IAS Santosh Verma News: बेटियों पर विवादित बयान को लेकर घिरे ये IAS संतोष वर्मा, अब ब्राह्मण समाज खोला मोर्चा, पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर की ये मांग
IAS Santosh Verma News: बेटियों पर विवादित बयान को लेकर घिरे ये IAS संतोष वर्मा, अब ब्राह्मण समाज खोला मोर्चा, पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर की ये मांग
IAS Santosh Verma News
- IAS संतोष वर्मा ने आरक्षण पर ब्राह्मण समाज को लेकर विवादित टिप्पणी की
- ब्राह्मण समाज ने FIR की मांग की और बयान को अपमानजनक बताया
- IAS वर्मा ने सफाई देते हुए माफी मांगी और बयान को गलत तरीके से पेश किया बताया
पन्ना: IAS Santosh Verma News मध्य प्रदेश में वरिष्ठ IAS अधिकारी संतोष वर्मा के एक बयान ने सामाजिक और सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। भोपाल के अंबेडकर मैदान में 23 नवंबर 2025 को एक सम्मेलन के दौरान अधिकारी ने कथित तौर पर आरक्षण को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिससे ब्राह्मण समाज की भावनाएं बुरी तरह आहत हुई हैं। पन्ना जिले में ब्राह्मण समाज पुलिस अधीक्षक को एक लिखित आवेदन सौंपकर IAS अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज करने और कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
IAS Santosh Verma News: तत्काल कार्रवाई की मांग
आरोप है कि वर्मा ने “जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान न कर दे या उससे संबंध न बना दे, तब तक आरक्षण मिलना चाहिए।” ये शब्द कहा है। आवेदकों ने इसे ब्राह्मण समाज की बहन-बेटियों का घोर अपमान और जातिगत द्वेष फैलाने वाला कृत्य बताया है। शिकायत में कहा गया है कि इस विवादित बयान से भविष्य में वर्ग संघर्ष फैलने की प्रबल संभावना है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बयान वायरल होने के बाद, समाज के हर वर्ग ने अधिकारी पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति अधिकारी कर्मचारी संघ का रविवार, 23 नवंबर 2025 को भोपाल के अंबेडकर पार्क में प्रांतीय सम्मेलन हुआ। इस वार्षिक प्रांतीय सम्मेलन में सरकारी विभागों से मूलभूत समस्याओं को खत्म कर आरक्षित वर्ग को एकजुट करने का ऐलान किया गया। सम्मेलन में सरकारी विभागों में अधिकारी और कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा भी उठा। जिसमें IAS संतोष वर्मा को अजाक्स का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया।
जिसके बाद आईएएस संतोष वर्मा ने आरक्षण को लेकर की ब्राम्हणों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ‘मैं तब तक यह बात नहीं मानूंगा कि एक परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण मिलना चाहिए, जब तक कि मेरे बेटे को कोई ब्राह्रमण अपनी बेटी दान न कर दें, या उससे उसका संबंध न बना ले। केवल आर्थिक आधार की बात है तो। जब तक रोटी-बेटी का व्यवहार नहीं होता, तब तक समाज के पिछड़ेपन के कारण आरक्षण की पात्रता मिलती रहेगी।’

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