Madhya Pradesh Politics News: किस हाल में हैं कमलनाथ की सरकार गिराने वाले 22 नेता?.. क्या ‘वफ़ा’ और ‘गद्दारी’ के बीच ख़त्म हो गई सियासत? आप भी जानें

ग्वालियर-चंबल में ये जो राजनीति के चेहरे हैं, वे फिलहाल गुमनाम हो रहे हैं। न तो फील्ड में इनकी सक्रियता दिखाई दे रही है, न ही संगठन में हैं। हालांकि ये लोग फिर से उम्मीद लगाए बैठे हैं।

Madhya Pradesh Politics News: किस हाल में हैं कमलनाथ की सरकार गिराने वाले 22 नेता?.. क्या ‘वफ़ा’ और ‘गद्दारी’ के बीच ख़त्म हो गई सियासत? आप भी जानें

Madhya Pradesh Politics News || Image- IBC24 News File


Reported By: Nasir Gouri,
Modified Date: October 24, 2025 / 02:49 pm IST
Published Date: October 24, 2025 2:49 pm IST
HIGHLIGHTS
  • सिंधिया समर्थक विधायकों का राजनीतिक पतन?
  • ग्वालियर-चंबल में गुमनाम हुए पूर्व विधायक
  • कांग्रेस ने कहा – गद्दार किसी का सगा नहीं

Madhya Pradesh Politics News: ग्वालियर: तमाम कोशिशों और मेहनत के बाद कांग्रेस ने 2018 में कमलनाथ की अगुवाई में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी। लेकिन कुछ दिनों बाद यह गिर गई। सरकार गिराने में तब के 22 विधायकों की बड़ी भूमिका थी। ऐसे में अब हर कोई जानना चाहता है कि पाला बदलने वाले उन पूर्व विधायकों का क्या हुआ और वे आज किस पद पर हैं?

दरअसल, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिराने वाले विधायक अब हाशिए पर जा चुके हैं। न तो अब उनकी विधायकी बची है और न सरकार और संगठन के पास से इनके पास कोई पद है। ग्वालियर-चंबल में इनकी संख्या एक-दो नहीं, बल्कि एक दर्जन से ज्यादा है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो ये लोग राजनीति में गर्दिश के दौर से गुजर रहे हैं। बीजेपी कहती है कि संगठन योग्यता के आधार पर सब करता है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि गद्दार किसी का सगा नहीं होता।

दरअसल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर कमलनाथ सरकार गिराने वाले 22 विधायकों में से कई के राजनीतिक सितारे गर्दिश में हैं। बीजेपी ने उस वक्त उन्हें टिकट देकर, तो कहीं मंडल और प्राधिकरणों में जगह देकर उस समय तो पुनर्वास कर दिया। लेकिन अब ये लोग ग्वालियर-चंबल की राजनीति में खो गए हैं। हालांकि 30 फीसदी विधायकों ने चुनाव जीतकर वापसी की, लेकिन 70 फीसदी पूर्व विधायकों की राजनीति पर संकट आ गया है।

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किस हाल में हैं ज्यादातर नेता?

  • ओपीएस भदौरिया, मेहगांव भिंड से विधायक थे, लेकिन अब कोई पद नहीं है। उपचुनाव में टिकट दिया, लेकिन 2023 में टिकट भी काट दिया।
  • गिर्राज कंसाना, दिमनी मुरैना से विधायक थे। उपचुनाव में टिकट दिया, हार गए। 2023 में पार्टी ने टिकट काटकर नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतार दिया।
  • रणवीर जाटव, गोहद भिंड से विधायक थे। उपचुनाव में टिकट दिया, हार गए। 2023 में पार्टी ने टिकट काटकर लाल सिंह आर्य को दिया।
  • मुन्नालाल गोयल, ग्वालियर पूर्व विधानसभा से विधायक थे। उपचुनाव में टिकट दिया, हार गए। 2023 में पार्टी ने टिकट काटकर माया सिंह को मैदान में उतारा।
  • इमरती देवी, ग्वालियर की डबरा सीट से विधायक थीं। उपचुनाव में टिकट दिया, हार गईं। 2023 में फिर पार्टी ने टिकट दिया, फिर हार गईं। संगठन में कोई पद नहीं है।
  • रक्षा सिरोनिया, भांडेर से विधायक थीं। उपचुनाव में टिकट दिया, हार गईं। फिर 2023 में टिकट भी काट दिया। संगठन में कोई पद नहीं है।
  • रघुराज सिंह कंसाना, मुरैना से विधायक थे। उपचुनाव में टिकट दिया, हार गए। फिर 2023 में टिकट भी काट दिया। संगठन में कोई पद नहीं है।

Madhya Pradesh Politics News: बहरहाल, इस पूरे विषय पर बीजेपी के पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर का कहना है, “बीजेपी के काम करने का तरीका अलग है। यहां मूल्यांकन काम के आधार पर होता है। फिर जिम्मेदारी दी जाती है। संगठन ने देखा होगा, तभी कोई पद नहीं मिला है। लेकिन उन्हें निराश नहीं होना चाहिए।”

वहीं कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार कहते हैं, “गुमनामी में इसलिए हैं क्योंकि दगा किसी का सगा नहीं होता। किया नहीं तो कर देखो। जिस-जिस ने भी दगा किया है, जाकर उसका घर देखो। दगा किसी का सगा नहीं होता। क्योंकि इन्होंने कमलनाथ के साथ दगा किया और अब बीजेपी ने इनके साथ किया है।”

बहरहाल, ग्वालियर-चंबल में ये जो राजनीति के चेहरे हैं, वे फिलहाल गुमनाम हो रहे हैं। न तो फील्ड में इनकी सक्रियता दिखाई दे रही है, न ही संगठन में हैं। हालांकि ये लोग फिर से उम्मीद लगाए बैठे हैं। आने वाले वक्त में मंडल, प्राधिकरणों में नियुक्तियां होनी हैं- शायद, वे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से कहीं एडजस्ट हो पाएं।

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