Harda News: छः पटवारियों सहित 11 किसानों पर दर्ज हुआ FIR, जानिए क्या है माजरा
FIR registered against 11 farmers including 6 patwaris छः पटवारियों सहित 11 किसानों पर दर्ज हुआ FIR, जानिए क्या है माजरा
FIR lodged against 11 others including 6 patwaris of Harda district at civil line police station
हरदा। जिले के 6 पटवारियों सहित 11 अन्य लोगों पर सिविल लाइन थाने FIR दर्ज की गई है। मामला शासकीय भूमि को फर्जी हस्ताक्षर कर रसूखदारों के नाम करने का है। 8 गांव की 36.259 हेक्टेयर भूमि है, जिसकी कीमत करीब 6 करोड़ रूपये बताई जा रही है। हरदा एसडीएम के निर्देश पर हंडिया तहसीलदार द्वारा सिविल लाइन थाने मे FIR दर्ज करवाई गई है।
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फर्जी साइन से रसूखदारों के नाम की जमीन
सोमवार को सिविल लाइन थाने में जिले के आठ गांवों में फर्जी हस्ताक्षर से आदिवासियों एवं एससी वर्ग के लोगों की जमीन रसूखदारों के नाम करने के मामले में 6 पटवारियों और 11 किसानों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज हुई है। अपर कलेक्टर प्रवीण फुलपगारे के जांच प्रतिवेदन के आधार पर सिविल लाइन थाने में जिले के आठ गांवों में फर्जी साइन से आदिवासियों, एससी वर्ग सहित शासकीय पट्टे की करीब 36.259 हेक्टेयर कृषि भूमि को गैर आदिवासियों के नाम पर षड्यंत्र पूर्वक फर्जी हस्ताक्षर से नामांतरण के मामले में हंडिया तहसीलदार महेंद्र सिंह चौहान की शिकायत पर सिविल लाइन थाने में पटवारी कपिल प्रधान, जयंत जगेत, दीपक राजपूत, आशीष मालवीय, हरिराम कुमरे, प्रदीप परस्ते एवं भूमि स्वामी रेवापुर निवासी राजेश पिता नर्मदा प्रसाद, लोकेश पिता नर्मदा प्रसाद, जामलीदमामी शरद पिता प्रेमनारायण, एड़ाबेड़ा निवासी बृजमोहन पिता अमृतलाल, अखिलेश पिता रामदयाल सहित अन्य महिला कृषकों पर धारा 420,384,34 आईपीसी में मामला दर्ज किया है।
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इन आठ गांवों में हुआ जमीन का हेरफेर
हरदा तहसील के अंतर्गत आने वाले सामरधा एवं हंडिया तहसील के ग्राम जामलीदमामी, धनगांव, कुसिया, गाड़रापुरसेठ, रेवापुर, इडरवा एवं नवरंगपुरा शामिल है। नामांतरित की गई 36.259 हेक्टेयर भूमि का शासकीय गाइड लाइन के अनुसार बाजार मूल्य 6 करोड़ के आसपास है। जिसे आरोपी पटवारियों ने किसानों से मोटी रकम लेकर फर्जी नामांतरण कर दिया है। इस मामले में जांच के दौरान दोषी पाए जाने वाले पांच पटवारियों को पूर्व में एसडीएम महेश कुमार बहनाह ने निलंबित कर दिया था।
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तीन साल से रचा जा रहा था षड्यंत्र
इस पूरे मामले में की शुरुआत तहसील कार्यालय की कानूनगो शाखा से हुई, जिसमें उक्त भूमि की संसोधन पंजी को बाहर लाकर उसमें फर्जी हस्ताक्षर कर जमीन को हस्तांतरित किया गया है। आदिवासी किसानों की खेतिहर भूमि के रिकार्ड में हेराफेरी कर उसे वापस कानूनगो शाखा में जमा करा कर कुछ दबंगों को लाभ देने का प्रयास किया है। राजस्व विभाग की जांच में जिन किसानों के नाम पर फर्जी साइन से उक्त जमीन की गई है। उन्होंने अपने बयान में पटवारियों के द्वारा उनसे रुपए लेकर उक्त भूमि को उनके नाम पर करने की बात कही गई है, जिसमें पटवारियों ने उनसे करीब एक करोड़ रुपये लिए बतौर रिश्वत लेने की बात भी सामने आने की चर्चा है। बताया जा रहा कि इस कार्य को करने के लिए करीब तीन सालों से षड्यंत्र रचा गया था। जिसके कागजात हरदा की एक लॉज में बैठकर पटवारियों ने तैयार किए हैं। पुलिस के अनुसार जांच में पटवारियों के अलावा राजस्व विभाग के ओर भी कर्मचारी आरोपी बन सकते है। आगे की कार्यवाही जारी है। IBC24 से कपिल शर्मा की रिपोर्ट

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