MP News: भाजपा विधायक ने जज को किया फोन, इस मुद्दे पर चर्चा करने की कोशिश, अब जस्टिस ने कह दी ये बड़ी बात
भाजपा विधायक ने जज को किया फोन, जस्टिस ने खुद को सुनवाई से किया अलग, BJP MLA called the judge, Justice recused himself from the hearing
भोपालः एमपी हाईकोर्ट के एक जज ने बीजेपी विधायक संजय पाठक पर बड़ा आरोप लगाया है। हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा है कि विधायक संजय पाठक ने उन्हें फोन करने की कोशिश की। ये अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें किसी हाईकोर्ट जस्टिस ने खुद खुलासा किया है कि सत्ताधारी दल के विधायक ने केस के सिलसिले में सीधे उनसे डिस्कशन की कोशिश की है। इस खुलासे के साथ ही जज ने को केस से खुद अलग कर लिया है खुद इसका खुलासा किया है।
इस मामले में सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने संजय पाठक पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं को लगता है सब बिकाऊ है। हाईकोर्ट के जज साहब को धन्यवाद है कि उन्होंने इस बात का खुलासा किया। वहीं विधायक संजय पाठक के मामले में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है। संजय पाठक को लेकर कांग्रेस के आरोप पर मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने कहा कि कांग्रेस के पास कुछ मुद्दे बचे नहीं अनर्गल आरोप लगाती है। हाईकोर्ट के जज सम्मानित व्यक्ति होते है। कैसे कोई हाईकोर्ट के जज को बोल सकता है। कांग्रेस को इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
जानिए क्या है मामला?
कटनी के रहने वाले आशुतोष मनु दीक्षित ने जून 2025 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के अवैध खनन से जुड़ी शिकायतें ईओडब्ल्यू में की थी। लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी उसमें जांच आगे नहीं बढ़ी। इस केस में पाठक के परिवार की कंपनियों की ओर से इंटर विन एप्लिकेशन लगाई गई थी। इसी बीच खनिज विभाग के प्रमुख सचिव ने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ 443 करोड़ का जुर्माना अधिरोपित किया गया था। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी विधानसभा में जानकारी दी थी कि जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन, मेसर्स निर्मला मिनरल्स और पेसिफिक एक्सपोर्ट द्वारा मंजूरी से ज्यादा खनन किया गया। इससे पहले आशुतोष मनु दीक्षित ने 31 जनवरी 2025 को ईओडब्ल्यू में एक शिकायत में कहा था कि इन कंपनियों ने 1 हजार करोड़ रुपए की राशि जमा नहीं की है। शिकायत पर 23 अप्रैल को एक जांच टीम बनी। टीम ने 6 जून को रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। इसमें तीनों खनन कंपनियों पर 443 करोड़ रुपए की वसूली निकाली गई थी। हालांकि इस मामले में कंपनियों ने अपने स्पष्टीकरण में कहा था कि वे 70 साल से खनिज का व्यापार कर रहे हैं। इतने सालों में कभी उन पर रॉयल्टी या टैक्स चोरी की कोई शिकायत नहीं है।

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