मप्र: चीते लाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए बोत्सवाना का प्रतिनिधिमंडल गांधी सागर अभयारण्य पहुंचा

मप्र: चीते लाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए बोत्सवाना का प्रतिनिधिमंडल गांधी सागर अभयारण्य पहुंचा

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  • Publish Date - December 20, 2025 / 04:39 PM IST,
    Updated On - December 20, 2025 / 04:39 PM IST

मंदसौर, 20 दिसंबर (भाषा) बोत्सवाना के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को यहां मध्यप्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य का दौरा किया।

‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत इस अभयारण्य में कुछ अन्य चीतों को स्थानांतरित किया जाना प्रस्तावित है।

वनमंडलाधिकारी संजय रायखरे ने ‘पीटीआई-वीडियो’ सेवा को बताया कि बोत्सवाना का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों और वन्यजीव संस्थान भारत के विशेषज्ञों के साथ गांधी सागर पहुंचा।

उन्होंने बताया कि दल ने बाड़े, नियंत्रण कक्ष और पशु चिकित्सालय सहित चीतों के लिए की गई सभी तैयारियों का गहन निरीक्षण किया।

प्रतिनिधिमंडल ने वन क्षेत्र का भी भ्रमण किया और चीता स्थानांतरण को लेकर की गई व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त किया।

रायखरे ने बताया कि वर्तमान में अभयारण्य में छह सामान्य बाड़े और दो उपचार बाड़े हैं।

उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने पानी की व्यवस्था, शेड, सुरक्षा इंतजामों सहित सभी पहलुओं की बारीकी से जांच की और अस्पताल व नियंत्रण कक्ष की सराहना की।

अधिकारी ने बताया कि चीतों के संख्या और आगमन की समय-सीमा को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

उन्होंने बताया, “इस संबंध में अंतिम निर्णय सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर लिया जाएगा।” इससे पहले अप्रैल 2025 में दो नर चीते प्रभाष और पावक को कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) से गांधी सागर अभयारण्य लाया गया था।

इसके बाद सितंबर में मादा चीता ‘धीरा’ को भी यहां स्थानांतरित किया गया। गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बाद देश के दूसरे प्रमुख चीता आवास के रूप में विकसित किया जा रहा है।

दुनिया के सबसे तेज़ दौड़ने वाला जीव चीता को वर्ष 1952 में भारत में विलुप्त घोषित किया गया था।

अफ्रीका से चीतों का स्थानांतरण देश में इस प्रजाति के पुनर्वास के उद्देश्य से किया जा रहा है।

भाषा सं दिमो जितेंद्र

जितेंद्र