मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहलाता है ये मंदिर, साल में सिर्फ 10 दिन के लिए खुलते है पट
MP ka amarnath nagdwar mandir मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहलाता है नागद्वार मंदिर, साल में सिर्फ 10 दिन ही होते हैं दर्शन
MP ka amarnath nagdwar mandir
MP ka amarnath nagdwar mandir: घूमने फिरने के लिहाज से मध्यप्रदेश एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। यहां की सतपुड़ा पर्वत की वादियां बहुत ही मनोरम और प्रसिद्ध है। इन्हीं वादियों में दुर्गम रास्तों के बीच नाग देवता का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर विराजित है, जिसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहा जाता है।
MP ka amarnath nagdwar mandir: इस जगह को मध्य प्रदेश का अमरनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को साथ दुर्गम पहाड़ियों से होकर गुजरना पड़ता है। यहां स्थित मंदिर सिर्फ सावन के महीने में 10 दिनों के लिए खोला जाता है और इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं। इस बार 12 से 22 अगस्त तक यहां पर मेला लगने वाला है, जिसमें 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यहां आयोजित होने वाले मेले को नागद्वार यात्रा के नाम से भी पहचाना जाता है।
पैदल होती है यात्रा
MP ka amarnath nagdwar mandir: वर्ष में एक बार जब नागद्वारी यात्रा होती है, तब ही इस रास्ते को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। यहां स्थित गुफाओं में एक नहीं बल्कि नाग देवता की सैकड़ों प्रतिमाएं मौजूद है। यह यात्रा नागफनी से शुरू होती है, जो 15 किलोमीटर की है। इस दौरान सात पहाड़ों को चढ़कर लोग मंदिर तक पहुंचते हैं। सावन के महीने में मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं।
पौराणिक महत्व
MP ka amarnath nagdwar mandir: नागद्वारी के इस मेले का पौराणिक महत्व भी काफी गहरा है। देवाधिदेव महादेव की नगरी पचमढ़ी में हर साल मेले का आयोजन किया जाता है, जो अपनी दिव्यता के लिए पहचाना जाता है। पौराणिक महत्व के मुताबिक ऐसा बताया जाता है कि यहां बैठे नागराज के दर्शन बाबा अमरनाथ के दर्शन के बराबर होते हैं। साथ ही नागद्वारी मंदिर में दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलने के साथ व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है।
टाइगर रिजर्व में आता है क्षेत्र
MP ka amarnath nagdwar mandir: नागद्वारी गुफा का यह हिस्सा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में आता है। यही वजह है कि यहां पर श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होता है। साल में सिर्फ 10 दिन यह मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलता है। अलावा बाकी समय यहां पर रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन द्वारा गेट बंद कर दिया जाता है। इस मंदिर का रास्ता काफी दुर्गम है इसलिए यहां जाने वाले पर्यटकों को हर कदम बहुत संभल संभल कर रखना पड़ता है।
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