सोशल मीडिया पर 'आपत्तिजनक' सामग्री डालने के आरोप में कार्टूनिस्ट के खिलाफ मामला दर्ज |

सोशल मीडिया पर ‘आपत्तिजनक’ सामग्री डालने के आरोप में कार्टूनिस्ट के खिलाफ मामला दर्ज

सोशल मीडिया पर 'आपत्तिजनक' सामग्री डालने के आरोप में कार्टूनिस्ट के खिलाफ मामला दर्ज

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Modified Date: May 22, 2025 / 01:30 PM IST
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Published Date: May 22, 2025 1:30 pm IST

इंदौर, 22 मई (भाषा) सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री डालकर कथित रूप से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और अलग-अलग समुदायों के आपसी सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के आरोपों में इंदौर के एक कार्टूनिस्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के खिलाफ यह प्राथमिकी शहर के वकील और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विनय जोशी की शिकायत पर लसूड़िया पुलिस थाने में बुधवार देर शाम दर्ज की गई।

उन्होंने बताया कि प्राथमिकी में मालवीय के फेसबुक खाते पर डाली गई आपत्तिजनक सामग्री का जिक्र किया गया है जिसमें भगवान शिव को लेकर कथित तौर पर अनुचित टिप्पणी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों और अन्य लोगों के कथित कार्टून, वीडियो, फोटो और कमेंट्री शामिल हैं।

अधिकारी के मुताबिक प्राथमिकी में मालवीय के कार्टूनों को ‘आपत्तिजनक’, ‘अभद्र’ और ‘अमर्यादित’ करार देते हुए आरोप लगाया गया है कि इन्हें हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि धूमिल करने के इरादे से सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया है।

मालवीय को फेसबुक पर करीब 40,000 लोग ‘फॉलो’ करते हैं। उन्होंने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर यह अस्वीकरण (डिस्कलेमर) लिख रखा है कि उनके सभी कार्टूनों के पात्र ‘‘काल्पनिक’’ हैं और इन पात्रों के चेहरों का किसी भी व्यक्ति के हुलिये से मिलना ‘संयोग’ और ‘दर्शकों की कल्पना’ पर निर्भर है।

लसूड़िया पुलिस थाने के प्रभारी तारेश सोनी ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘मालवीय के खिलाफ दर्ज मामले की जांच की जा रही है। अभी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।’’

उन्होंने बताया कि कार्टूनिस्ट के खिलाफ जिन प्रावधानों में मामला दर्ज किया गया है, उनमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (अलग-अलग समुदायों के आपसी सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कृत्य), धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को जान-बूझकर ठेस पहुंचाना) और धारा 352 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान) के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए (यौन क्रिया से जुड़ी सामग्री का इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में प्रकाशन या प्रसारण) शामिल हैं।

भाषा हर्ष नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)