बीजेपी का दलित प्लान…कांग्रेस का सुस्त अभियान! मिशन 2023 की तैयारी में पिछड़ती नजर आ रही कांग्रेस

मिशन 2023 की तैयारी में पिछड़ती नजर आ रही कांग्रेस! Congress seems to be lagging behind in preparation for Mission 2023

बीजेपी का दलित प्लान…कांग्रेस का सुस्त अभियान! मिशन 2023 की तैयारी में पिछड़ती नजर आ रही कांग्रेस
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: April 1, 2022 11:17 pm IST

रिपोर्ट- सुधीर दंडोतिया, भोपाल : Bjp’s preparation for Mission 2023 प्रदेश में चुनाव मोड में आ चुकी बीजेपी ने मिशन 2023 के रोडमैप पर काम शुरू कर दिया है। आदिवासी वोटर्स को साधने बीजेपी सरकार ने पीएम नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में राजधानी के जम्बूरी मैदान में जनजातीय गौरव दिवस मनाया, तो अब अंबेडकर के जयंती पर लाखों दलित वोटर्स को साधने उसी जम्बूरी मैदान में महाकुम्भ कर बड़ा संदेश देने की तैयारी है दूसरी ओर मिशन 2023 की तैयारी में जुटी कांग्रेस थोड़ी पिछड़ती नजर आ रही है।

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preparation for Mission 2023 मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी दूर हो लेकिन बीजेपी ने 2023 में सत्ता की वापसी के लिए तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी के रणनीतिकार सत्ता में पहुंचने का रास्ता एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग के वोटर्स में तलाश रहे हैं। 2018 से सबक लेते हुए बीजेपी ने पहले जनजातीय गौरव दिवस मनाया। दलित वोटों को साधने बीजेपी ने संत रविदास जयंती को प्रदेश में भव्य रूप से बनाया और अब सत्ता और संगठन अंबेडकर जयंती पर जम्बूरी मैदान में भव्य आयोजन की तैयारी कर रहे हैं। 14 अप्रैल को बीजेपी दलित महाकुंभ के जरिये प्रदेश के ढाई लाख एससी वोटरों को भोपाल लाकर मेगा शो की तैयारी शुरू कर दी है!

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2003 से 2013 तक चुनाव में आदिवासी और दलित वोट बीजेपी के साथ था, लेकिन 2018 में कांग्रेस की ओर ये वोट बैंक डायवर्ट हो गया और बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी। ऐसे में बीजेपी ने भी अभी से इन वर्गों को साधना शुरू कर दिया है। वहीं कांग्रेस भी इस वोट पर मजबूत पकड़ बनाये रखने के लिए लगातार आदिवासी और दलित अत्याचार के मुद्दे उठा रही है। इसके लिए कांग्रेस ने अपने सदस्यता अभियान को गति देने की शुरुआत की। हालांकि कांग्रेस के तय लक्ष्य 50 लाख में से अब तक महज 10 लाख सदस्य ही बन पाए है पर अपने अभियान से ज्यादा चिंता कांग्रेस को दलित वोटर्स की है।

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जाहिर है मध्यप्रदेश में सत्ता का गलियारा प्रदेश के एससी-एसटी और ओबीसी वोट से ही खुलता है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो साल 2013 में बीजेपी को एससी-एसटी की 59 सीटें मिली थी। इन्हीं 59 सीटों की वजह से बीजेपी ने अपना तीसरा टर्म पूरा किया था, लेकिन एससी-एसटी ने साल 2018 के चुनावों में बीजेपी के बजाए कांग्रेस पर भरोसा जाहिर किया। नतीजा ये रहा कि रिजर्व सीटों और निर्दलीयों के सहारे कांग्रेस ने सत्ता का वनवास खत्म कर लिया। हालांकि कांग्रेस का ये सफर मुश्किल भरा रहा और आखिरकार 2020 में कांग्रेस की सरकार गिर गई। अब मिशन-2023 के लिए अभी से बीजेपी और कांग्रेस जातिगत समीकरण जमाने में लगे हैं। आदिवासियों के बाद अब दलित वर्ग के वोटरों को रिझाने सत्तारूढ़ बीजेपी आंबेडकर जयंती पर मेगा शो कर रही है देखना होगा ये वर्ग बीजेपी को कितना साथ देता है।

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