Cash worth crores recovered from RTO Santosh Paul's house

करप्शन का जाल.. MP के बाबू मालामाल! क्या वाकई भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस है?

करप्शन का जाल.. MP के बाबू मालामाल! क्या वाकई भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस है? Cash worth crores recovered from RTO Santosh Paul's house

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : August 18, 2022/11:20 pm IST

भोपालः सरकार भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात तो कहती है लेकिन ज़मीन पर ऐसा नहीं होता है। जबलपुर के आरटीओ संतोष पाल के यहां EOW की रेड पड़ी और उनके पास आय से 650 गुना ज्यादा दौलत मिली है। पूरे 300 करोड़ की संपत्ति उसने अपनी 65 हज़ार की नौकरी में बनाई है। जाहिर है ये संपत्ति गरीबों और मजलूमों को सता कर बनाई गई होगी और कहा गया होगा कि ये सिस्टम है, काम करवाना है तो रुपये देने होगे। ये कोई पहला मामला नहीं है। पूरा देश गाहे-बगाहे एमपी के बाबूओं के काली कमाई के किस्से सुनता आ रहा है। लेकिन सवाल ये हैं कि क्या वाकई भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस हैं। अगर है तो ये बाबू कैसे अपनी कमाई दोगुना तीगुना नहीं बल्कि 650 गुना बढ़ा लेते हैं।

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हर महीने 65 हजार रुपए कमाने वाले आरटीओ संतोष पाल का घर किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है। यहां ऐशो आराम की हर सुविधा मौजूद है। संतोष की पत्नी का वेतन भी 55 हजार रुपए महीना है। लेकिन जब ईओडब्ल्यू की टीम ने पाल दंपत्ति के सागर और जबलपुर वाले घरों पर छापा मारा तो करोड़ों की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ। ऐसा ही एक मामला भोपाल से भी सामने आया है, जहां चिकित्सा शिक्षा विभाग में क्लर्क हीरो केसवानी के घर से 85 लाख नगद, 4 करोड़ की प्रॉपर्टी के दस्तावेज और 3 लग्जरी गाड़ियां मिली। प्रदेश में घूसखोरों के खिलाफ हो रही धरपकड़ पर अब सियासी रंग भी चढ गया है। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह इन कार्यवाइयों के जरिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

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मध्यप्रदेश में आयकर विभाग के अलावा EOW और लोकायुक्त जैसी संस्थाएं घूसखोरों को पकड़ने के लिए शिकायत के साथ-साथ पुख्ता सबूत हाथ लगने के बाद ही कार्रवाई करती है। ऐसे में जब कांग्रेस सरकार को घेर रही है बीजेपी का साफ कहना है कि ये सरकार की सतर्कता है कि घूसखोरों के खिलाफ तेज कार्रवाई की जा रही है। करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की दुहाई बहुत दी जाती है लेकिन जब भी काली कमाई के कारनामे सामने आते हैं। तो यही सवाल उठता है कि क्या ऐसे कुबेरों को राजनीतिक संरक्षण हासिल होता है। वैसे भ्रष्ट्राचार के खिलाफ ऐसी कार्रवाई सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं हो रही बल्कि छोटे शहरों के अधिकारियों के भी पकड़ने का सिलसिला जारी है। आखिरी में बात रीवा की जहां लोकायुक्त की टीम ने 10 हजार की रिश्वत लेते एसडीएम के रीडर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

 

 
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