Hundreds of cows standing on the threshold of death: मौत की दहलीज पर गाय

यहां हो चुकी 200 गायों की मौत फिर भी बरती जा रही लापरवाही, मौत की दहलीज पर खड़ी सैकड़ों गाय

Hundreds of cows standing on the threshold of death: यहां हो चुकी 200 गायों की मौत फिर भी बरती जा रही लापरवाही, मौत की दहलीज पर खड़ी सैकड़ों गाय

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:03 PM IST, Published Date : September 3, 2022/1:30 pm IST

Hundreds of cows standing on the threshold of death: मुरैना। आपने मुरैना की देवरी गौशाला में 200 गायों की मौत का मामला सुना ही होगा। कि किस तरह से 200 गायों को एक साथ गड्ढे में दफन किया गया था। जिसके बाद इस मामले ने बहुत तूल पकड़ा था। व्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए थे। मामला उजागर होने के बाद व्यवस्थाओं में सुधार भी हुआ था लेकिन कुछ महिने बीत जाने के बाद हालत जस की तस हो गए है। गायों एक बार फिर मौत की दहलीज पर खड़े होने को मजबूर है। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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गायों को न खाना मिल रहा न बैठने के लिए जगह

Hundreds of cows standing on the threshold of death: गौरतलब है कि गौशाला को सालाना 3 करोड़ का बजट दिया जाता है जिसका मतलब हर महीने 25 लाख रूपए खर्च किए जाते गौशालाओं के लिए। लेकिन आज भी गायों की स्थिति बदतर है। यहां ढाई हजार गौवंश है बाबजूद इसके गायों को पेटभर भूसा नसीब नहीं हो रहा है। इन गौशालाओं की स्थिति इतनी खराब है कि गाय के भूसे की बात अगर छोड़ दी जाए तो उन्हें यहां बैठने तक की जगह नहीं है। जगह-जगह गंदगी मची हुई है। इस गंदगी को साफ करने के लिए कोई राजी नहीं है जिसकी वजह से रोजाना गंदगी का अंवार लगता जा रहा है।

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सड़ा गला भूसा खाने को मजबूर गाय

Hundreds of cows standing on the threshold of death: भूखी प्यारी गाय मिट्टी और गोबर से लिप्त भूसा खाने को मजबूर है। बता दें कि महीनों से खनौटे में भूसा नहीं डाला गया। जमीन पर ही कीचड़ और गोबर के बीच भूसा डाला जाता है। उसी भूसे को खाना गायों की मजबूरी हो गई है। गायों के लगातार भूखे रहने से उनकी हालत लगातार गिरती जा रही है और जिस वजह से वह मौत की दहलीज तक पहुंच गई हैं। यहां महीनों से गोबर सड़ रहा है। कर्मचारी इसी सड़े गोबर में भूसा डाल देते है। इसके अलावा जो भूसा कनौटे में डला हुआ है वो भी सड़ चुका है। भूसे में कीड़े पड़ गए है जिसे खाने से गायों का हालत दिन-व- दिन खराब होती जा रही है।

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208 गाय का 1 गौसेवक

Hundreds of cows standing on the threshold of death: बारिश के चलते कीचड़ और गोबर की गंदगी के चलते गायों को बैठने तक की जगह नहीं है। जिस वजह से कई भूखी-प्यासी गाय खड़े-खड़े ही दम तोड़ रहीं है। इनमें कई गाय घायल है उनका भी महीनों से इलाज नहीं हुआ है। गौशाला के एक गौ सेवक के मुताबिक ढाई हजार गायों पर केवल 12 गौसेवक नियुक्त हैं। ऐसे में 208 गायों की देखरेख के लिए एकमात्र गौ सेवक। इन सेवक को महीने का नौ हजार रुपए का मानदेय दिया जाता है। इन लोगों का तर्क है कि गौ सेवक बढ़ा दिए जाए, तो व्यवस्था में सुधार हो सकता है।

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पहले भी हो चुकी सैकड़ों गायों की मौत

Hundreds of cows standing on the threshold of death: करीब 8 महीने पहले गौशाला संचालकों ने करीब 200 गायों को गड्‌ढा खोदकर गाढ़ दिया था। बाद में यह मामला खुला, तो कांग्रेसियों ने गोप्रेमियों ने इसे मुद्दा बनाकर प्रदर्शन कर विरोध किया था। जिसके बाद कुछ दिनों तक सब ठीक-ठाक रहा, लेकिन बाद में फिर वही स्थिति निर्मित हो गई। अब गौशाला में गायों के तड़पने का भूखों मरने व तड़पने का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। गौसेवकों का कहना है कि सेवकों का कमी के चलते सही से गायों की देखरेख नहीं हो रही है। इस गौशाला का सालाना बजट 3 करोड़ रुपए हैं, जो निगम की जेब से जाता है। हालांकि निगम का कहना है कि इस साल उन्होंने बजट की व्यवस्था इधर-उधर से की है, लेकिन फिर भी गौशाला का महीने का खर्च 25 लाख रुपए है।

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