Face To Face MP: कर्मचारी संगठनों के पंजीयन रद्द.. Congress बोली- हो गई हद! अब इस मामले पर सबकी नजरें सूबे के मुखिया मोहन यादव की तरफ... | MP Politics

Face To Face MP: कर्मचारी संगठनों के पंजीयन रद्द.. Congress बोली- हो गई हद! अब इस मामले पर सबकी नजरें सूबे के मुखिया मोहन यादव की तरफ…

MP Politics: कर्मचारी संगठनों के पंजीयन रद्द.. Congress बोली- हो गई हद! इस मामले पर सबकी नजरें सूबे के मुखिया मोहन यादव की तरफ

Edited By :   Modified Date:  May 24, 2024 / 10:12 PM IST, Published Date : May 24, 2024/10:12 pm IST

MP Politics: भोपाल। एमपी में कर्मचारियों की आवाज उठाने वाले बड़े कर्मचारी संगठनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिए गए है। कई दशकों से कर्मचारियों और अधिकारियों की आवाज को सरकार के पास पहुंचाने वाले कई कर्मचारी संगठनों को मौन कर दिया गया है। मान्यता खत्म होने से ये संगठन न तो सरकार से पत्राचार कर सकते हैं, न अपनी बात मंत्री-अफसरों से मिलकर बता सकते… तो आखिर ये फैसला लिया क्यों? और इसके अंदरखाने और कौन सी बातें चल रही हैं।

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मध्यप्रदेश में पहली बार 7 लाख कर्मचारियों और 5 लाख पेंशनर्स की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों के पंजीयन निरस्त कर दिए गए हैं। अब इतने बड़े वर्ग की लड़ाई लड़ने वाला कोई नहीं है। मान्यता खत्म होने से ये संगठन न तो सरकार से पत्राचार कर सकते हैं, न अपनी बात मंत्री-अफसरों से मिलकर बता सकते हैं। पंजीयन निरस्त करने वाली संस्था उद्योग विभाग के अधीन है और यह विभाग सीएम डॉ. मोहन यादव के पास है।

मामला सीएम तक पहुंचा तो उन्होंने रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी को तलब किया गया है, जिन कर्मचारी संगठनों के पंजीयन रद्द हुए है वो 50 से 55 साल पुराने बताए जा रहे हैं। इधर कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों और नेता का कहना है कि कर्मचारी संगठनों के आपसी मतभेद का फायदा असिसटेंट पंजीयक उठा रहे हैं। एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने एक्स पर लिखा है कि इस फैसले के बाद बीजेपी सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने भी इस फैसले की निंदा की है। इधर बीजेपी का कहना है कि वो इस विषय पर गंभीर है और जायज फैसला लेगी।

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MP Politics: एमपी में आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब कर्मचारियों की आवाज उठाने वाले संगठनों के पंजीयन निरस्त कर दिए गए हों। हालांकि, इसमें कर्मचारियों की आपसी मतभेद भी एक बड़ी वजह निकल सामने आ रही है। लेकिन, अब इस मामले पर सबकी नजरें सूबे के मुखिया मोहन यादव की तरफ हैं और इन संगठनों के पंजीयन बहाली में कितना वक्त लगेगा। इस पर सबकी नजर है।

 

 

 

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