फेंट्री को बुलाना पड़ा था। राजा भभूत सिंह अपनी सेना के साथ 1860 तक लगातार अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष करते रहे। अंग्रेज पराजित होते रहे। वे सन 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले के रूप में भी जाने जाते हैं। राजा भभूत सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे के सहयोगी थे।

राजा भभूत सिंह कौन थे?

"राजा भभूत सिंह कौन थे" – राजा भभूत सिंह सतपुड़ा क्षेत्र के हर्राकोट के जागीरदार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने 1857 के विद्रोह के दौरान तात्या टोपे का साथ दिया और अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ा।

"राजा भभूत सिंह" ने तात्या टोपे के साथ क्या भूमिका निभाई थी?

राजा भभूत सिंह ने तात्या टोपे के साथ मिलकर सतपुड़ा की पहाड़ियों में आजादी की योजना बनाई और कई दिनों तक मिलकर सैन्य रणनीति तैयार की थी।

"राजा भभूत सिंह" का रणकौशल कैसा था?

राजा भभूत सिंह का रणकौशल शिवाजी महाराज जैसा माना जाता है। वे सतपुड़ा की पहाड़ियों के हर मार्ग से परिचित थे और गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे।

"राजा भभूत सिंह" का योगदान किस प्रकार का था?

उन्होंने जनजातीय समाज को एकजुट कर अंग्रेजों से मुकाबला किया, जल-जंगल-जमीन की रक्षा की, और स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई।

"राजा भभूत सिंह" पर शासन द्वारा क्या पहल की गई है?

राज्य शासन द्वारा 3 जून को पचमढ़ी में आयोजित बैठक में "राजा भभूत सिंह" के शौर्य को सम्मानपूर्वक याद किया जाएगा, जिससे उनकी विरासत को जनमानस में जीवित रखा जा सके।