Atal Amrit Yojana: शहरी विकास मंत्रालय की “अटल अमृत योजना” घिरी सवालों के घेरे में, 6 साल बाद भी अब तक नहीं हो पाई पूरी
Atal Amrit Yojana: शहरी विकास मंत्रालय की "अटल अमृत योजना" घिरी सवालों के घेरे में, 6 साल बाद भी अब तक नहीं हो पाई पूरी
Atal Amrit Yojana
ग्वालियर। Atal Amrit Yojana: देश के शहरी विकास मंत्रालय की “अटल अमृत योजना” मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में लगातार सवालों के घेरे में है। योजना में बड़े स्तर करप्शन के आरोप निगम में डेपुटेशन पर लगे आधिकारियों पर है। हालत ये है, छह महीने पहले योजना के भ्रष्ट्राचार को जांच के लिए जो समिति गठित की गई थी उसके दस्तावेज आधिकारियों ने आजतक समिति को नहीं सौपें हैं। वहीं जब हंगामा ज्यादा बढ़ गया है तो एक आधिकारी मेडिकल लीव पर है, एक आधिकारी जेल में है, तो तीसरे का ट्रांसफर होने के बाद भी वह निगम में ही मौजूद है। जिस पर हंगामा बरपा रहा है। दरअसल, ग्वालियर के डेढ़ सौ साल पुराने तिघरा बांध से आने वाले मीठे पानी की सप्लाई घर- घर तक पहुंचे इसके लिए ग्वालियर नगर निगम ने 733 करोड़ रुपये की लागत से एक बड़ी ही महत्वाकांक्षी योजना तैयार की थी। जिसका नाम था अमृत योजना।
लगाए भ्रष्ट्राचार के आरोप
इस योजना को साल 2017 में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बड़े जोर-शोर से लागू किया गया था। इसे महज दो वर्ष में पूरा करके घर- घर पानी पहुंचाना था। लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी अब तक यह पूरी ही नहीं हुई। हालत ये है कि पूरी योजना पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लग रहे हैं। अमृत योजाना के वो प्रोजेक्ट हैं जिन्हें 2017 से शुरू होकर 2019 में पूरा होना था। लेकिन अभी 2023 के लास्ट में पूरे हुए है। लेकिन फाइनल बाइंडप नहीं किया गया है क्योंकि योजना से जुड़ी एंजेसी पर 15 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही इस योजना के नोडल आधिकारी से लेकर निगम में डेपुटेशन पर आएं आधिकारी रामू शुक्ला, राकेश श्रीवास्तव पर सीधे भ्रष्ट्राचार के आरोप हैं। जिसे लेकर नगर निगम के सदन में जमकर हंगामा हो रहा है। लेकिन घोटाले से जुड़े अफसर इसके दस्तावेज समिति के पास नहीं पहुंचने दे रहे हैं। जिसको लेकर निगम के अध्यक्ष ने भी सवाल खड़े किए हैं।
लाखों लीटर पानी हुआ बर्बाद
सीवर एवं पेजयल संबंधी समस्याओं का निराकरण करने के लिए अमृत योजना के प्रथम चरण में 733 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था। इस राशि से विभिन्न कार्य कराए गए। चार कपंनियों ने टेण्डर लिए थे जिसमें दो कपंनियों ने पानी एवं दो नई सीवर संबंधी ठेके लिए। शहर में हर दिन कहीं न कहीं पानी की लाइन फूटने से लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। सीवर लाइन लीकेज और सड़क का रेस्टोरेशन नहीं होने से आमजन परेशान है। जिस वजह से शहरवासियों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। योजना के फेज-2 में देरी हो रही है। क्योंकि पहला फेज में भ्रष्ट्राचार हुआ है। इसलिए क्लोजिंग रिपोर्ट नहीं लग रही है।
Atal Amrit Yojana: वहीं ग्वालियर की महापौर शोभा सिकरवार कहना है कि ये घोटाला बड़ा है, इसलिए इसके दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराएं जा रहे हैं। वहीं निगम आयुक्त का कहना है कि जिन दस्तावेजों का सवाल है, वो 15 दिन में समिति को उपलब्ध करा दिए जाएंगे। बहरहाल अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन अमृत योजना में प्रदेश के 34 शहरों में पानी, सीवेज, ड्रेनेज और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने की योजना तैयार की गई थी। लेकिन अब इस पूरी योजना पर सवाल खड़े हो रहे है। अब देखना यह है कि आने वाली फेज-2 योजना का क्या होता है।

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