Digvijay Singh on Anti-Paper Leak Law: एंटी-पेपर लीक कानून पर पूर्व मुख्यमंत्री ने उठाए कई सवाल, कहा – 4 महीने तक किसका इंतजार कर रही थी सरकार..?
Digvijay Singh on Anti-Paper Leak Law: एंटी-पेपर लीक कानून पर पूर्व मुख्यमंत्री ने उठाए कई सवाल Anti-Paper Leak Law
Digvijay Singh on Anti-Paper Leak Law
Digvijay Singh on Anti-Paper Leak Law: भोपाल। UGC-NET प्रवेश परीक्षा रद्द करने के बाद अब NTA ने CSIR-UGC-NET परीक्षा को स्थगित कर दिया। इसी बीच इन परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने पेपर लीक विरोधी कानून की आधिसूचना जारी कर दी है। केंद्र सरकार द्वारा पारित इस कानून का नाम लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 है। इधर अधिसूचना जारी होते ही अब विपक्ष केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोल रहे हैं। इसी कड़ी में पेपर लीक को लेकर नए कानून पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बयान सामने आया है।
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दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पिछले लोकसभा, राज्यसभा स्तर पर यह बिल पास हो चुका है। 4 महीने पहले राष्ट्रपति ने स्वीकृति दे दी थी। 4 महीने तक सरकार किसका इंतजार कर रही थी? पहले इसको लेकर नियम क्यों नहीं बनाएं? जहां-जहां बीजेपी की सरकार है पेपर लीक की घटनाएं सामने आ रही है। दिग्विजय सिंह ने कहा, कि व्यापमं से नीट तक एक जैसी स्ट्रैटेजी है या तो पेपर लीक होगा या तो पेड़ सॉल्वर बैठाएं जाएंगे या एक ही सेंटर पर इंजन बोगी सिस्टम से नकल कराया जाता है।
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NTA ने तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया – दिग्विजय सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा, कि 1563 लोगों को ग्रेस मार्क क्यों दिए गए हैं। NTA ने तथ्यों को छिपाने का शुरू से प्रयास किया है। 180 सेंटर पर CCTV कैमरे नहीं थे, जहां पेपर रखे गए वहां पुलिस की सुरक्षा नहीं थी। दिग्विजय सिंह ने कहा, कि यह हजारों करोड़ का खेल है। एक एक प्रश्न पत्र का 30 लाख -40 लाख लिया जा रहा है। अगर व्यापमं की जांच सही होती तो यह नहीं होता। डबल इंजन सरकार की इसमें साजिश है। 2004 से 2024 तक अपने लोगों को अयोग्य लोगों को डॉक्टर इंजीनियर बनाने का खेल चल रहा है।
नए कानून में क्या प्रावधन
दरअसल, पिछले दिनों एक के बाद एक देश की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में आ रही धांधली की खबरों के बीच लगातार सवाल पूछा जा रहा था कि आखिर यह कानून (Anti-Paper Leak Law) कब लागू किया जाएगा। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक दिन पहले ही कहा था कि कानून मंत्रालय इस पर नियम बना रहा है। शुक्रवार को लागू हुए इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की जेल की सजा होगी। इसे बढ़ाकर पांच साल किया जा सकता है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
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कब बढ़ा विवाद
बता दें कि NET यूजी की परीक्षा 5 मई को हुई थी, इसमें करीब 24-25 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। वहीं, 4 जून को इसका रिजल्ट आया था। इसी दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे भी सामने आए थे। कहा जा रहा है कि 10 दिन बाद यानी 14 जून को इसका रिजल्ट आना था, लेकिन 4 जून को ही इसके परिणाम घोषित कर दिए गए। वहीं, रिजल्ट जारी होने के बाद से ही इस पर सवाल उठने लगे थे। दरअसल, एक साथ 67 टॉप कर गए थे। इन्हें 720 में से 720 नंबर मिले थे। ऐसा पहली बार हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों ने पूरे 100 फीसदी नंबर प्राप्त किए हों। इसके बाद यह मामला और गरमा गया और फिर इस पर बवाल शुरू हो गया।
1563 स्टूडेंट्स को दिए गए थे ग्रेस मार्क्स
कुछ समय बाद पता चला कि 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। इसके बाद ही परीक्षा का पेपर लीक होने का भी खुलासा हुआ और यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। ग्रेस मार्क्स वाले 1563 छात्रों के स्कोर कार्ड रद्द कर दिए गए। नीट परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गईं। बता दें कि इन सभी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होनी है। इधर नीट परीक्षा में धांधली की खबर तूल पकड़ी ही थी कि इस बीच 18 जून को हुई यूजीसी नेट की परीक्षा रद्द कर दी गई। इस परीक्षा में 9 लाख से अधिक स्टूडेंट्स इसमें शामिल हुए थे। सरकार ने बताया कि गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए इसे रद्द किया गया। इधर टेलीग्राम पर पर्चा आ गया था।

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