By-election riots.. The game of defection continues! BJP's clan growing in wartime

उपचुनाव का दंगल.. जारी है दलबदल का खेल! युद्धकाल में बढ़ता BJP का कुनबा

By-election riots.. The game of defection continues! BJP's clan growing in wartime

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:50 PM IST, Published Date : October 26, 2021/12:55 pm IST

Mp upchunav latest update 2021 : भोपाल एमपी में होने वाले उपचुनाव में अब महज 3 दिन का समय बचा है। दोनों दलों से दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन मतदान से पहले दलबदल का खेल भी जारी है। खास तौर पर अलग-अलग दलों के नेताओँ को बीजेपी में शामिल किया जा रहा है। सुलोचना रावत, शिशुपाल यादव के बाद अब बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला को शामिल कर बीजेपी मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करना चाहती है। वहीं रैगांव में निर्दलीय पुष्पेंद्र बागरी ने पार्टी ज्वाइन कर बीजेपी को राहत दी है। अब सवाल ये है कि इस दलबदल से उपचुनाव के नतीजों पर कितना असर पड़ेगा।

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सचिन बिरला, बड़वाह विधायक, पुष्पेंद्र बागरी निर्दलीय विधायक रैगांव, पृथ्वीपुर में बीएसपी नेता, शंकर बामनिया, कांग्रेस जिला अध्यक्ष, अलीराजपुर ये वो नाम हैं, जो उपचुनाव से पहले बीजेपी के कुनबे में शामिल हो चुके हैं। एक ओर उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार चरम पर है। तो दूसरी ओर जोबट में सुलोचना रावत के बीजेपी में शामिल होने के बाद दलबदल का खेल अबतक बदस्तूर जारी है। कांग्रेस समेत दूसरे दल से नेता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। जाहिर है बीजेपी के बढ़ते कुनबे ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका विधायक सचिन बिरला के जाने से होगा। एक दिन पहले तक कांग्रेस के लिए प्रचार कर रहे सचिन बिरला के बीजेपी में शामिल होने के बाद उपचुनाव में जनता से ही न्याय की उम्मीद लगाए बैठी है।

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वहीं मतदान से ठीक पहले तमाम नेताओं के बीजेपी ज्वाइन करने और अलग-अलग दलों के नेताओं का समर्थन मिलने से बीजेपी नेता खासे उत्साहित हैं। हालांकि इससे बीजेपी के कार्यकर्ताओ में जरूर निराशा है पर बीजेपी को लगता है अपने कार्यकर्ताओं को मना लगी और कांग्रेस और दूसरे दलों में मची भगदड़ का उसे सियासी फायदा भी मिलेगा।

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चुनाव से पहले नेताओं का दलबदल कोई नई बात नहीं है। अब तक आम चुनावों में इस तरह के दल बदल देखे जाते थे पर प्रदेश की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव को बीजेपी ने नाक की लड़ाई बना ली है। लिहाजा बीजेपी ये जताने की भरपूर कोशिश कर रही है कि जनता का समर्थन उसे हासिल है। उससे पहले दूसरे दलों के नेताओ कों अपने पाले लाकर बीजेपी बताना चाहती है कि जिन दलों से पार्टी नहीं संभल रही.. वो प्रदेश क्या संभालेंगे।

 

 

 
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