Bundelkhand Ki Holi : रस भरा त्यौहार हुआ नीरस..! अब गलियों में ढोल नगाड़ों के साथ नहीं गाई जाएगी फाग, सामने आए लोगों के मायूस चेहरे, जानें पूरा मामला

Bundelkhand Ki Holi: होली का त्योहार हिंदुओं का पारंपरिक रूप से मनाने वाला त्योहार है। हिंदुओं के पावन त्योहारों में होली शामिल है।

Bundelkhand Ki Holi : रस भरा त्यौहार हुआ नीरस..! अब गलियों में ढोल नगाड़ों के साथ नहीं गाई जाएगी फाग, सामने आए लोगों के मायूस चेहरे, जानें पूरा मामला

Reported By: Arun Mishra,
Modified Date: March 24, 2024 / 02:57 pm IST
Published Date: March 24, 2024 2:46 pm IST

Bundelkhand Ki Holi: दतिया। वैसे तो होली का त्योहार हिंदुओं का पारंपरिक रूप से मनाने वाला त्योहार है। हिंदुओं के पावन त्योहारों में होली शामिल है। यह त्योहार सनातन संस्कृति के उदय के साथ ही मनाया जाता आ रहा है। महीनों पहले इस त्योहार की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस बार होली के रसभरे रंगीन त्योहार को आदर्श आचरण संहिता का गृहण लग गया है। वृज मंडल एवं बुंदेलखंड में यह पारंपरिक त्योहार खास रूप से मनाया जाता आ रहा है। गांव की गलियां हों या शहर के चौराहे होलिका दहन के बाद रंग पंचमी तक ढोल नगाड़ों की थाप पर फाग गाते एवं नाचते हुरियारे इस बार आपको दिखाई नहीं देंगे।

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Bundelkhand Ki Holi: इस बार कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी दतिया संदीप माकिन के एक आदेश ने इस रंग भरे त्योहार को बेरंग बना दिया है। दतिया जिले की राजस्व सीमा में होली के त्योहार पर ढोल नगाड़े बजाने एवं फगुआरों के द्वारा फाग गाते हुए निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कलेक्टर के आदेश के बाद ये रस भरा त्योहार नीरस हो गया है। हालांकि कलेक्टर के इस आदेश को लोग तानाशाही पूर्ण रवैया बता रहे हैं कुछ लोग तो इस पर तमाम प्रकार के आरोप भी लगा रहे हैं। जहां मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है वहीं होली जैसे पारंपरिक त्योहार पर प्रतिबंध को लेकर हिंदूवादी नेताओं में भी नाराजगी देखी जा रही है।

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Bundelkhand Ki Holi: होली पूरे हिंदुस्तान का पारंपरिक त्यौहार है लेकिन व्रज क्षेत्र और बुंदेलखंड में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दतिया की होली और भी रसभरी होती है। दतिया में बड़े गोविंद जी के मंदिर से प्रारंभ होकर होली लाला हरदौल के मंदिर तक मनाई जाती है। इस बार होली के रंग कुछ फीके दिखाई दे रहे हैं । जिसका कारण दतिया कलेक्टर का एक आदेश है। जिसमें कलेक्टर दतिया ने परंपरागत रूप से बजाएं जाने वाले नगाड़ों पर भी रोक लगा दी है। इसलिए होली के रस कुछ नीरस होते हुए दिखाई दे रहे हैं।

Bundelkhand Ki Holi: समाजसेवी रवी ठाकुर के अनुसार दतिया में रियासत काल से होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। शहर के प्रमुख गलियों एवं मोहल्ले मोहल्ले में जाकर हुरियारे होली का गायन करते हैं और होली खेलते हैं। रवि ठाकुर ने भी कलेक्टर की आदेश को औचित्य हीन और निराधार बताया है और तमाम लोग हैं वह भी कलेक्टर के आदेश की निंदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years